प्रिय रानी, जब मैंने तुम्हें मुहर्रम के दौरान पहली बार देखा, तो मुझे लगा जैसे मेरे दिल में कुछ ख़ास हुआ हो। पहली ही नज़र में तुम मुझे इतनी अच्छी लगीं कि मैं तुमसे बात करने के बहाने ढूंढने लगा। न कोई फ़ोन नंबर था, न पता, बस दोस्तों से तुम्हारा नाम और थोड़ी जानकारी मिली। जैसे कोई दीवाना हो, मैं तुम्हें फेसबुक पर तलाशने लगा। जब तुम मिल गईं, तो तुम्हारी प्रोफ़ाइल देखने के बाद मैंने तुम्हें फ़्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। अगली सुबह जब मुझे तुम्हारी रिक्वेस्ट स्वीकार होने का नोटिफिकेशन मिला, तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। लेकिन जब मैंने उसे खोला, तो तुमने मुझे अनफ़्रेंड कर दिया था। यह देखकर मेरा दिल टूट गया। मैंने तुम्हें संदेश भेजना शुरू कर दिया, लेकिन तुमने मुझे ब्लॉक कर दिया। अपने प्यार को समझाने के लिए मैंने कई नई प्रोफ़ाइल बनाईं, पर तुमने मेरे सच्चे एहसास को कभी नहीं समझा।
मैं तुमसे बेपनाह प्यार करता था, पर तुम्हें परेशान करना नहीं चाहता था। इसलिए मैंने खुद को तुमसे दूर कर लिया, लेकिन चोरी-छिपे तुम्हें दूर से ही देखता रहा। कई बार तुम मुझे दिखाई दीं, और मुझे आज भी याद है कि तुमने किस दिन कौन से रंग की पोशाक पहनी थी। तुम्हारी हर छोटी बात मुझे याद रहती थी। फिर तुम MBA करने के लिए दूसरे शहर चली गईं, और मेरे लिए यह एक और दूरी थी। दिन में कई बार मैं तुम्हारी फेसबुक प्रोफ़ाइल देखता रहता, बस तुम्हारी एक झलक पाने की उम्मीद में, और मेरा इंतज़ार यूँ ही चलता रहा।
फिर नवंबर के महीने में एक दिन अचानक तुम्हारा फेसबुक पर संदेश आया, जिसमें तुम किसी फ़ोन नंबर के बारे में बात कर रही थी। बातों-बातों में रात के बारह बज गए और हमारी चैट रुक गई। मैं सो भी गया था। सुबह जब मैंने अपना फ़ोन देखा, तो एक संदेश था जिसमें लिखा था, “सॉरी, वो नेट पैक खत्म हो गया था।” उसके बाद तुमने मुझे अपना फ़ोन नंबर दिया। हमने तीन-चार बार बात भी की। मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था, लेकिन मुझे आज तक यह समझ नहीं आया कि तुमने मुझे संदेश क्यों भेजा था, जबकि उस समय तुम्हारे जीवन में एक या दो बॉयफ्रेंड पहले से ही थे। इस सवाल का जवाब मुझे आज तक नहीं मिला।
खैर, उन सवालों को मैंने छोड़ दिया। एक दिन मैं रात में ट्रेन से सफ़र कर रहा था और बोर हो रहा था। मैंने तुम्हें जन्मदिन वाला संदेश भेज दिया, जो कि बात शुरू करने का एक पुराना तरीका था, और यह तरकीब कामयाब रही। पहले हम केवल संदेशों पर ही बात करते थे, फिर फ़ोन पर बातें शुरू हो गईं। उस समय रिलायंस में रात दस बजे से सुबह छह बजे तक मुफ्त कॉल होती थीं। उस दिन हम रात के तीन बजे तक बातें करते रहे, फिर तुम सोने चली गई। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जिस इंसान से आप इतना प्यार करते हों, और वो आपसे इतनी लंबी बात करे, यह एहसास सिर्फ वही समझ सकता है जिसने किसी को सच्चे दिल से चाहा हो।
मैं भी घर आकर सो गया, क्योंकि मुझे रात में जल्दी सोने की आदत थी। सुबह जब मैं उठा, तो देखा तुम्हारे दो मिस कॉल और एक संदेश था, “घर पहुँचकर फ़ोन नहीं किया तुम्हें।” उस पल मुझे लगा जैसे मेरे अच्छे दिन आ गए हों। मैंने तुरंत तुम्हें कॉल किया, और फिर हमारी फ़ोन पर बातें शुरू हो गईं। हम हर रात बात करते और सुबह पाँच बजे तक सो जाते थे; तुम्हें फ़ोन पर बात करते हुए ही सो जाने की आदत थी। हमारी बातचीत के दौरान तुम हमेशा अपने बॉयफ्रेंड्स के बारे में ही बातें करती थी। मुझे बहुत गुस्सा आता था, पर मैं क्या कर सकता था? मैं तुम्हें नाराज़ नहीं करना चाहता था। तुमने साफ़ कह दिया था कि तुम मुझसे प्यार नहीं कर सकती, हम सिर्फ़ दोस्त हैं। मैंने हमेशा अपनी दोस्ती निभाई, भले ही मेरे दिल में कुछ और ही था।
छुट्टियों में जब तुम घर आई, तो मुझे तुमसे मिलना ही था। हमने मिलने की योजना बनाई। वह गर्मियों का शनिवार का दिन था, मैं तुम्हें अपनी बाइक से एक जगह ले गया, जहाँ हमने कुछ देर बातें कीं। तुम डार्क ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स में बेहद खूबसूरत लग रही थी। मुझे लगा जैसे अब मुझे सब कुछ मिल गया हो। पर यह सब ज़्यादा दिनों तक नहीं चला। चार सालों तक यह सिलसिला चलता रहा, इन सालों में हम मुश्किल से दो-तीन बार साथ में घूम पाए। फिर मैं भी नौकरी के लिए दूसरे शहर चला गया, और धीरे-धीरे हमारे बीच दूरियाँ बढ़ने लगीं। अब तो महीनों में एक बार, वो भी दो-तीन मिनट के लिए बात होती थी। लेकिन मेरा प्यार कभी कम नहीं हुआ। मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था, क्योंकि तुम किसी और से प्यार करती थी। यह मेरा एकतरफा प्यार था। मैंने तुम्हें बहुत भुलाने की कोशिश की, पर मैं ऐसा नहीं कर पाया। मैं आज भी तुमसे पागलों की तरह प्यार करता हूँ, और तुम्हारी खुशी के लिए ही तुमसे दूर हूँ। तुम्हारा पागल आशिक, आशु (परिवर्तित नाम)