बारिश की रात में माँ और बेटे का वर्जित रहस्य

पंजाब के एक सुदूर गाँव में मूसलाधार बारिश की एक रात थी। आसमान से गिरते पानी की धाराओं ने पूरे इलाके को जलमग्न कर दिया था। रानो, एक चौंतीस वर्षीया युवा माँ, अपने बेटे रवि के साथ खेतों में बने एक छोटे से कमरे में बंद थी। उसकी आँखों में भूख की चमक थी, और पेट की ज्वाला उसे बेचैन कर रही थी। बाहर बारिश का पानी झरनों की तरह गिर रहा था, और हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली हुई थी। रानो ने अचानक फैसला किया कि वह बारिश में भीगकर पास के बाग से संतरे और अमरूद तोड़कर लाएगी। उसने रवि से कहा, “बेटा, चलो बारिश का मजा लेते हुए कुछ फल ले आते हैं।” रवि, जो अठारह वर्ष का जवान लड़का था, ने हिचकिचाते हुए हाँ कह दी। दोनों बारिश में कूद पड़े। ठंडी बूंदें उनके शरीर पर पड़ते ही कपड़े चिपक गए, जिससे रानो के उभरे हुए अंग साफ़ दिखने लगे। रवि की नज़रें अनजाने में ही अपनी माँ के शरीर पर टिक गईं। उसके मन में एक अजीब सी उथल-पुथल शुरू हो गई, जिसे वह समझ नहीं पा रहा था। बारिश की ठंडक के बावजूद उसके शरीर में गर्मी दौड़ने लगी। रानो ने अचानक अपने गीले कपड़े उतार फेंके और रवि से कहा, “ये कपड़े तो भारी हो गए हैं, इन्हें उतार दो।” रवि ने देखा कि उसकी माँ पूरी तरह नग्न खड़ी है, बारिश की बूंदें उसके चिकने शरीर पर मोतियों की तरह लुढ़क रही थीं। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, और शरीर के एक हिस्से में एक अजीब सी कड़कपन महसूस हुई। वह शर्म से सिर झुकाए खड़ा रहा, पर नज़रें उसी तरफ़ थीं। रानो ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “डरो मत, यहाँ कोई नहीं देखेगा।” रवि ने धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारे, और उसका शरीर भी बारिश के संपर्क में आ गया। दोनों नग्न अवस्था में खड़े थे, बीच में सिर्फ़ बारिश की एक पारदर्शी दीवार थी। रानो आगे-आगे चलने लगी, उसके कदमों से कीचड़ उछल रहा था। रवि पीछे चल रहा था, और उसकी आँखें अपनी माँ के उभरे हुए नितंबों पर केंद्रित थीं, जो चलने के साथ-साथ लहरा रहे थे। बारिश की बूंदें रानो की पीठ पर गिरकर नीचे सरक रही थीं, मानो उसके शरीर का रास्ता तय कर रही हों। रवि के मन में विचारों का तूफ़ान उठ रहा था—यह उसकी माँ थी, पर आज वह एक स्त्री के रूप में दिख रही थी। उसके शरीर में एक अजीब सी ऊर्जा भर गई, और वह अपनी प्रतिक्रिया पर शर्मिंदा हो रहा था। रानो ने पीछे मुड़कर देखा और रवि की स्थिति को भाँप लिया। उसके चेहरे पर एक रहस्यमय मुस्कान खेल गई, और वह जानबूझकर अपने कदमों में लय भरने लगी। बारिश की आवाज़ के बीच उनकी साँसों की आवाज़ गूँज रही थी। रवि ने महसूस किया कि उसकी माँ उसकी ओर देख रही है, और वह और भी अधिक शर्म से भर गया। पर रानो ने कुछ नहीं कहा, बस आगे बढ़ती रही। खेतों के बीच से गुज़रते हुए वे एक बाग में पहुँचे, जहाँ संतरे और अमरूद के पेड़ लदे हुए थे। रानो ने कुछ संतरे तोड़े, और रवि की नज़रें लगातार उसके शरीर पर थीं। फिर वे एक ऊँचे अमरूद के पेड़ के पास पहुँचे। रवि ने कहा, “मम्मी, ये तो बहुत ऊँचे हैं, कैसे तोड़ेंगे?” रानो ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “चिंता मत करो, मैं तुम्हें उठा लेती हूँ, तुम हाथ बढ़ाकर तोड़ लेना।” रवि हैरान था, पर उसने हाँ कह दी। रानो ने उसे पकड़कर ऊपर उठाया, और इस दौरान रवि का शरीर उसके सीने से सट गया। एक अजीब सी गर्मी दोनों के बीच बहने लगी। रवि ने अमरूद तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, पर वह नहीं पहुँच पा रहा था। उसने कहा, “मम्मी, थोड़ा और ऊपर करो।” रानो ने जोर लगाया, पर संतुलन बिगड़ गया, और दोनों ज़मीन पर गिर पड़े। रवि अपनी माँ के ऊपर था, और उनके चेहरे एक-दूसरे के बेहद करीब थे। साँसें तेज़ और गर्म हो चुकी थीं। रानो की आँखों में एक पल के लिए कुछ झलका, पर उसने खुद को संभाल लिया। उसने कहा, “उठो, मेरे ऊपर से।” रवि उठा, और फिर बोला, “चलो, अब मैं तुम्हें उठाता हूँ।” रानो ने हाँ कह दी। रवि ने उसे पीछे से पकड़कर उठाया, और इस बार उसका शरीर रानो के पीछे के हिस्से से सट गया। रानो ने अमरूद तोड़े, पर उसकी आवाज़ में एक अलग सी कंपन थी। उसने कहा, “रवि, तेरा… तेरा साँप मुझे चुभ रहा है।” रवि ने हल्के से जवाब दिया, “डरो मत मम्मी, यह तो बस… अपना रास्ता ढूँढ रहा है।” बातचीत में एक अजीब सी हल्की-फुल्कीता आ गई, मानो दोनों किसी खेल में शामिल हों। रानो ने खुद को नीचे उतारा, और अचानक वह घोड़ी की मुद्रा में खड़ी हो गई। रवि हैरान रह गया, पर उसने अपनी माँ के शरीर को सहलाना शुरू कर दिया। बिजली चमकी, और रोशनी में सब कुछ साफ़ दिखाई दिया। रवि का दिमाग सुन्न हो गया, और वह पागलों की तरह आगे बढ़ा। रानो ने सारी शर्म त्याग दी, और अपने बेटे के सामने पूरी तरह समर्पित हो गई। बारिश तेज़ हो रही थी, और आसमान गरज रहा था, मानो प्रकृति भी इस दृश्य का हिस्सा बन गई हो। रवि ने धीरे-धीरे आगे बढ़ाया, और रानो की आँखें खुली की खुली रह गईं। दर्द और आनंद के बीच की एक धुंधली रेखा पर वह झूल रही थी। रवि ने पूरी ताकत से धक्का दिया, और रानो की चीख बादलों की गर्जना में खो गई। उसका मुँह कीचड़ में धँस गया, पर उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। रवि लगातार आगे बढ़ता रहा, और रानो की आवाज़ में दर्द धीरे-धीरे खुशी में बदलने लगा। बारिश की बूंदें उनके शरीर पर पड़ रही थीं, और हर बूंद के साथ उनकी भावनाएँ और तीव्र होती जा रही थीं। रानो ने कहा, “और जोर से, बेटा!” और रवि ने उसकी बात मान ली। तभी अचानक ओले गिरने लगे। रवि ने तेज़ी से पीछे हटा, और देखा कि सब कुछ बदल चुका था। उसने रानो को उठाया, और दोनों भागते हुए कमरे में लौट आए। साँसें तेज़ थीं, और शरीर गर्म थे। रानो ने कहा, “मेरे चूचे और गांड तो ओलों से फट गए लगते हैं।” रवि ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “लाओ, मैं मालिश कर देता हूँ।” और फिर से सब कुछ शुरू हो गया। इस बार रानो ने खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया, और रवि ने उसके शरीर का हर कोना खोज निकाला। दस मिनट बाद रानो ने मुद्रा बदली, और वह फिर से घोड़ी बन गई। रवि उस पर सवार हो गया, और दोनों एक नई लय में डूब गए। रवि ने पूछा, “मम्मी, क्या पापा के अलावा किसी और ने…?” रानो ने हँसते हुए कहा, “नहीं बेटा, तू दूसरा ही है।” यह सुनकर रवि को एक अजीब सी खुशी हुई। वह लगातार आगे बढ़ता रहा, और रानो की आवाज़ में आनंद की लहरें उठ रही थीं। चालीस मिनट बाद रवि ने कहा, “मम्मी, मेरा होने वाला है।” रानो ने जवाब दिया, “मेरी गांड में खाली कर दो।” रवि ने ऐसा ही किया, और दोनों थककर ज़मीन पर गिर पड़े। साँसें धीरे-धीरे सामान्य होने लगीं। रवि ने पूछा, “मज़ा आया?” रानो ने मुस्कुराते हुए कहा, “कई सालों बाद आज बादल बरसे हैं।” दोनों ने संतरे और अमरूद खाए, और फिर कपड़े पहनने का सोचा। पर रानो के कपड़े गायब थे। दोनों घबरा गए। रानो ने कहा, “कहीं किसी ने हमें देख तो नहीं लिया?” रवि ने उसे सांत्वना दी, और अपनी टी-शर्ट दे दी। रानो ने वही पहनी, और दोनों स्कूटी पर बैठकर घर की ओर चल पड़े। रास्ते में रानो का शरीर रवि से सटा हुआ था, और दोनों के बीच एक नया रिश्ता बन चुका था। घर पहुँचकर रानो सीधे बाथरूम में चली गई, और रवि अपने कमरे में। सोने से पहले रानो ने कहा, “सुबह जल्दी मेरे कपड़े ढूँढकर लाना।” रवि ने हाँ कह दी। दोनों सो गए, पर खेत के उस कमरे में एक आदमी अभी भी जाग रहा था। उसने रानो के कपड़ों को सूँघा, और मन ही मन बोला, “अब तो तुझे मेरे आगे घोड़ी बनना ही पड़ेगा।” बारिश रुक चुकी थी, और चाँद बादलों के पीछे से झाँक रहा था। गाँव सो चुका था, पर कुछ रहस्य जाग रहे थे। रानो और रवि के बीच का रिश्ता हमेशा के लिए बदल चुका था, और आने वाले दिनों में यह बदलाव और गहरा होने वाला था। बारिश की उस रात ने न सिर्फ़ उनकी भूख मिटाई, बल्कि उनके मन की गहरी इच्छाओं को भी जगा दिया था। अब वे एक नई दुनिया में प्रवेश कर चुके थे, जहाँ रिश्तों की सीमाएँ धुंधली

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