एक लेखिका के साथ अंतरंग पलों की यादगार शाम

मेरी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जब मैंने अपनी एक सेक्स कहानी के बारे में पाठकों से मिले ईमेल का जवाब दे रहा था। उन्हीं ईमेल में से एक ने मेरी जिंदगी में एक नया रंग भर दिया। मैंने एक महिला से दोस्ती की शुरुआत की, जो खुद भी एक लेखिका थीं और FSIBlog व अंतर्वासना जैसी वेबसाइटों पर नियमित रूप से लिखती थीं। उनका असली नाम रेखा था, लेकिन ऑनलाइन दुनिया में वे किसी और नाम से जानी जाती थीं। उनकी निजी जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए, मैं उनके ऑनलाइन नाम का खुलासा नहीं कर सकता।

धीरे-धीरे हमारी बातचीत गहरी होती गई और हम एक-दूसरे के करीब आते चले गए। रेखा ने अपने दिल की बात मुझसे साझा करनी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि उनकी शादी को कई साल बीत चुके हैं और अब उनके पति उन पर वैसा ध्यान नहीं देते जैसा पहले दिया करते थे। आठ साल के एक बच्चे की माँ होने के बावजूद, रेखा के अंदर जवानी की वही चिंगारी बाकी थी, जो शायद उनके पति अब नहीं समझ पा रहे थे।

रेखा अहमदाबाद, गुजरात की रहने वाली थीं। उनका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था और उन्हें किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। घर में उन पर कोई पाबंदी भी नहीं थी, लेकिन फिर भी उनके दिल में एक खालीपन था। जब मैंने उनसे पूछा कि वह इस तरह की इच्छाओं को कैसे संभालती हैं, तो उन्होंने कहा कि शरीर की भूख तो पेट की भूख से भी ज्यादा ताकतवर होती है। उन्होंने मुझे बताया कि जब भी मौका मिलता, वह नए अनुभवों का स्वाद लेती थीं और ज्यादातर समय अपनी उंगलियों के सहारे ही खुद को संतुष्ट कर लेती थीं।

रेखा एक आधुनिक सोच वाली महिला थीं, जो सेक्स को जीवन का एक सामान्य और आनंददायक हिस्सा मानती थीं। वह इसके बारे में खुलकर बात करने में संकोच नहीं करती थीं। हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि धीरे-धीरे औपचारिकताएं खत्म हो गईं और हम एक-दूसरे को आराम से बात करने लगे। साल 2023 की शुरुआत में एक दिन अचानक रेखा का फोन आया। उनकी आवाज में एक अलग ही उत्साह था।

उन्होंने पूछा, ‘क्या तुम मुझे दिल्ली रेलवे स्टेशन से लेने आ सकते हो?’ मैं इस अचानक सवाल से हैरान रह गया। मैंने पूछा, ‘क्या हुआ? तुम अभी कहां हो?’ रेखा हंसते हुए बोली, ‘कुछ नहीं हुआ जानेमन। बस तुमसे मिलने का बहाना ढूंढ रही थी और आज मिल गया। मेरी ननद प्रेग्नेंट है और मुझे उसकी डिलीवरी तक उसका ख्याल रखने के लिए दिल्ली आना होगा।’ यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट खिल उठी और पूरे शरीर में एक अजीब सी ऊर्जा दौड़ गई।

मैंने तुरंत जवाब दिया, ‘लेने तो आ जाऊंगा, पर कुछ चार्ज लगेगा।’ रेखा ने शरारत भरी आवाज में कहा, ‘हां चार्ज भी कर दूंगी… और डिस्चार्ज भी कर दूंगी मेरे यार!’ इसके बाद हमारी फोन पर बातें होती रहीं और हम एक-दूसरे को छेड़ते रहे। आखिरकार वह दिन आ ही गया जब रेखा दिल्ली पहुंचने वाली थी। मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली और समय से एक घंटा पहले ही स्टेशन पहुंच गया। सेक्स की इच्छा इतनी ताकतवर होती है कि इंसान को हर तरह की परेशानी उठाने के लिए तैयार कर देती है।

स्टेशन पहुंचते ही सर्वोदय एक्सप्रेस के आने की घोषणा हुई। मैं B5 कोच के सामने खड़ा होकर इंतजार करने लगा। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। थोड़ी देर बाद रेखा एक बड़ा सा ट्रॉली बैग और पर्स लिए हुए बाहर निकली। एक हाथ में फोन कान से लगाए हुए वह मुझे देखकर हाथ हिलाने लगी। मैंने भी मुस्कुराकर उसकी तरफ कदम बढ़ाए। उसकी खूबसूरती देखकर तो किसी का भी ईमान डगमगा सकता था। उसे देखते ही मेरा लिंग काबू से बाहर हो गया और पैंट में ही तनाव आ गया।

रेखा मीडियम हील्स पहने हुई थी। उसका रंग दूध जैसा सफेद था, कमर नागिन जैसी पतली और गर्दन सुराहीदार। न ज्यादा पतली और न ही मोटी, बिल्कुल कसा हुआ शरीर। पीले रंग की चटक साड़ी ने तो मेरा दिमाग ही खराब कर दिया था। ऐसा लग रहा था जैसे वक्त थम सा गया हो। रेखा फोन पर किसी से बात कर रही थी, ‘आशु को टिफिन लगाकर दे देना और अगर मेरा फोन न लगे, तो बता देना कि ट्रेन लेट है। आउटर में खड़ी होने की वजह से नेटवर्क जा सकता है। मैं शाम तक दीदी के घर पहुंच जाऊंगी, तब कॉल करूंगी।’ यह सब कहते हुए वह मुस्कुराती हुई मुझे देख रही थी।

फोन काटते ही उसने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया और बोली, ‘चलें फिर?’ मैंने कुछ नहीं कहा, बस सहमति में सिर हिलाया और उसका ट्रॉली बैग अपने हाथ में ले लिया। हम सीधे स्टेशन के बाहर कैब लेकर मेरे फ्लैट की ओर रवाना हो गए। रास्ते में हम सफर की बातें करते रहे और घर के बारे में चर्चा करते-करते हम और करीब आ गए। मैंने उसका हाथ अपने लिंग के ऊपर रखकर सहलाना शुरू किया। रेखा बोली, ‘महाराज को बिल्कुल भी सब्र नहीं है। स्टेशन से ही देख रही हूं।’ मैंने जवाब दिया, ‘सब्र तो कल से ही नहीं है, जब से तुम्हारे आने का पता चला है।’

रेखा ने कहा, ‘मुझे कुछ नहीं पता। इतनी दूर से सफर करके आई हूं, बहुत थक गई हूं। अब सीधे सोऊंगी। ज्यादा खुश मत हो, अपने इन छोटू महाराज को तुम्हीं संभालो।’ इतना कहकर वह बाहर की तरफ देखने लगी। मुझसे रुका नहीं जा रहा था लेकिन कैब में ड्राइवर होने की वजह से मैंने कुछ करना उचित नहीं समझा। बातों-बातों में सफर खत्म हुआ और हम फ्लैट पर पहुंच गए। रेखा ने बैग से सामान निकालते हुए सामने रखी खाली शराब की बोतलें देखीं और पूछा, ‘ये सारी शराब तुमने पी है?’ मैंने कहा, ‘हां।’ हालांकि उसे पता था कि मैं कभी-कभी ड्रिंक कर लेता हूं।

रेखा मुस्कुराते हुए बोली, ‘आज मुझे भी पीनी है। सालों से नहीं पी है।’ मैंने उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा, ‘जरूर पीना, लेकिन फिर दीदी के यहां भी तो जाना है तुम्हें आज!’ रेखा बोली, ‘वह मैं संभाल लूंगी।’ वह मेरी बांहों से छूटने की कोशिश करते हुए बोली, ‘मैंने पहले ही कहा था कि मुझे आराम करना है, परेशान मत करो।’ मैंने रेखा को और कसकर पकड़ा और उसे चूमने लगा। मेरा एक हाथ सीधे उसकी साड़ी में गया और उसकी योनि पर फेरने लगा। इतनी प्यासी योनि थी कि मानो ज्वालामुखी की तरह लावा उगल रही हो।

मेरे लिंग का अहसास रेखा को महसूस हो रहा था और वह एकदम निढाल होकर मेरी बांहों में तड़पने लगी थी। मैंने उसके कान के पास अपनी गर्म सांस छोड़ते हुए कहा, ‘रेखा।’ ‘उम्ह’ की आवाज के साथ रेखा ने जवाब दिया और मेरी तरफ घूमी। मेरे होंठों को अपने होंठों में भरकर हम दोनों रसपान करने लगे। माहौल कुछ ज्यादा ही गर्म हो चुका था। लाइट ऑन होने की वजह से उसका मादक शरीर मुझमें अलग ही जोश जगा रहा था। ऐसे ही एक-दूसरे से लिपटे हुए हम बेड पर गिर गए और एक-दूसरे के कपड़े उतारने लगे।

जैसे-जैसे रेखा की साड़ी उतरती जा रही थी, मेरा लिंग फटने को हो रहा था। रेखा अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और गोल्डन रंग की मीडियम हील्स में उसके गुलाबी पैर, जिनमें पायल भी थी। वह बहुत ही आकर्षक लग रही थी। मैं रेखा के ऊपर टूट पड़ा, उसे बेड पर पटक दिया। एक हाथ से मैं उसकी योनि को उंगलियों से सहलाने लगा और दूसरे हाथ से उसके स्तनों को दबाने में जुट गया। थोड़ी देर में मैं चूमते हुए नीचे की तरफ आया तो रेखा ने रोका और बोली, ‘ऊपर आकर लेट जाओ।’ मैं समझ गया। जैसे ही मैं लेटा, रेखा ने अपनी पैंटी उतारी और 69 की पोजीशन ले ली।

मेरा लिंग बाहर निकालते हुए वह बोली, ‘आज लिंग महाराज के दर्शन हुए हैं। कब से तड़प रही थी इसे देखने और इससे खेलने के लिए!’ दरअसल, मैं कभी न्यूड वीडियो कॉल नहीं करता इसलिए रेखा को मैं सिर्फ लिंग के बारे में बताता था, उसे दिखाता नहीं था। जैसे ही रेखा ने लिंग को बाहर निकाला, उसने उसे सीधे मुंह में ले लिया, बिना हाथ लगाए। उसके दोनों हाथ मेरी जांघों पर थे। तभी मैंने भी उसकी योनि पर अपनी जीभ हल्के से घुमाई। रेखा का सारा शरीर कांप उठा ‘श्शश्स… आहह…’ उसने लिंग को और अंदर लेने की कोशिश की। मुझे लगा कि मैं स्खलित हो जाऊंगा, लेकिन इतनी

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