मेरी पत्नी सीमा एक स्कूल में अध्यापिका है और उसके सहयोगी सुरेन्द्र के साथ मैंने उसे चुदवाने की योजना बनाई थी। पहले भाग में मैंने सुरेन्द्र को अपनी पत्नी के प्रति आकर्षित किया था और अब मैं स्वयं भी इस खेल का हिस्सा बनकर त्रिकोणीय संबंधों का आनंद लेना चाहता था। सीमा की आँखों में एक अलग तरह की चमक थी, जैसे वह किसी नए रोमांच की तलाश में हो। उसके होंठों पर मंद मुस्कान और शरीर की भाषा से स्पष्ट था कि वह विलास के बाद किसी दूसरे पुरुष के स्पर्श की इच्छुक है। मेरे मन में उसे देखने की एक अजीब सी लालसा जाग उठी थी।
एक दिन सुरेन्द्र का फोन आया और उसकी आवाज़ में उत्सुकता स्पष्ट झलक रही थी। उसने पूछा, “सीमा की कब दिलवाओगे?” मैंने जवाब दिया, “मैं तैयार हूँ! तुम्हें कब लेना है?” मैंने उसे सलाह दी कि वह स्वयं पहल करे, धीरे-धीरे सीमा के करीब आए और उसके शरीर को छुए। मैंने कहा, “जब वह घर पर अकेली हो, तब आ जाना और पेल देना!” सुरेन्द्र ने हामी भर दी और मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मैंने सीमा को बताया कि मैं बाहर जा रहा हूँ, लेकिन वास्तव में मैं घर के भीतर ही छिपकर बैठ गया।
थोड़ी देर बाद सुरेन्द्र आया और सीमा ने उसका स्वागत किया। उनकी बातचीत सामान्य लग रही थी, लेकिन हवा में एक अलग तरह का तनाव था। सुरेन्द्र ने सीमा की तारीफ़ करनी शुरू की और उसकी आँखों में एक विशेष चमक दिखाई दी। जब सीमा चाय बनाने के लिए मुड़ी, तभी सुरेन्द्र ने उसे पीछे से अपनी बाँहों में जकड़ लिया। उसने कहा, “सीमा, आय लव यू!” सीमा चुपचाप खड़ी रही, उसने न तो विरोध किया और न ही छूटने की कोशिश की।
सुरेन्द्र ने सीमा की पीठ चाटनी शुरू की और उसके स्तनों को दबाने लगा। सीमा की साँसें तेज हो गईं और उसका शरीर ढीला पड़ने लगा। सुरेन्द्र ने उसका हाथ ऊपर उठाया और उसकी बगल चूसने लगा। सीमा का शरीर पूरी तरह आत्मसमर्पण कर चुका था। वे दोनों चुंबन करने लगे और सुरेन्द्र ने सीमा के ब्लाउज के बटन खोल दिए। उसने उसके स्तनों को बाहर निकालकर चूसना शुरू किया। सीमा के मुँह से हल्की सी आह निकल रही थी।
सुरेन्द्र का हाथ सीमा की नाभि पर से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया। सीमा की आवाज़ और भी सेक्सी हो गई। सुरेन्द्र ने अपना लिंग बाहर निकाला और सीमा के हाथ में दे दिया। सीमा ने उसे पकड़कर आगे-पीछे करना शुरू किया। वे दोनों फोरप्ले में व्यस्त थे, कभी चुंबन, कभी स्तनों को सहलाना और कभी एक-दूसरे के शरीर का आनंद लेना। उनकी आवाज़ें मुझे भी उत्तेजित कर रही थीं।
वे दोनों बेडरूम में चले गए और सीमा पलंग पर लेट गई। सुरेन्द्र ने उसके कपड़े उतार दिए और उसके शरीर को चाटना शुरू किया। सीमा केवल अपनी पैंटी में रह गई थी। सुरेन्द्र का हाथ उसकी चूत को सहला रहा था। फिर सुरेन्द्र ने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लिंग सीमा के मुँह के पास ले गया। सीमा ने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि वह कभी मेरा लिंग नहीं चूसती थी।
सुरेन्द्र ने 69 की स्थिति में आकर सीमा की चूत चाटनी शुरू की। थोड़ी देर बाद वे मिशनरी स्थिति में आ गए। सुरेन्द्र ने अपना लिंग सीमा की चूत के छेद पर रखा और जोर से अंदर धकेल दिया। सीमा चीख उठी, “आह! बहुत मोटा है!” सुरेन्द्र ने कहा, “अनिल से भी मोटा?” सीमा ने जवाब दिया, “हाँ, उसका तो बहुत छोटा और पतला है!” सुरेन्द्र ने फिर से जोरदार धक्का दिया और सीमा ने अपनी टाँगें फैला दीं।
सुरेन्द्र ने सीमा को जोर-जोर से चोदना शुरू किया। सीमा की आवाज़ें और भी उत्तेजक हो गईं। फिर सीमा ने पीछे से चोदने के लिए कहा और घोड़ी की स्थिति में आ गई। सुरेन्द्र ने पीछे से जोरदार धक्का दिया। उनकी बातचीत में विलास का नाम आया और सीमा ने स्वीकार किया कि वह उससे भी चुद चुकी है। सुरेन्द्र ने बताया कि मुझे इसकी जानकारी है।
सीमा ने खुलकर बताया कि विलास का लिंग बहुत मोटा है और वह उसे बार-बार झड़ा देता है। उसने कहा कि वह मुझसे कुछ नहीं छुपाती और जब भी विलास उसे चोदता है, उसके जाने के तुरंत बाद मैं उसी गीली चूत में अपना लिंग घुसा देता हूँ। सुरेन्द्र ने सीमा को अलग-अलग स्थितियों में चोदना जारी रखा। सीमा की सेक्सी आवाज़ें सुरेन्द्र को और भी उत्तेजित कर रही थीं।
करीब बीस मिनट बाद सुरेन्द्र ने सीमा का पानी चार बार निकाल दिया। चौथी बार जब सीमा झड़ रही थी, तभी सुरेन्द्र ने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। सीमा निढाल हो गई और उसे नींद आने लगी। तभी सुरेन्द्र ने मुझे फोन किया और बताया कि काम हो गया। मैंने अपने कपड़े उतारे और सामने आकर सीमा की टाँगें चौड़ी करके अपना लिंग उसकी चूत में घुसा दिया।
सीमा ने आँखें बंद किए हुए ही सोचा कि सुरेन्द्र फिर से आ गया है। मैंने उससे पूछा, “कैसे लग रहा है सीमा?” सीमा की आँखें खुल गईं और उसने हैरानी से मेरी ओर देखा। मैंने उसे बताया कि मैं छिपकर सब कुछ देख रहा था। मैंने उसे चूमा और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। सुरेन्द्र के वीर्य से भरी चूत में मेरे लिंग ने तुरंत वीर्य छोड़ दिया।
मैंने सोचा कि क्यों न अभी ही त्रिकोणीय संबंध बना लिए जाएँ। मैंने सभी के लिए पेग बनाने का सुझाव दिया। सीमा ने थोड़ा विरोध किया, लेकिन हमने उसे मना लिया। मैंने जानबूझकर सीमा का पेग मजबूत बनाया। आधे घंटे बाद सीमा नशे में डूब गई। सुरेन्द्र उसकी चूत सहलाने लगा और मैं उसके स्तन चूसने लगा।
सुरेन्द्र ने अपना लिंग सीमा के मुँह में दिया और वह उसे चूसने लगी। मैंने सीमा की चूत चाटनी शुरू की। फिर सुरेन्द्र ने अपना लिंग सीमा की चूत में घुसा दिया और जोरदार चोदना शुरू कर दिया। उसी समय मैंने भी अपना लिंग सीमा के मुँह में दे दिया। सीमा दोनों लिंग एक साथ चूस रही थी।
फिर मैंने सुरेन्द्र के लिंग के साथ अपना लिंग भी सीमा की चूत में घुसा दिया। सीमा चीख उठी, “इतना मोटा क्या है?” हम दोनों ने एक के बाद एक धक्के मारने शुरू किए। सीमा की आवाज़ें और भी उत्तेजक हो गईं। वह हम दोनों के बीच सैंडविच बनकर चुद रही थी। हमने कई बार उसका पानी निकाल दिया।
अंत में सीमा निढाल हो गई और बोली, “मज़ा दे दिया तुम दोनों ने!” उसने कहा कि वह पूरी घटना के दौरान होश में थी और उसे भी त्रिकोणीय संबंध का आनंद लेना था। मैंने कहा, “अब हम हमेशा त्रिकोणीय संबंध ही बनाएँगे।” इस तरह हमने सीमा को त्रिकोणीय संबंधों में चोद दिया था और तीनों ने एक अविस्मरणीय अनुभव साझा किया।