अपनी भाषा का जादू

संजीव और पंकज, गोरखपुर के गहरे दोस्त, अपनी उच्च शिक्षा के लिए बैंगलोर चले गए। उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी, हालांकि वे थोड़ी हिंदी बोल लेते थे, जिसमें अक्सर भोजपुरी का पुट होता था। कन्नड़ बहुल बैंगलोर शहर ने उन्हें तुरंत एक चुनौती पेश की। शुरुआत में, कुछ भी समझ पाना मुश्किल था। जबकि कुछ लोग … Read more

सच्ची पदवी

एक बार की बात है, एक उच्च अधिकारी अपने बेटे के साथ एक फाइव स्टार होटल से वापस आ रहे थे। रास्ते में उन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगाया था, जिस पर एक हवलदार ने उनकी गाड़ी रोक ली और चालान बनाने लगा। अधिकारी अपने पद का रौब झाड़ने लगे और हवलदार को धमकाया। मजबूर होकर … Read more

महत्वाकांक्षा और प्रेम

पंकज स्वभाव से बेहद किताबी कीड़ा था। उसे बाहरी दुनिया या सामाजिक मेलजोल में कोई खास रुचि नहीं थी। उसका अपना एक छोटा सा संसार था, जो किताबों से भरा था। जब उसके पिताजी का तबादला इंदौर हुआ और वे एक पॉश मोहल्ले में फ्लैट लेकर रहने लगे, तो पंकज अपने परिवार के साथ नए … Read more

सच्ची मदद

एक बार की बात है, एक चिड़िया ने अपने घोंसले में प्यारे बच्चों को जन्म दिया। वे बहुत छोटे थे और उन्हें अभी ठीक से उड़ना नहीं आता था। एक दिन, उनमें से एक बच्चा धीरे-धीरे घोंसले से दूर उड़ गया। शाम होते-होते, जब वह अपने घर नहीं पहुँचा, तो उसका परिवार चिंतित हो उठा, … Read more

किताबी कीड़ा और स्कूटी वाली लड़की का पीछा

मिर्जापुर का संजीव एक गहन किताबी कीड़ा था। उसकी दुनिया किताबों से शुरू होकर किताबों में ही समाप्त होती थी। पाठ्यपुस्तकों के अलावा भी वह बहुत कुछ पढ़ता था, लेकिन अत्यधिक ज्ञान भी कभी-कभी बोझ बन जाता है। संजीव के साथ भी यही हुआ। दुनिया से बेखबर, वह किताबों में इतना खो गया कि अचानक … Read more

पिपलाद और शनि का विधान

महर्षि दधीचि के बलिदान के उपरांत उनकी पत्नी पति वियोग सहन न कर सकीं। अपने तीन वर्षीय पुत्र को एक विशाल पीपल वृक्ष के खोखले तने में छोड़कर वे सती हो गईं। बालक भूख-प्यास से तड़पकर रोने लगा। जब भूख असहनीय हो गई, तो वह कोटर में गिरे हुए पीपल के फलों को खाकर अपना … Read more

फिर से मोहब्बत

रोहन और प्रिया बचपन के दोस्त थे, जिनके दिलों में एक-दूसरे के लिए खास जगह थी। उनके खेल-कूद, हंसी-मजाक और छोटे-छोटे झगड़े धीरे-धीरे गहरे प्यार में बदल गए। समय के साथ, ज़िम्मेदारियों और दूरियों ने उन्हें अलग कर दिया, लेकिन उनकी यादें उनके साथ रहीं। वर्षों बाद, जब नियति ने उन्हें एक छोटे से कैफे … Read more

अभिमान का पत्थर और ज्ञान की विडंबना

सड़क पर पड़े पत्थरों के बीच से एक पत्थर ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित किया। “मैं भला क्यों दूसरों के साथ बंधा रहूं? मैं भी तो अपनी राह बना सकता हूँ!” उसने सोचा। तभी एक लड़का आया और उसे उठा लिया। पत्थर गर्व से भर उठा, “मैं चलना चाहता था, और देखो, मैं चल रहा … Read more

बदलते रिश्ते और एक माँ की अंतिम इच्छा

सोहन के पिता, जो एक बैंक में प्रबंधक थे, का तबादला गोरखपुर हो गया। यह सोहन की माँ का नानी का गाँव भी था, इसलिए उन्हें वहाँ जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। सोहन की माँ ने पहले ही रिश्तेदारों की मदद से एक अच्छा फ्लैट किराए पर ले लिया था। सोहन दिल्ली में एक … Read more

चंदन का वन और नादान लकड़हारा

एक समय की बात है, एक राजा शिकार करने जंगल गए। उनकी नज़र एक हिरन पर पड़ी और उनका घोड़ा उसके पीछे दौड़ने लगा। अचानक हिरन झाड़ियों के पीछे गायब हो गया। सूर्य अस्त हो रहा था और राजा अपने महल से मीलों दूर आ चुके थे। रात में जंगल के हिंसक जीवों का खतरा … Read more