मेरे कमरे में हवा जैसे थम सी गई थी। मेरी छोटी बहन मेरे सामने खड़ी थी, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी जो मैं पहले कभी नहीं देख पाया था। उसके चेहरे पर उत्सुकता और डर का मिश्रण साफ झलक रहा था। कमरे की हवा में उसके परफ्यूम की मीठी खुशबू घुल रही थी, जो हमारे बीच बढ़ते तनाव को और भी सघन बना रही थी। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, मानो छाती से बाहर निकल आएगा। मैं जानता था कि हम एक ऐसी सीमा पार करने वाले थे जिस पर वापस लौटना संभव नहीं होगा।
मेरी बहन ने धीरे-धीरे अपने होंठों को मेरे कान के पास लाया और फुसफुसाया, उसकी सांसों की गर्माहट मेरी त्वचा पर एक अजीब सी सिहरन पैदा कर रही थी। उसने कहा कि वह लंबे समय से इस पल का इंतजार कर रही है। उसकी आवाज में एक तरह की लालसा थी जो मुझे हैरान कर रही थी। मैंने देखा कि उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं जब उसने मेरा हाथ पकड़ा। कमरे में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था, सिर्फ हमारी सांसों की आवाज और दिल की धड़कनें सुनाई दे रही थीं।
वह धीरे-धीरे मेरे करीब आई और अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए। उस चुंबन में अनुभवहीनता साफ झलक रही थी, मानो वह पहली बार किसी को चूम रही हो। उसके होंठ नरम और काँपते हुए थे, और मैं महसूस कर सकता था कि वह पूरी तरह से इस पल में खो गई है। मेरे हाथ स्वतः ही उसकी पीठ पर चले गए, और मैंने उसे अपने और करीब खींच लिया। उसकी सांसें तेज हो गईं, और मैं उसके शरीर की गर्माहट महसूस कर सकता था जो हमारे बीच के कपड़ों के बावजूद साफ महसूस हो रही थी।
अचानक उसने पीछे हटकर मेरी आँखों में देखा, मानो वह यह सुनिश्चित करना चाहती हो कि मैं वास्तव में इसके लिए तैयार हूँ। उसकी आँखों में एक प्रश्न था, और मैंने मुस्कुराकर उसका जवाब दे दिया। फिर वह फिर से मेरे पास आई, और इस बार उसके चुंबन में अधिक आत्मविश्वास था। उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, उसकी उंगलियाँ अभी भी हल्की सी काँप रही थीं। मैंने उसके बालों को सहलाया, उसे आश्वस्त करने की कोशिश कर रहा था कि सब कुछ ठीक है।
जब उसने मेरी शर्ट पूरी तरह से खोल दी, तो उसकी नजरें मेरे सीने पर टिक गईं। उसने अपना हाथ बढ़ाया और धीरे-धीरे मेरी छाती को छुआ, मानो वह पहली बार किसी पुरुष के शरीर को अनुभव कर रही हो। उसकी स्पर्श की कोमलता ने मेरे शरीर में एक अजीब सी झुरझुरी पैदा कर दी। मैंने उसके चेहरे पर आश्चर्य और रोमांच का भाव देखा, जैसे वह किसी नई दुनिया की खोज कर रही हो। कमरे का वातावरण और भी अधिक घना होता जा रहा था।
अब उसकी बारी थी। उसने अपनी कमीज के बटन खोलने शुरू किए, और मैं देख सकता था कि उसके हाथ अब भी काँप रहे थे। हर बटन खुलने के साथ मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। जब आखिरी बटन खुला, तो उसने कमीज को धीरे से उतारकर फर्श पर गिरा दिया। उसका शरीर चाँदनी की तरह चमक रहा था, और मैं उसकी सुंदरता को देखकर अवाक रह गया। वह शर्मिंदगी से मुस्कुराई, और मैंने उसके गालों पर हल्का सा लालिमा देखी।
मैंने उसे अपने पास बुलाया, और वह धीरे-धीरे मेरे पास आई। जब उसका शरीर मेरे शरीर से टकराया, तो हम दोनों एक सिहरन महसूस कर सके। उसकी त्वचा मुलायम और गर्म थी, और मैं उसके दिल की धड़कन महसूस कर सकता था जो मेरी छाती से टकरा रही थी। मैंने उसके कान के पास फुसफुसाया कि वह सुंदर है, और उसकी आँखों में चमक और बढ़ गई। उसने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया, और हम कुछ पलों तक वैसे ही खड़े रहे, एक दूसरे की गर्माहट और निकटता का आनंद लेते हुए।
फिर मैंने उसे बिस्तर की ओर ले जाना शुरू किया। वह मेरे साथ चलती रही, उसकी आँखें मेरी आँखों में चिपकी हुई थीं। जब हम बिस्तर के पास पहुँचे, तो मैंने उसे धीरे से लेटा दिया। उसका चेहरा तकिए पर टिका था, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी – आशंका और उत्सुकता का मिश्रण। मैंने उसके पास बैठकर उसके चेहरे को सहलाया, उसे यह बताने की कोशिश कर रहा था कि मैं यहाँ हूँ और सब कुछ ठीक होगा।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे अपने होंठों पर रख दिया। मैं उसकी कोमलता से हैरान था। फिर उसने मेरे हाथ को धीरे-धीरे अपने शरीर पर ले जाना शुरू किया, मुझे अपने शरीर के हर हिस्से से परिचित कराते हुए। हर स्पर्श के साथ मैं उसके शरीर के प्रति और अधिक आकर्षित होता जा रहा था। उसकी त्वचा रेशम की तरह मुलायम थी, और हर स्पर्श एक नया अनुभव ला रहा था।
अचानक दरवाजे की कुंडी की आवाज ने हमें वास्तविकता में लौटा दिया। हम दोनों एकदम स्तब्ध रह गए। दरवाजा धीरे-धीरे खुला, और वहाँ मेरी माँ खड़ी थी। उसके चेहरे पर हैरानी और क्रोध का भाव था। मैं तुरंत उठ खड़ा हुआ, अपने आप को ढकने की कोशिश कर रहा था। मेरी बहन ने चादर को अपने ऊपर खींच लिया, उसका चेहरा भय और शर्मिंदगी से लाल हो गया था। कमरे में सन्नाटा छा गया, और सिर्फ घड़ी की टिक-टिक की आवाज सुनाई दे रही थी।
मेरी माँ ने हमें कुछ देर तक चुपचाप देखा, उसकी आँखों में निराशा और गुस्सा साफ झलक रहा था। फिर वह धीरे-धीरे कमरे में आई और दरवाजा बंद कर दिया। उसने एक गहरी सांस ली और मेरी तरफ देखा। मैं उसकी आँखों में देख सकता था कि वह कुछ कहना चाह रही है, लेकिन शब्द नहीं ढूंढ पा रही है। मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और मैं महसूस कर सकता था कि मेरे हाथ काँप रहे हैं।
अचानक मेरी माँ के चेहरे का भाव बदल गया। उसकी आँखों में गुस्से की जगह एक अजीब सी चमक आ गई। उसने मेरी तरफ एक कदम बढ़ाया, और मैं हैरान रह गया जब उसने मुस्कुराते हुए कहा कि वह लंबे समय से इस पल का इंतजार कर रही है। उसकी आवाज में एक अजीब सी मिठास थी जो मुझे चिंतित कर रही थी। मेरी बहन ने भी हैरानी से माँ की तरफ देखा, वह भी इस बदलाव को समझ नहीं पा रही थी।
मेरी माँ ने धीरे-धीरे अपनी साड़ी के पल्लू को समेटा और मेरे पास आकर बैठ गई। उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा कि वह वर्षों से अकेली है, और उसे भी किसी के स्पर्श और प्यार की जरूरत है। उसकी आँखों में एक गहरी उदासी थी जो मुझे पहले कभी नहीं दिखी थी। मैं समझ गया कि वह क्या कहना चाह रही है, लेकिन मैं इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार नहीं था। मेरी बहन ने चादर को और तंग कर लिया, उसकी आँखों में भ्रम और डर साफ झलक रहा था।
मेरी माँ ने मेरी बहन की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा कि अब वे तीनों एक परिवार की तरह रहेंगे, और कोई भी अकेला महसूस नहीं करेगा। उसकी आवाज में एक अजीब सी आश्वासन था जो मुझे चिंतित कर रहा था। फिर उसने मेरी बहन का हाथ पकड़ा और उसे आश्वस्त करने की कोशिश की कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। कमरे का वातावरण पूरी तरह से बदल चुका था, और मैं महसूस कर सकता था कि हमारे रिश्तों की दिशा हमेशा के लिए बदलने वाली थी।