बस की यात्रा से शुरू हुई एक अप्रत्याशित मुलाकात

मेरा नाम श्याम है और मैं देवास जिले के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ। दोस्तों के बीच मैं एक साधारण सा लड़का माना जाता हूँ, जिसकी उम्र बाईस साल है और कद पाँच फुट आठ इंच का है। एक दिन मुझे अचानक शहर घूमने का मन हुआ। सुबह की हल्की धूप में गाँव की सड़कें सुनहरी लग रही थीं और हवा में ताज़गी थी। मैंने जल्दी से तैयारी की और नज़दीकी बस स्टैंड की ओर चल पड़ा। बस स्टैंड पर कुछ यात्री इंतज़ार कर रहे थे, जिनकी आवाज़ें दूर से ही सुनाई दे रही थीं। मैंने टिकट खरीदा और बस में एक खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। बस के इंजन की आवाज़ और धीरे-धीरे बढ़ती रफ़्तार ने एक नई यात्रा की शुरुआत का एहसास दिलाया।बस कुछ ही देर में चल पड़ी और गाँव के हरे-भरे खेत पीछे छूटने लगे। मैं खिड़की से बाहर का नज़ारा देख रहा था कि अगले स्टॉप पर बस रुकी। वहाँ से एक लड़की चढ़ी, जिसने चारों ओर नज़र दौड़ाई और फिर मेरे पास वाली खाली सीट पर आकर बैठ गई। उसने हल्के गुलाबी रंग की सलवार-कमीज पहनी हुई थी और उसके लंबे बाल कंधों पर लहरा रहे थे। हम दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा और मुस्कुरा दिया। उसकी मुस्कान में एक अजीब सी मासूमियत थी, जो मुझे तुरंत आकर्षित कर गई। बस फिर से चल पड़ी और हम दोनों के बीच एक अनकही चुप्पी छा गई।कुछ देर बाद मैंने ही बातचीत शुरू करने की कोशिश की। मैंने पूछा, “कहाँ जा रही हो?” उसने जवाब दिया, “देवास। वहाँ मेरी मौसी के यहाँ एक महीने के लिए जा रही हूँ।” उसकी आवाज़ में एक मधुरता थी, जो मेरे कानों को भा गई। हमने धीरे-धीरे बातचीत बढ़ाई और पता चला कि उसका नाम प्रिया है और वह पढ़ाई के सिलसिले में शहर आई है। बातों-बातों में मैं उसके थोड़ा और करीब आ गया। उसकी खुशबू, जो हल्के फूलों जैसी थी, मेरे मन को मोह रही थी। मैंने महसूस किया कि मेरा शरीर उसकी नज़दीकी के कारण प्रतिक्रिया दे रहा है, और मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी पैदा हो गई।प्रिया भी शायद इस बात को भाँप गई थी, क्योंकि उसकी नज़रें बार-बार मेरी ओर जा रही थीं। मैंने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन मेरी भावनाएँ मेरे काबू से बाहर हो रही थीं। आखिरकार, मैंने धीरे से कहा, “तुम बहुत खूबसूरत हो।” उसने शर्माते हुए मुस्कुरा दिया और कहा, “शुक्रिया।” उसकी यह प्रतिक्रिया मेरे लिए एक तरह से प्रोत्साहन बन गई। मैंने उसका हाथ थाम लिया और वह भी मेरे स्पर्श से पीछे नहीं हटी। हमारी उँगलियाँ आपस में गुंथ गईं और एक गहरा जुड़ाव महसूस होने लगा।बस के आगे बढ़ने के साथ-साथ हमारी नज़दीकियाँ भी बढ़ती गईं। मैंने मौका देखकर उसके कंधे से हल्का सा स्पर्श किया और वह भी झुक कर मेरे करीब आ गई। उसकी साँसों की गर्मी मेरे गालों को छू रही थी और मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा, “तुम्हारे साथ होकर बहुत अच्छा लग रहा है।” उसने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसकी मुस्कान ने सब कुछ कह दिया। हम दोनों एक-दूसरे के लिए नए अनुभवों की तलाश में थे, और यह यात्रा हमारे लिए एक शुरुआत बन रही थी।बस जब देवास के करीब पहुँची, तो मैंने उससे पूछा, “क्या तुम मेरे साथ कुछ देर और रुक सकती हो?” प्रिया ने हिचकिचाते हुए कहा, “पर जगह?” मैंने जवाब दिया, “मेरे एक दोस्त का कमरा खाली है, वहाँ चल सकते हैं।” उसने कुछ पल सोचा और फिर हाँ में सिर हिला दिया। मेरा दिल खुशी से झूम उठा। हम दोपहर ढाई बजे देवास पहुँचे और सीधे मेरे दोस्त के कमरे की ओर चल पड़े। रास्ते में हमने एक दुकान से कुछ नाश्ता और पानी खरीदा। प्रिया थोड़ी शर्मा रही थी, लेकिन उसकी आँखों में एक उत्सुकता भी थी।दोस्त का कमरा छोटा था, लेकिन साफ-सुथरा। हम अन्दर आए और मैंने दरवाजा बंद कर दिया। कमरे में शांति थी, जो हमारी धड़कनों की आवाज़ को और भी स्पष्ट बना रही थी। मैंने प्रिया का हाथ पकड़ा और उसे अपने करीब खींच लिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने धीरे से उसके होंठों को चूमा और वह भी जवाब देने लगी। उसके होंठ नरम और मधुर थे, जैसे किसी फूल की पंखुड़ियाँ। हमारा पहला चुंबन लंबा और भावनाओं से भरा था, जिसने हमारे बीच की सारी दूरियाँ मिटा दीं।धीरे-धीरे हमने एक-दूसरे के कपड़े उतारने शुरू किए। प्रिया की सलवार-कमीज उतर गई और उसके नीचे एक साधारण सा अंडरवियर था। मैंने उसके शरीर को निहारा, जो युवा और कोमल था। उसके स्तन छोटे और आकर्षक थे, जिन्हें मैंने धीरे से छुआ। वह एक झटके के साथ सिहर उठी, लेकिन उसकी आँखों में सहमति थी। मैंने उसके स्तनों को चूमना शुरू किया और वह मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फँसाने लगी। उसकी साँसें तेज हो गईं और उसके शरीर से एक हल्की गर्मी निकल रही थी।हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गए और एक-दूसरे को देखते रहे। प्रिया का शरीर हल्के गोरे रंग का था, जिस पर सूरज की रोशनी की तरह एक चमक थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके पूरे शरीर को चूमने लगा। उसकी गर्दन, उसके कंधे, उसकी छाती—हर जगह मेरे होंठों ने एक निशान छोड़ा। वह मुझे चूमती रही और उसके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे। मैंने उससे कहा, “मेरा लिंग चूसो।” पहले तो वह हिचकिचाई, लेकिन फिर मेरी इच्छा के आगे झुक गई। जैसे ही उसने मेरा लिंग अपने मुँह में लिया, मुझे एक अद्भुत गर्माहट महसूस हुई।कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, “क्या तुमने पहले कभी ऐसा किया है?” उसने सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं, यह मेरा पहला मौका है।” मैंने उसे समझाया, “डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ।” मैंने उसे सीधा लिटाया और धीरे से उसकी योनि के पास अपना लिंग रखा। वह तनाव में थी, लेकिन उसकी आँखों में विश्वास था। मैंने एक झटका दिया और वह चिल्ला उठी। मैंने उसे शांत किया और धीरे-धीरे आगे बढ़ा। उसकी योनि तंग और गर्म थी, जिसने मुझे एक अद्भुत एहसास दिया।थोड़ी देर बाद प्रिया को भी आनंद आने लगा। उसकी साँसें गहरी हो गईं और उसने मेरे कंधों को जकड़ लिया। मैं तेजी से आगे-पीछे होने लगा और वह मेरे साथ तालमेल बिठाने लगी। हम दोनों की देहें एक दूसरे में घुलमिल गईं और कमरे में सिर्फ हमारी साँसों और चुंबनों की आवाज़ गूँज रही थी। मैंने उसे घोड़ी की मुद्रा में ले आया और पीछे से उसके साथ संबंध बनाने लगा। उसकी पीठ पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं और उसके बाल उसके चेहरे पर बिखर गए थे।हम दोनों ने कई बार संतुष्टि का अनुभव किया। जब मैंने अपना वीर्य उसके स्तनों पर छोड़ा, तो वह थककर बिस्तर पर गिर पड़ी। हम दोनों चिपक कर लेटे रहे और कुछ देर आराम किया। उसके बाद हमने नाश्ता किया और फिर से एक दूसरे के करीब आ गए। प्रिया ने इस बार खुद पहल की और मुझे चूमना शुरू कर दिया। हमने फिर से संबंध बनाए, इस बार और भी उत्साह के साथ। वह मेरे ऊपर चढ़ी और खुद ही गति बनाने लगी। उसकी आँखें बंद थीं और उसके चेहरे पर एक गहरी संतुष्टि थी।शाम होने लगी थी जब हमने अपने कपड़े पहने। प्रिया को अपनी मौसी के यहाँ जाना था। मैं उसे छोड़ने स्टेशन तक गया। रास्ते में मैंने कहा, “कल फिर मिलेंगे?” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, मैं यहाँ एक महीने तक रहूँगी।” उसकी आवाज़ में एक मिठास थी, जो मेरे दिल को छू गई। मैंने उसे विदा किया और वह बस में बैठकर चली गई। मैं वहाँ खड़ा रहा, उसकी यादों में खोया हुआ। अगले दिन मैंने उसे फोन किया, लेकिन वह अपने रिश्तेदारों के साथ किसी कार्यक्रम में गई हुई थी।फिर अगले दिन वह आई और हम फिर से मिले। उसने मुझे देखते ही बाँहों में भर लिया और चूमना शुरू कर दिया। हमारा शारीरिक संबंध फिर से शुरू हुआ, और इस बार हम और भी करीब आ गए। प्रिया ने कहा, “तुम मेरे लिए एक खास हो।” मैंने उसके होंठों को चूमा और कहा, “तुम भी।” हमने कई दिनों तक इस तरह मुलाकातें कीं, हर बार एक नया अनुभव जोड़ते हुए। वह मेरे जीवन में एक खूबसूरत याद बनकर रह गई। आज मैं इंदौर में रहता हूँ, लेकिन उस बस यात्रा और प्रिया की यादें आज भी मेरे दिल में ताजा हैं।

Leave a Comment