अशोक और अमित बचपन के गहरे दोस्त थे, जिन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और कॉलेज के दिन साथ बिताए। जहाँ अशोक पढ़ाई में होशियार था और उसके पिता की आय सीमित थी, वहीं अमित को पढ़ाई में कम रुचि थी और उसके पिता एक सफल व्यवसायी थे। इन भिन्नताओं के बावजूद, उनकी दोस्ती अटूट थी। वे कॉलेज में हमेशा एक साथ दिखते थे, उनकी जोड़ी देखकर सभी उनके गहरे बंधन को समझते थे। उनकी मित्रता का यह मजबूत आधार ही उनकी ताकत थी।
उनके जीवन में प्रिया का आगमन हुआ, जो उन्हीं के कॉलेज में पढ़ती थी। प्रिया दोनों दोस्तों से बहुत अच्छी तरह बात करती थी और धीरे-धीरे उनके समूह में अपनी जगह बना ली। जब पढ़ाई की बात आती तो वह अशोक के साथ समय बिताती, और जब उपहारों या खरीदारी की चर्चा होती तो वह अमित के करीब नजर आती। वह दोनों के साथ समान रूप से मधुर व्यवहार करती थी, जिससे दोनों दोस्त कहीं न कहीं उसके प्रति आकर्षित होने लगे। यह स्थिति उनके मन में एक अजीब उलझन पैदा कर रही थी।
दोनों दोस्त यह नहीं समझ पा रहे थे कि प्रिया वास्तव में किसके करीब थी। अशोक ने एक बार प्रिया से पूछा कि क्या वह उसे पसंद करती है, तो प्रिया ने उत्तर दिया कि वह उसकी एक अच्छी दोस्त है। अमित को भी प्रिया से ऐसा ही जवाब मिला। इससे दोनों परेशान हो गए, क्योंकि प्रिया दोनों को संकेत दे रही थी लेकिन किसी से भी प्यार का इजहार नहीं कर रही थी। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि एक अच्छी दोस्त होने का यह दोहरा मतलब क्या था।
एक दिन तीनों एक रेस्टोरेंट गए। वहाँ अशोक ने देखा कि अमित प्रिया के साथ काफी घुल-मिल रहा था और प्रिया भी अमित के साथ सहजता से चिपक रही थी। यह देखकर अशोक ने समझदारी इसी में समझी कि वह इस मामले से खुद को अलग कर ले। उसे यह साफ समझ आ गया कि प्रिया की निष्ठा किसी एक के प्रति नहीं थी। इसके बाद अशोक ने प्रिया से बातचीत कम कर दी, क्योंकि रेस्टोरेंट में प्रिया का व्यवहार उसकी आँखों के सामने साफ हो चुका था।
कुछ दिनों बाद कॉलेज की परीक्षाएँ शुरू हुईं, और इस दौरान प्रिया फिर से अशोक के करीब आने लगी, उससे पढ़ाई में मदद के लिए चिपकने लगी। जब अमित ने यह दृश्य देखा, तो उसने सोचा कि प्रिया अब अशोक के ज्यादा करीब है और उसने खुद को पीछे करना शुरू कर दिया। प्रिया के इस इस प्रकार के व्यवहार के कारण, अशोक और अमित की वर्षों पुरानी दोस्ती में धीरे-धीरे दूरियां आने लगीं। उन्हें खुद यह बदलाव महसूस नहीं हो रहा था।
इन दूरियों को उनके घरवालों ने महसूस किया। एक दिन दोनों के परिवार वालों ने उन्हें साथ बिठाया और उनसे इस बारे में पूछा। तब जाकर अशोक और अमित को एहसास हुआ कि प्रिया के कारण वे दोनों एक-दूसरे से दूर होते जा रहे थे। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने निर्णय लिया कि प्रिया ही उनकी दोस्ती में दरार की असली वजह थी। प्रिया किसी के प्रति भी सच्ची नहीं थी, उसकी निष्ठा संदिग्ध थी।
अपनी गलती महसूस करने के बाद, अशोक और अमित ने प्रिया से दूरी बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने उसे अपने समूह से अलग कर दिया। प्रिया भी यह बात समझ गई और धीरे-धीरे उनसे दूर रहने लगी। एक बार फिर, दोनों पुराने दोस्त करीब आ गए और उनकी दोस्ती पहले जैसी मजबूत हो गई। उन्हें दोबारा एक साथ देखकर उनके घरवालों ने भी चैन की सांस ली। यह घटना उनकी दोस्ती के लिए एक महत्वपूर्ण सबक बन गई, जिसने उन्हें निष्ठा और संबंधों के मूल्य को समझाया।