आदित्य दिल्ली के एक संस्थान में नेटवर्किंग की पढ़ाई कर रहा था। उसकी क्लास में सारे लड़के थे, सिवाय अंजलि के। अंजलि न सिर्फ़ खूबसूरत थी बल्कि पढ़ाई में भी तेज़ थी, जबकि आदित्य का पढ़ाई में मन कम लगता था, वह सिर्फ़ नंबर लाने के लिए पढ़ता था। आदित्य अपने दोस्तों, इंद्र और अशोक के साथ मस्ती करता था, लेकिन अंजलि से उसकी ज़्यादा बात नहीं होती थी। अंजलि भी क्लास में ज़्यादा किसी से नहीं बोलती थी और केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देती थी। फिर भी, आदित्य की टीचर से अच्छी दोस्ती थी, जिससे वह अक्सर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेता था।
एक दिन, क्लास में, जब टीचर तेज़ी से पढ़ा रहे थे, आदित्य अचानक बोल पड़ा, “रुको सर! इतनी जल्दी क्या है? कुछ समझ नहीं आ रहा है।” उस दिन अंजलि ने आदित्य को गौर से देखा। टीचर ने सबसे पूछा कि क्या वह सच में तेज़ी से पढ़ा रहे हैं। पहले तो किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन धीरे-धीरे अशोक और इंद्र ने आदित्य का साथ दिया। फिर अंजलि ने भी हामी भर दी, और फिर पूरी क्लास ने। इस पर टीचर ने कहा, “ठीक है, मैं अब धीरे-धीरे पढ़ाऊँगा।” टीचर, जो पहले आदित्य से थोड़े नाराज़ थे, अब खुश थे क्योंकि आदित्य ने हिम्मत दिखाई थी। उस दिन टीचर ने सब कुछ अच्छे से समझाया, हालाँकि अध्याय पूरा नहीं हो पाया।
समय के साथ, जो अंजलि पहले आदित्य से दूर-दूर रहती थी, वह अब उसके करीब आने लगी थी। इंद्र और अशोक ने आदित्य से अंजलि के बारे में पूछा, तो आदित्य ने कबूल किया कि उसे अंजलि पसंद है, लेकिन उसे अपने प्यार का इज़हार करने की हिम्मत नहीं हो रही है। इस पर इंद्र और अशोक ने उससे कहा कि अंजलि भी उसके करीब आने की कोशिश कर रही है, उसे अपने प्यार का इज़हार करना चाहिए, ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना चाहिए, वरना कहीं देर न हो जाए। आदित्य ने कहा कि वह थोड़ा समय लेगा और फिर अपने प्यार का इज़हार करेगा।
आदित्य ने सोचा कि वह एक-दो दिन में अंजलि से अपने दिल की बात कह देगा, लेकिन अंजलि ने अचानक कॉलेज आना बंद कर दिया। आदित्य परेशान हो गया। 15 दिन बीत गए, और अंजलि का कोई पता नहीं था। आदित्य बहुत उदास हो गया था, उसका मन कहीं नहीं लग रहा था। वह बस अंजलि के बारे में ही सोचता रहता था। उसके दोस्त उसे समझाते रहे, कि शायद अंजलि बीमार होगी या अपने घर चली गई होगी, पर आदित्य की चिंता कम नहीं हो रही थी।
अंत में, आदित्य ने हिम्मत करके टीचर से पूछा कि अंजलि क्यों नहीं आ रही है। टीचर ने बताया कि अंजलि को किडनी में इंफेक्शन हो गया है और उसकी दोनों किडनी खराब हो गई हैं। यह सुनकर आदित्य और पूरी क्लास सदमे में आ गई। सभी ने अस्पताल में अंजलि से मिलने का फैसला किया। सब उससे मिलने गए, लेकिन आदित्य का दिल रो रहा था, फिर भी वह चाहकर भी नहीं जा पाया।
जब इंद्र और अशोक अस्पताल से वापस आए, तो उन्होंने आदित्य को बताया कि अंजलि ने उसके बारे में पूछा था। आदित्य ने झूठ कहा कि उसकी तबीयत भी खराब थी, इसलिए वह नहीं आ सका। उन्होंने बताया कि अंजलि की जान बच सकती है अगर उसे O पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाला कोई किडनी डोनेट करे। अशोक ने तुरंत कहा, “आदित्य का ब्लड ग्रुप भी तो O पॉजिटिव है! कोई और क्यों? आदित्य डोनेट करेगा।” यह सुनकर आदित्य थोड़ा परेशान हुआ, लेकिन फिर मान गया।
लेकिन एक और समस्या थी: केवल परिवार वाले ही किडनी डोनेट कर सकते थे। इस पर इंद्र ने एक सुझाव दिया, “पहले आदित्य, अंजलि से शादी कर ले। तब वह उसका पति बन जाएगा और डोनेट कर पाएगा।” यह सुनकर आदित्य हैरान रह गया, लेकिन यह अंजलि को बचाने का एकमात्र तरीका था। आदित्य ने तय कर लिया कि वह अंजलि से अपने प्यार का इज़हार करेगा और उससे शादी भी करेगा ताकि वह उसकी जान बचा सके। उसके दिल में अब हिम्मत आ गई थी।
आदित्य और उसके दोस्त अंजलि और उसके परिवार से बात करने अस्पताल पहुंचे। लेकिन वहाँ उन्हें पता चला कि अंजलि को एक डोनर मिल गया है। यह सुनकर सभी बहुत खुश हुए। आदित्य को थोड़ी निराशा हुई कि वह अंजलि की मदद नहीं कर पाएगा, लेकिन उसकी जान बच गई, यह सोचकर वह बेहद प्रसन्न था। डॉक्टर ने कहा कि अभी किसी को अंजलि से मिलने नहीं दिया जाएगा, उसे आराम की ज़रूरत है।
लगभग दो महीने बाद, अंजलि फिर से इंस्टीट्यूट वापस आई। वह पहले से काफी कमज़ोर दिख रही थी, लेकिन ठीक थी। हालांकि, उसने आदित्य की तरफ देखा भी नहीं, जैसे वह उसे जानती ही न हो। यह बात आदित्य को बहुत परेशान कर गई। उसने अंजलि से बात करने की कोशिश की, लेकिन अंजलि ने उससे बात नहीं की। अंत में, अंजलि ने आदित्य का सामना किया, उसकी आँखों में गुस्सा और निराशा थी।
अंजलि ने कड़वाहट से कहा, “सभी मुझसे मिलने अस्पताल आए, सिवाय तुम्हारे। मैं मौत को देखकर वापस आई थी, और तुम्हें मेरी परवाह तक नहीं थी?” आदित्य का दिल टूट गया। वह कैसे बताता कि वह उससे कितना प्यार करता था, कि वह अपनी किडनी देने के लिए उससे शादी तक करने को तैयार था? उसका अनकहा प्यार, उसका मौन बलिदान, और उसकी दिल की ख्वाहिशें उसके दिल में ही दफन हो गईं, एक दर्दनाक राज बनकर।