मेरा नाम बब्बी है और मैं झारखंड के जमशेदपुर शहर का रहने वाला हूँ। पांच फुट ग्यारह इंच की लंबाई वाला यह शरीर अब रांची में एक नौकरी कर रहा था, जहाँ मेरे बचपन के दोस्त अनूप की माँ अनुजा आंटी के साथ वह घटना घटी जिसने सब कुछ बदल दिया। अनूप उड़ीसा में पढ़ाई कर रहा था और उसकी माँ को रांची के एक त्वचा विशेषज्ञ से अपॉइंटमेंट मिला था। उसने फोन करके मुझसे मदद मांगी क्योंकि उसके पिता सरकारी शिक्षक होने के नाते ट्रेनिंग क्लासेज में व्यस्त थे और अनूप के खुद के परीक्षाएं चल रही थीं। मैंने तुरंत हाँ कर दी, क्योंकि दोस्त की माँ को मदद देना मेरे लिए स्वाभाविक था। उस समय तक मेरे मन में कोई गलत इरादा नहीं था, बस एक सहज सहायता की भावना थी। मैंने तुरंत ऑफिस से एक दिन की छुट्टी ले ली और अगले दिन की तैयारी में लग गया।
सुबह नौ बजे रांची बस स्टैंड पर मैंने अनुजा आंटी और उनकी बेटी दिव्या को लिया। आंटी की लंबाई लगभग पांच फुट दो इंच थी और दिव्या पांच फुट चार इंच की थी। दोनों साधारण ग्रामीण परिधान पहने हुए थीं, लेकिन आंटी के चेहरे पर एक सहज सुंदरता थी जो ध्यान खींचती थी। मैं उन्हें अपने एकल कमरे में ले आया, जहाँ सिर्फ एक बिस्तर था। कमरे की सादगी और उनकी उपस्थिति ने एक अजीब सा माहौल बना दिया था। आंटी ने बताया कि उन्हें पूरे शरीर में एलर्जी की समस्या थी और इसीलिए वे इस विशेष डॉक्टर के पास आई थीं। हमने नाश्ता किया और फिर डॉक्टर के क्लिनिक की ओर चल पड़े, जो मेरे कमरे के ठीक सामने ही था।
डॉक्टर के क्लिनिक पर पहुँचकर हमें पता चला कि वह समय पर नहीं आए हैं। घंटों इंतज़ार करने के बाद दोपहर दो बजे खबर मिली कि डॉक्टर आज नहीं आ पाएंगे और सभी अपॉइंटमेंट अगले दिन सुबह छह बजे के लिए स्थगित कर दिए गए हैं। मैंने आंटी से कहा कि अगर वे आज शाम को वापस चली गईं तो कल सुबह छह बजे तक वापस नहीं पहुँच पाएंगी। मैंने उन्हें अपने कमरे में रुकने का प्रस्ताव दिया, यह कहते हुए कि मैं तो उनके बेटे जैसा ही हूँ। मैंने अनूप से बात की और उसने भी यही सलाह दी। आंटी ने हिचकिचाते हुए हाँ कह दी, लेकिन मैंने महसूस किया कि उनकी आँखों में एक अजीब सी असहजता थी।
दोपहर के भोजन के दौरान आंटी ने कहा कि वे रात के लिए अतिरिक्त कपड़े नहीं लाई हैं, इसलिए उन्हें कुछ खरीदारी करनी पड़ेगी। मैंने उन्हें एक मॉल ले जाने का प्रस्ताव रखा। मॉल में लेडीज़ सेक्शन में जाते समय मैं बाहर एक कुर्सी पर बैठ गया। वहाँ से मैंने देखा कि आंटी ने एक नाइटी और दिव्या ने एक नाइट ड्रेस चुनी। दोनों ने ब्रा और पैंटी के सेट भी लिए, जिसे वे मुझसे छुपाना चाहती थीं। शॉपिंग के बाद हमने कुछ नाश्ता किया और वापस कमरे में आ गए। कमरे में वापस आकर मैंने उनसे कहा कि कल जल्दी उठना है, इसलिए आज जल्दी सो जाना चाहिए। मैंने उन्हें तैयार होने के लिए कहा और खाना लेने के बहाने बाहर चला गया।
बाहर निकलते ही मेरे मन में अजीब विचार आने लगे। आंटी की सुंदरता और उनके शरीर के मोहक आकर्षण ने मुझे बेचैन कर दिया था। मैंने एक सिगरेट जलाई और फिर एक मेडिकल स्टोर से दो वियाग्रा की गोलियाँ और एक स्लीपिंग पिल ले ली। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था, डर और उत्तेजना के मिश्रित भावों से घिरा हुआ। फिर मैंने रेस्तरां से रात का खाना पैक करवाया और एक बड़ी कोल्ड ड्रिंक की बोतल ली। कमरे में वापस आते ही मैं हैरान रह गया। अनुजा आंटी नई नाइटी में इतनी आकर्षक लग रही थीं कि मैं उन्हें देखता ही रह गया। उनके उभरे हुए स्तन और नाइटी के अंदर झलकती ब्रा ने मेरे मन को और भी अशांत कर दिया।
खाने के दौरान मैं बार-बार आंटी की ओर देख रहा था। उनकी बेटी दिव्या भी अपनी नाइट ड्रेस में सुंदर लग रही थी, लेकिन मेरी नज़रें आंटी के स्तनों पर टिकी हुई थीं। मैं अपने आप को संभालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मन में एक अजीब सी लालसा जाग रही थी। खाना खत्म करने के बाद मैंने आंटी के लिए बिस्तर पर बिछावन लगाया और अपने लिए नीचे फर्श पर। आंटी ने कई बार कहा कि वे नीचे सो जाएंगी, लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया। अब मेरे पास अपनी योजना को अंजाम देने का समय आ गया था।
मैं किचन में गया और तीन गिलास में कोल्ड ड्रिंक निकाली। अपने और आंटी के गिलास में मैंने एक-एक वियाग्रा की गोली डाल दी और दिव्या के गिलास में स्लीपिंग पिल मिला दी। सबने कोल्ड ड्रिंक पी ली और फिर हमने लाइट बंद करके सोने का नाटक किया। मैं चुपचाप इंतज़ार करने लगा। लगभग आधे घंटे बाद मुझे आंटी के पास से हलचल सुनाई दी। वे बेचैन लग रही थीं और उनके शरीर पर पसीना आ रहा था। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी नाइटी की डोरी खोल दी, जिससे उनकी ब्रा और पैंटी साफ दिखने लगी। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था और मैं डर और उत्तेजना के बीच झूल रहा था।
अचानक आंटी बिस्तर पर उठकर बैठ गईं। उनकी खुली हुई नाइटी के कारण ब्रा में कैद उनके स्तन साफ दिख रहे थे। मैंने आँखें आधी बंद कर लीं, लेकिन देखा कि आंटी की नज़र मेरे पैंट में बने उभार पर टिकी हुई थी। फिर वे उसी अधनंगी हालत में बाथरूम की ओर चल दीं। जब वे कुछ देर तक वापस नहीं लौटीं तो मुझे चिंता हुई। मैं चुपके से बाथरूम की ओर गया और अन्दर झाँका। मैंने देखा कि आंटी ने अपनी पैंटी नीचे खिसका दी थी और वे अपनी चुत में उंगली कर रही थीं। उनके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं। यह देखकर मेरे होश उड़ गए और मेरा लिंग तुरंत खड़ा हो गया। मैंने सोचा कि यही सही मौका है, लेकिन अभी तक मैंने कुछ नहीं किया था। अगले भाग में मैं बताऊंगा कि आगे क्या हुआ।