मेरे मन में एक विचित्र इच्छा घर कर गई थी। मैं, अनिल, अपनी पत्नी सीमा को देखना चाहता था, जो एक स्कूल में अध्यापिका थी, किसी और पुरुष के साथ आनंद लेते हुए। यह कोई साधारण ईर्ष्या या क्रोध नहीं था, बल्कि एक गहरी, अटपटी कामुकता थी जो मेरे भीतर पनप रही थी। मैं चाहता था कि वह किसी दूसरे मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाए और मैं उसे देख सकूं। यह विचार मेरे दिमाग में बार-बार आता, मुझे उत्तेजित करता और एक अजीब सी शांति देता था। सीमा की सुंदरता, उसकी हंसी, उसके चलने का ढंग, सब कुछ अब मेरे लिए इसी कल्पना का हिस्सा बन गया था। मैं यह सोचकर ही रोमांचित हो उठता कि कोई दूसरा आदमी उसके शरीर को छुए, उसकी गर्माहट महसूस करे।
सीमा के स्कूल में एक नया शिक्षक आया, सुरेंद्र। जब भी मैं सीमा को स्कूल छोड़ने जाता, मैंने ध्यान दिया कि सुरेंद्र की नजरें अक्सर उस पर टिकी रहती थीं। वह उससे बात करने के मौके तलाशता, हंसी-मजाक में शामिल होता। शुरू में सीमा ने सामान्य व्यवहार रखा, लेकिन धीरे-धीरे उसके चेहरे पर भी एक हल्की सी मुस्कान आने लगी जब सुरेंद्र आसपास होता। स्कूल के खाली पड़े समय में, जब ज्यादातर कर्मचारी चले जाते, ये दोनों अक्सर साथ बैठे दिखाई देते। हवा में एक अलग तरह का तनाव घुलने लगा था, जिसे महसूस करना मुश्किल नहीं था।
एक दिन सीमा ने मुझे बताया कि सुरेंद्र का किसी और महिला से संबंध था और उनके बीच सब कुछ हो चुका था। उसकी आवाज में कोई निर्णय नहीं था, बस एक सूचना थी। इसका मतलब था कि सुरेंद्र अनुभवी था, सेक्स के मामले में उसे ज्ञान था। इस बात ने मेरी कल्पनाओं को और हवा दी। फिर कुछ समय बाद सीमा ने कहा कि सुरेंद्र का वह संबंध टूट गया है और वह महिला कहीं चली गई है। अब सुरेंद्र अकेला था, और मेरी पत्नी के प्रति उसका आकर्षण और स्पष्ट हो गया लगता था।
जब सीमा का स्कूल जाना कुछ दिनों के लिए बंद हुआ, तो सुरेंद्र का फोन आना शुरू हो गया। पहले तो मैंने सोचा, स्कूल के काम की बात होगी। लेकिन वे घंटों बातें करते। फिर एक दिन से, जैसे ही सुरेंद्र का फोन आता, सीमा टेरेस पर चली जाती, अपनी बातचीत को निजी बनाने के लिए। मैंने जानबूझकर इस पर ध्यान नहीं दिया। मैं चाहता था कि उनके बीच की यह खींचतान बढ़े, वे एक-दूसरे के लिए तड़पें। मेरे मन की यह योजना धीरे-धीरे आकार ले रही थी।
कुछ दिन बाद सुरेंद्र हमारे घर आ गया। उस दिन मैं घर पर ही था। मैंने उसे रोककर रखने का बहाना बनाया और नाश्ता बनाने को कहा। तभी कचरा लेने वाले का आना हुआ और मैं नीचे चला गया। जानबूझकर मैंने वापस आने में देर की ताकि ऊपर सीमा और सुरेंद्र अकेले रहें। सीढ़ियां चढ़ते हुए मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था। मैं सोच रहा था, क्या हो रहा होगा ऊपर? क्या वे करीब आए होंगे? यह विचार मात्र मुझे उत्तेजित कर देता था।
उसी पल मेरे मन में एक और विचार कौंधा। क्यों न सुरेंद्र से ही सीमा को संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया जाए? इससे मुझे भी एक तरह का थ्रीसम का आनंद मिल सकता था, और शायद मैं उनकी एक वीडियो भी बना सकता था, जिसे बाद में देखकर सीमा के साथ और मजा ले सकूं। यह विचार खतरनाक था, लेकिन मेरे लिए बेहद आकर्षक। मैंने सुरेंद्र से दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी, व्हाट्सएप पर बातचीत करने लगा ताकि वह बार-बार हमारे घर आने लगे। और वही हुआ। स्कूल बंद होने के कारण सीमा घर पर ही रहती थी, और सुरेंद्र किसी न किसी बहाने आ जाता। मैं भी अब उसके आने पर कोई न कोई काम निकालकर उन दोनों को अकेला छोड़ देता।
मुझे पता था कि सीमा का पहले एक विलास नाम के लड़के से संबंध रहा था, लेकिन अब वह नहीं आता था। इस वजह से शायद सीमा का सेक्स में मन नहीं लगता था। मैं सोचता, अगर सुरेंद्र के साथ उसका संबंध बन जाए, तो वह फिर से उस आनंद को महसूस कर सकेगी। उसे एक नया अनुभव मिलेगा। सुरेंद्र और सीमा के बीच नजदीकियां बढ़ रही थीं। वे एक-दूसरे की तरफ आकर्षित हो रहे थे, और मैं बस एक मौके की तलाश में था कि कब यह सब वास्तविकता में बदले।
एक दिन जब सीमा घर पर नहीं थी, मैंने सुरेंद्र को बुलाया। मैंने जानबूझकर उसे शराब पिलानी शुरू की। थोड़ी शराब चढ़ने पर मैंने सीधा सवाल किया, “सीमा तुम्हें कैसी लगती है?” नशे की हालत में वह बकने लगा, “क्या मस्त औरत है यार… उसके शरीर को देखकर ही मेरा दिल धड़कने लगता है। मैं हमेशा सोचता हूं कि काश वह मेरे साथ हो… पर क्या वह मानेगी?” उसकी आंखों में इच्छा साफ झलक रही थी। मैंने कहा, “तुम कोशिश तो करो। वह तुम्हें मना नहीं कर पाएगी। तुम्हें बस उसे गर्म करना होगा, उसके मन को तैयार करना होगा।”
मैंने उसे बताया कि पहले विलास नाम के एक लड़के ने भी सीमा के साथ संबंध बनाए थे, और सीमा ने मुझे सब कुछ बताया था। मैंने कहा कि मैंने ही सीमा को कहा था कि अगर विलास कुछ करना चाहे, तो करने देना। सुरेंद्र हैरानी से मेरी तरफ देख रहा था। मैंने आगे बताया, “एक दिन सीमा ने फोन करके बताया था कि हां, हमने संबंध बना लिया है।” यह सुनकर सुरेंद्र की आंखों में नशा और बढ़ गया, और उसने अपना गिलास एक घूंट में खाली कर दिया। मैंने उसके गिलास में फिर से शराब डाली और बताना जारी रखा कि कैसे सीमा ने विलास के साथ के अनुभव का मजा लिया था।
सुरेंद्र अब और उत्सुक हो गया था। वह सीमा के बारे में सीधे-सीधे पूछने लगा, “वह अपनी देह की सफाई रखती है क्या? वह… ओरल सेक्स करती है क्या?” मैंने जवाब दिया, “हां, वह अपनी देह की पूरी सफाई रखती है। उसे डॉगी स्टाइल पसंद है। तुम्हें उसे नंगा देखकर संबंध बनाने में बहुत मजा आएगा, लेकिन एक शर्त है, तुम्हें यह मेरे सामने करना होगा।” सीमा के बारे में ऐसी बातें सुनकर सुरेंद्र और अधिक उत्तेजित हो गया। मैंने अचानक उसकी जांघ पर हाथ रख दिया, और फिर आगे बढ़कर उसके लिंग को महसूस किया। वह बहुत मोटा और तना हुआ था।
सुरेंद्र ने पूछा, “क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “मुझे देखना है कि तुम सीमा के साथ संबंध बना पाओगे कि नहीं। वैसे विलास का तो वह कई बार सह चुकी है, तो तुम्हारा भी सह लेगी।” यह कहते हुए मैंने उसका लिंग बाहर निकाल लिया। वह काला, मोटा और लंबा था, जैसे कोई सांप तना हुआ हो। मेरा लिंग उसके सामने छोटा लग रहा था। मैंने उसके लिंग पर हाथ फेरना शुरू किया। सुरेंद्र आहें भरने लगा, “आह… ओह… अच्छा लग रहा है।” मैंने कहा, “सीमा भी तुम्हारा लिंग देखकर खुश हो जाएगी। अगर वह एक बार इसे अंदर ले लेगी, तो फिर बार-बार मांगेगी।”
मैंने उसका हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया। वह बड़बड़ाने लगा, “आह सीमा… क्या शरीर है तुम्हारा… एक बार दे दो… आह तुम्हारी कमर, तुम्हारे स्तन… तुम मेरे सपनों में आती हो… लगता है तुम नंगी हो और मेरा लिंग तुम्हारे अंदर है… आह… और करो… आह!” मैंने पूछा, “कैसा लग रहा है? अभी सोचकर ही इतना मजा आ रहा है, तो अंदर डालोगे तब कितना मजा आएगा!” तभी मैंने उसके लिंग पर अपने होंठ रखे और उसे चूसना शुरू कर दिया। सुरेंद्र हैरान था, “अनिल, क्या तुम भी ऐसा करते हो?” मैंने कहा, “हां। अगर तुम मेरे सामने सीमा के साथ संबंध बनाना चाहते हो, तो पहले मेरे साथ यह सब करोगे।”
शराब के नशे में सुरेंद्र की हिचकिचाहट कम हो गई थी। वह बड़बड़ाया, “हां यार अनिल, अपनी बीवी सीमा को एक बार तो दिलवाओ ना!” मैंने कहा, “हां, तुम एक बार उसके साथ संबंध बना लोगे, तो बार-बार आओगे।” मैं उसका लिंग जोर-जोर से चूसने लगा। वह मुझे ही सीमा समझकर मेरे बालों में हाथ फेरने लगा, “आह सीमा चूसो… मेरा लिंग… मजा आ रहा है… आह… एक बार मेरा लिंग अंदर ले लो…” मैंने गति बढ़ा दी। तभी वह चिल्लाया, “आह सीमा, मैं निकलने वाला हूं… अंदर करो… आह… मैं तुमसे प्यार करता हूं डार्लिंग!” उसने मेरा सिर अपने लिंग के ऊपर दबा दिया और उसका वीर्य मेरे मुंह में आ गया। वह इतने नशे में था कि उसे पता ही नहीं चला कि क्या ह