अंतर्वासना: एक गाँव के लड़के और उसकी शहरी भाभी की कहानी

मेरा नाम दीपू है और मैं चौबीस साल का एक युवक हूँ। गाँव में रहते हुए मैंने कई प्रयास किए पर सफलता नहीं मिली। एक दिन मैंने दिल्ली जाकर नौकरी करने का फैसला लिया। हमारे गाँव में एक भैया रहते थे जो दिल्ली में ऊँची सैलरी वाली नौकरी करते थे। उनकी सुंदर पत्नी, शानदार गाड़ी और महँगे शौक देखकर मेरे मन में भी उनकी तरह बनने की इच्छा जागी। मैंने उन्हीं के पास जाने का निश्चय किया। भैया ने मुझे अगले दिन अपने ऑफिस आने को कहा। जब मैं उनके ऑफिस पहुँचा तो वहाँ का वातावरण देखकर मेरे मन में एक अजीब सी जलन महसूस हुई। मैं सोचने लगा कि ये लोग अपनी जिंदगी के मजे ले रहे हैं और हम गाँव में बस ऐसे ही जी रहे हैं।

भैया से मिलने पर उन्होंने मुझे थोड़ी देर बाहर इंतज़ार करने को कहा। मैं बाहर बैठकर ऑफिस के माहौल को देखने लगा। वहाँ काम करने वाली लड़कियाँ बहुत सुंदर थीं। उनके टाइट कपड़े उनके शरीर के आकर्षक हिस्सों को साफ दिखा रहे थे। एक-दो लड़कियों ने स्कर्ट पहनी हुई थी जिससे उनकी नंगी टाँगें बहुत आकर्षक लग रही थीं। मेरा मन उन्हें देखकर भटकने लगा। मैंने सोचा कि गाँव में तो कोई लड़की फँसी नहीं है पर यहाँ थोड़े पैसे कमाकर ऐसे ही किसी सुंदर लड़की को अपनी ओर आकर्षित कर सकता हूँ। मेरे मन में तरह-तरह के विचार आने लगे।

शाम होते-होते भैया ने मुझे बुलाया और कहा कि मेरी नौकरी का इंतजाम हो गया है। मैं उनके साथ गाड़ी में बैठ गया। रास्ते में उन्होंने मुझे बताया कि मुझे उनके घर पर रहना है और भाभी के साथ घर के काम में मदद करनी है। साथ ही बच्चों को स्कूल ले जाने और लाने का काम भी मेरा होगा। मैंने हाँ कह दी। भैया ने कहा कि मुझे रहने-खाने की सुविधा मिलेगी और दस हजार रुपये महीना वेतन भी। मैं सोचने लगा कि दस हजार रुपये तो पूरे के पूरे बच जाएँगे पर मेरी इतनी पढ़ाई के बाद मैं सिर्फ एक ड्राइवर और हेल्पर बन गया हूँ। ऑफिस में जो सपने देखे थे वो सब टूट गए।

जब हम भैया के घर पहुँचे तो उनकी पत्नी ने दरवाजा खोला। वो बहुत गोरी और सुंदर थीं, दूध जैसा सफ़ेद रंग और काली साड़ी पहनी हुई थीं। गाँव में मैंने उन्हें कई बार देखा था पर कभी उनसे बात करने का मौका नहीं मिला था। भाभी ने मुझे देखकर कोई खास खुशी नहीं जताई और न ही मुझसे कोई बात की। हम सबने खाना खाया और सोने चले गए। उनके दोनों बच्चे गोलू और प्रियांक मेरे साथ खेलने लगे। वो दोनों छोटे थे इसलिए उन्हें मुझसे घुलने-मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई। थोड़ी ही देर में मैं उनके साथ घुल-मिल गया और रात को उनके कमरे में ही सो गया।

अगली सुबह मैं गाँव की आदत के अनुसार पाँच बजे उठ गया। किचन में रखे बर्तन देखकर मुझे समझ आ गया कि अब यही मेरी जिंदगी है। मैंने बर्तन साफ किए, घर की सफाई की, फिर गार्डन में जाकर दोनों गाड़ियाँ धोईं और पूरे गार्डन में पानी दिया। गोलू और प्रियांक मेरे पास आ गए तो मैं उनके साथ खेलते-खेलते अपना काम करने लगा। तभी भाभी अपनी रात वाली साड़ी को ठीक करते हुए मेरे पास आईं। मैं समझ गया कि रात में उनकी पति के साथ अंतरंगता हुई होगी। मन तो करता था कि उनके गोरे शरीर को देखता रहूँ पर मैं अपनी भाभी के बारे में ऐसे सोचकर डर गया। मैंने सोचा कि किसी तरह काम करके भाभी के साथ थोड़ा जुड़ जाऊँ फिर किसी लड़की को फँसाकर अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बना लूँगा।

चार-पाँच दिन तक मैं भाभी के साथ घर के सारे काम में मदद करता रहा और बच्चों के साथ भी अच्छे से जुड़ गया। एक दिन बच्चे मेरे मोबाइल में गेम खेल रहे थे तो भाभी ने देख लिया और उन पर गुस्सा हो गईं। मैं चुपचाप देखता रहा। फिर भाभी मेरे पास आईं और बोलीं कि अपना मोबाइल बच्चों को मत दिया करो, इसमें तुम्हारा पर्सनल डाटा होगा और ये अभी बच्चे हैं। मैंने कहा, भाभी, मेरी जिंदगी में कुछ पर्सनल नहीं है। वैसे भी मिडल क्लास लड़कों की जिंदगी या तो खराब होती है या फिर संघर्ष करके खत्म हो जाती है। भाभी ये सुनकर चुप हो गईं। मैं डर गया कि कहीं मेरी नौकरी न चली जाए। शाम को हम सब पार्क में गए तो भाभी ने पति को कॉल करने का बहाना बनाकर मेरा फोन ले लिया। मैं समझ गया कि वो मेरा मोबाइल चेक करेंगी पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि मेरे मोबाइल में कुछ खास नहीं था।

अब भाभी का नजरिया बदल गया था, वो पहले से ज्यादा ख्याल रखने लगी थीं। वैसे भी मेरा पूरा दिन उनके साथ ही गुजरता था। रात को मैं बच्चों के साथ सोता था और भाभी-भैया दूसरे कमरे में रहते थे। मैं अपने मन में अपनी अकेली जिंदगी के बारे में सोचने लगा। कैसे चौबीस साल का जवान लड़का तन्हाई में अपनी रातें गुजारता है। अगली सुबह भाभी ने पूछा, क्या तुम शादी नहीं करोगे? तो मैंने कहा, भाभी, मैं दस हजार रुपये की नौकरी करके अपने मम्मी-पापा की मदद करता हूँ। शादी कर ली तो मेरी पत्नी का खर्चा कौन उठाएगा? मेरे भैया ये बात सुनकर बोले, कोमल, दीपू की सैलरी थोड़ा बढ़ाकर देना अभी से। भैया के ऑफिस जाने के बाद भाभी ने मुझे पंद्रह हजार रुपये दिए और बोलीं, तुम ठीक से बात करके अच्छे कपड़े लेकर आओ। मैंने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है, शाम को उनके घर जाना है। मैं सोचने लगा कि भाभी ने इतना प्यार कैसे दिखा रही हैं।

मैंने अच्छे से हेयर सेट करवाए और नए कपड़े पहने। कई बार खुद को देखा और सोचा, पैसे हों तो जिंदगी कितनी अच्छी हो सकती है। सरकारी नौकरी की तैयारी में इतनी मेहनत की और शरीर बनाया, वो नौकरी तो नहीं मिली पर इतना अच्छा शरीर क्या सबके पास होता है। जब मैं घर लौटा तो भाभी कमरे से बाहर निकल रही थीं, मुझे देखकर वो दरवाजे के पास ही खड़ी हो गईं। मुझे लगा कि भाभी मेरी ओर आकर्षित हो रही हैं। पर अचानक उन्हें चक्कर आया और वो गिर गईं। मैं भागकर उनके पास गया और उन्हें उठाकर बेड पर लिटा दिया। मैंने बार-बार पूछा कि क्या हुआ पर वो कुछ नहीं बोलीं। मैंने डरकर भैया को फोन कर दिया। मैं दोनों का खाना बेड पर ही ले आया और भाभी ने खाना खाया। अगले दिन भैया काम पर नहीं गए और बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जिद की पर भाभी नहीं गईं। पूरा दिन ऐसे ही निकल गया और भैया-भाभी अपने कमरे में ही रहे।

शाम को भैया बाहर गए और मैंने खाना बनाया। बच्चों को खाना खिलाकर उनका खाना रूम में ले गया तो भाभी बोलीं- बच्चों को सुला देना, मैं थोड़ी देर बाद आऊँगी। बच्चे सो गए तो भाभी धीरे से मेरे पास आईं और बोलीं, दीपू, आओ, तुम भी एक-दो पेग मार लो। मैंने जवाब दिया, भाई को पता चल गया तो… भाभी बोलीं, हम सब पीते हैं, कुछ नहीं होगा, तू आ जा। मैं भाभी के पीछे-पीछे कमरे में आ गया, वहाँ भाई लेटे हुए थे तो मैंने भाई की तरफ इशारा किया। भाभी ने मुझे बेड पर चुपचाप बैठने को कहा। फिर हमने दो-दो पैग लिए, वो बोतल खत्म हो गई। भाभी बोलीं, और पीनी है क्या दीपू? मैं बोला, भाभी, अभी तो रात हो गई। भाभी बोलीं, कोई बात नहीं, हम पब में चलेंगे। और हम दोनों बाहर आ गए। मैंने गाड़ी का लॉक खोला तो भाभी डर गईं कि कहीं उनके पति उठ गए हों, उन्होंने चुपचाप गाड़ी निकालने को कहा।

हम दोनों गाड़ी में बैठकर जा रहे थे, रास्ते सुनसान थे क्योंकि ये अंदर कॉलोनी की सड़क थी। थोड़ी मदहोश होकर भाभी बोलीं, दीपू, तुमने कभी सेक्स किया है? मैंने अचानक ब्रेक मार दिए और भाभी के मुँह की तरफ देखने लगा। भाभी बोलीं, यार, तुम जवान हो और कोई गर्लफ्रेंड नहीं, तो… मैं बोला, भाभी, मुझे कौन देगी, मैं तो ऐसे ही… भाभी ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और उनके सिर को दबाकर बोलीं, चूसो इन्हें… मेरे दिमाग में वो वीडियो वाले सीन याद आ गए जो अक्सर देखने को मिलते हैं। भाभी की अंतर्वासना की आग को मैं समझ गया तो मैंने भी अपनी भाभी को पूरी तरह संतुष्ट करने का मन बना लिया। मैं पागल की तरह उनकी गर्दन और क्लीवेज में चूसने लगा। भाभी आह करके अ

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