एक घने जंगल में चंडरव नामक एक चालाक सियार रहता था। एक दिन, भोजन की तलाश में भटकते हुए वह अनजाने में एक गाँव में पहुँच गया। गाँव के आवारा कुत्तों ने उसे देखते ही घेर लिया और ज़ोर-ज़ोर से भौंकने लगे। अपनी जान बचाने के लिए चंडरव तेज़ी से भागा। भागते हुए वह एक धोबी के घर में घुस गया, जहाँ कपड़ों पर रंग लगाने के लिए एक बड़े कुंड में नीला रंग घुला हुआ था।
तेज़ी से दौड़ता हुआ सियार उस रंग के कुंड में जा गिरा और पूरी तरह नीले रंग में रंग गया। जब वह बाहर निकला, तो उसका पूरा शरीर चमकदार नीला हो चुका था। उसने फिर से भागने की कोशिश की, लेकिन यह देखकर हैरान रह गया कि जो कुत्ते कुछ देर पहले उसका पीछा कर रहे थे, वे अब उसे देखते ही दुम दबाकर भाग खड़े हुए।
“ये कुत्ते मुझे देखकर क्यों भाग गए?” चंडरव को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह सीधा जंगल की ओर भागा। रास्ते में एक साफ सरोवर था। सियार पानी पीने के लिए झुका और जैसे ही उसने पानी में अपनी परछाई देखी, वह चौंक गया। “अरे! मैं तो एक बिलकुल ही नया और अनोखा प्राणी बन गया हूँ!” उसे अब जाकर समझ आया कि कुत्तों ने उसे देखते ही क्यों पीछा छोड़ दिया था।
जब चंडरव सियार जंगल में लौटा, तो उसके अद्भुत नीले रूप को देखकर सभी जानवर चकित रह गए। यहाँ तक कि जंगल का राजा शेर भी उसे पहचान नहीं पाया और थोड़ा डर गया। शेर ने बाकी जानवरों से कहा, “यह अजीब नीले रंग का प्राणी कौन है, हमें नहीं पता। बुद्धिमानों ने कहा है कि किसी अजनबी से न दोस्ती अच्छी है और न ही दुश्मनी। इसलिए बेहतर होगा कि हम इससे दूरी बनाकर रखें।”
परिणामस्वरूप, अब केवल शेर ही नहीं, बल्कि जंगल के सभी प्राणी उस नीले सियार से दूर ही रहते थे।
चंडरव सियार ने यह सब देखा तो उसके मन में एक विचार आया कि उसे अपने इस नए और अनोखे रूप का लाभ उठाना चाहिए। उसने सभी जानवरों को अपने पास बुलाया और बड़ी चालाकी से कहा, “सुनो, सुनो! मैं सीधे ब्रह्मा जी के लोक से आया हूँ। उन्होंने मुझे इस धरती पर जंगल के प्राणियों का राजा बनाकर भेजा है। मेरा नाम ककुद्रुम है और मेरी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। आज से मैं ही तुम्हारा शासक हूँ और तुम्हें मेरे आदेशों का पालन करना होगा।”
ककुद्रुम की बातों से भयभीत होकर सभी जानवरों ने उसे अपना राजा स्वीकार कर लिया। जब जंगल के सभी प्राणी उसके अधीन हो गए, तो शेर ने भी यही सोचा कि उसे राजा मान लेना ही बुद्धिमानी होगी।
अब तो ककुद्रुम का जीवन ऐश-ओ-आराम से कट रहा था। उसने जंगल के सारे महत्त्वपूर्ण कार्य अन्य जानवरों को सौंप दिए। शेर, चीता और भेड़िया जैसे शक्तिशाली प्राणी अब उसके दरबारी थे। उसने किसी को मंत्री बनाया, किसी को द्वारपाल और किसी को अन्य छोटे-मोटे काम दिए, जबकि वह खुद मस्ती से रहता था। उसके सहायक जो भी शिकार करते, उसका सबसे अच्छा हिस्सा उसे खाने को मिलता। खूब खा-पीकर वह सियार जल्द ही मोटा-ताजा और हृष्ट-पुष्ट हो गया।
लेकिन ककुद्रुम के मन में हमेशा एक गहरा डर बना रहता था। वह सोचता था, “कहीं ऐसा न हो कि कोई दूसरा सियार मेरा राज खोल दे कि मैं भी उन्हीं में से एक हूँ। अगर ऐसा हुआ तो मेरी सारी पोल खुल जाएगी और मेरा यह राज-काज खत्म हो जाएगा।”
इस डर के कारण, उसने भेड़ियों को आदेश दिया कि वे जंगल के सभी सियारों को यहाँ से निकाल दें। भेड़ियों ने उसके आदेश का पालन किया और सभी सियारों को जंगल से बाहर भगा दिया।
जंगल से निकाले जाने के बाद सभी सियार बहुत दुखी और क्रोधित थे। वे आपस में बातें करते हुए सोच रहे थे, “हमारे साथ कितना बड़ा अन्याय हुआ है! भला जंगल से सिर्फ हमें ही क्यों निकाला गया, किसी और जानवर को क्यों नहीं?”
तभी एक अनुभवी बूढ़े सियार ने कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि यह जो नीले रंग का राजा बना फिरता है, यह वास्तव में कोई और नहीं, बल्कि हम जैसा ही एक सियार है।”
“लेकिन हम यह पक्के तौर पर कैसे साबित करेंगे कि वह सियार ही है, कोई और नहीं?” एक युवा सियार ने सवाल किया।
बूढ़े सियार ने अपनी योजना बताई, “तुम सब मिलकर ज़ोर-ज़ोर से ‘हुआँ-हुआँ’ की आवाज़ निकालो। जब राजा बना ककुद्रुम यह अपनी जाति की आवाज़ सुनेगा, तो वह भी खुद को रोक नहीं पाएगा और तुम्हारे सुर में सुर मिलाकर ‘हुआँ-हुआँ’ करने लगेगा। बस, तभी उसकी असली पहचान उजागर हो जाएगी।”
बूढ़े सियार की बात मानते हुए, सभी सियारों ने एक साथ मिलकर ज़ोर-ज़ोर से ‘हुआँ-हुआँ’ की आवाज़ निकालना शुरू कर दिया। उनकी आवाज़ सुनकर, राजा बना सियार भी अपनी असली प्रकृति को छिपा न सका। वह अपनी जाति की धुन सुनकर इतना मग्न हो गया कि खुद भी उनके साथ ‘हुआँ-हुआँ’ करने लगा।
यह सुनकर शेर, बाघ और चीता सहित सभी दरबारी जानवर एक-दूसरे को हैरानी से देखने लगे। उन्हें तुरंत समझ आ गया, “अरे! यह तो एक मामूली सियार है, जो इतने समय से हमें धोखा दे रहा था!”
“इतना बड़ा छल!” क्रोधित होकर, उसी क्षण शेर ने एक ज़ोरदार छलाँग लगाई और धोखेबाज़ सियार को दबोच लिया। बाकी जानवरों ने भी मिलकर उस पर हमला कर दिया और देखते ही देखते उसका अंत कर दिया।
इस प्रकार, छल और पाखंड के बल पर बना शक्तिशाली सियार अपने अंत को प्राप्त हुआ। यह कहानी हमें सिखाती है कि ढोंगी व्यक्ति की सच्चाई कभी न कभी सामने आ ही जाती है, और तब उसकी स्थिति बहुत दयनीय हो जाती है, ठीक वैसे ही जैसे नीले रंग के राजा बने उस सियार की हुई थी।