किसी गाँव में एक नवयुवक रहता था, जो अपने छोटे भाई के साथ गरीबी में जीवन बिता रहा था। उसके माता-पिता नहीं थे, और वह थोड़ी सी ज़मीन पर खेती करके मुश्किल से गुज़ारा करता था। एक दिन, गाँव के ज़मींदार के खेतों में पानी देते हुए, उसकी नज़र एक कुएँ के पास खड़ी एक लड़की पर पड़ी। वह इतनी सुंदर थी कि युवक उसे बस देखता ही रह गया। लड़की ने भी उसे देखा और दोनों की आँखें चार हो गईं। वह बंजारन थी, और उसकी आँखों में भी युवक के लिए उतनी ही चाहत दिख रही थी।
युवक और बंजारन दोनों एक-दूसरे में खोए हुए थे। बंजारन पानी माँगना भूल गई, और युवक के हाथ से रस्सी छूटकर बाल्टी समेत कुएँ में जा गिरी। बंजारन खिलखिलाकर हँसी, फिर एक पतली रस्सी और काँटा लेकर आई और कुएँ से बाल्टी निकाली। उनकी आँखों ही आँखों में बहुत कुछ कह दिया गया था। उस रात युवक को नींद नहीं आई, और अगले दिन वह फिर से अपने काम पर लग गया, आँखों में हल्की सी थकान थी। बंजारन पानी लेकर आई और चुपचाप चली गई, उनकी आँखें फिर कुछ कह गईं। कुछ दिनों बाद, बंजारन ने युवक को अपने पिता, जो कि ज़मींदार थे, से मिलवाया।
ज़मींदार बहुत लालची था। जब उसे पता चला कि युवक एक गरीब किसान है, तो उसने शादी से साफ मना कर दिया। बहुत मिन्नतों के बाद, ज़मींदार पाँच सौ चाँदी के सिक्के लाने पर बंजारन से शादी के लिए राज़ी हुआ। युवक पाँच सौ सिक्के कमाने के लिए दिन-रात मेहनत करने लगा। वह ज़मींदार के यहाँ दिन में काम करता और रात में भी अतिरिक्त मज़दूरी के लिए तैयार हो गया। वह बीमार होने पर भी काम करता रहा। एक महीने बाद, जब उसने ज़मींदार से अपने सौ सिक्के मांगे, तो ज़मींदार अपने वादे से मुकर गया।
युवक को गुस्सा आ गया। उसने गुस्से में ज़मींदार को पत्थर से मार दिया, जिससे ज़मींदार की मृत्यु हो गई। ज़मींदार के लोगों के पकड़ने से पहले ही युवक वहाँ से भाग निकला। वह कई दिनों तक भागता रहा, भूख से उसकी हालत खराब हो गई। चौथे दिन वह एक बगीचे में बैठा था, तभी एक युवती उसके सामने आई। युवती ने उसकी परेशानी सुनी और उसे भोजन कराया। वह युवती कोई और नहीं, एक जादूगरनी थी। रात हुई, और जादूगरनी ने युवक को अपना साथ देने को कहा। परंतु युवक का हृदय तो बंजारन के प्रेम से भरा था, वह किसी और के साथ नहीं रहना चाहता था।
युवक के मना करने पर जादूगरनी ने उसे श्राप दिया और अपनी जादुई शक्ति से उसे एक सुंदर कमल का फूल बनाकर एक तालाब में रख दिया। उधर, जादूगरनी ने बंजारन को यह विश्वास दिलाया कि वह उसे उसके प्रेमी से मिलवा देगी। उसने बंजारन को भी एक छोटे से कीड़े में बदल दिया। बंजारन, अब एक कीड़ा, तेज़ी से उड़ती हुई उसी तालाब में पहुँची जहाँ कमल का फूल था। कीड़ा कमल के फूल में समा गया। जादूगरनी उन्हें ढूँढ़ती रह गई, पर वे कभी नहीं मिले। इस तरह, उनका प्रेम भौतिक रूप से अलग होकर भी कमल और कीड़े के रूप में एक हो गया, जो अमर और अटूट बन गया।