एक बड़े पेड़ की ऊँची शाखा पर चुंचुन नाम की एक छोटी चिड़िया अपने घोंसले में रहती थी। उसके सभी भाई-बहन उड़ना सीख चुके थे और विशाल आकाश की खोज में निकल पड़े थे। लेकिन चुंचुन डरती थी। वह अपने छोटे पंख फड़फड़ाती, पर डर उसे घोंसले में ही रोके रखता। उसकी माँ रोज़ उसे प्रोत्साहित करती, कहती कि एक बार कोशिश तो कर। एक दिन, तेज़ हवा से पेड़ हिल गया और चुंचुन लगभग गिर गई। उस घबराहट के पल में, उसने अपनी प्रवृत्ति से प्रेरित होकर पहले से कहीं ज़्यादा ज़ोर से पंख फड़फड़ाए। उसे आश्चर्य हुआ, वह गिरी नहीं; बल्कि थोड़ा ऊपर उठ गई। इस छोटी सी सफलता ने उसे हिम्मत से भर दिया।
नए दृढ़ संकल्प के साथ, चुंचुन ने हर दिन अभ्यास करना शुरू कर दिया। वह डाली से कूदती, पंख फड़फड़ाती, थोड़ा गिरती और फिर खुद को संभालने की कोशिश करती। हर प्रयास ने उसे थोड़ा और मज़बूत और थोड़ा और आत्मविश्वासी बनाया। जल्द ही, वह एक डाली से दूसरी डाली तक छोटी उड़ानें भरने में सक्षम हो गई। आकाश, जो कभी डरावना लगता था, अब उसे अनंत संभावनाओं के साथ बुला रहा था। उसकी माँ गर्व से देख रही थी जब चुंचुन ने आख़िरकार अपनी पहली लंबी उड़ान भरी, और असीमित नीले आकाश में अपने भाई-बहनों के साथ मिल गई।