बारिश की रात और एक खंडहर में जागी वासना

पंजाब के एक सुदूर गाँव में, जहाँ हरियाली और शांति का राज था, वहाँ करतार सिंह नाम के सत्तर वर्षीय व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहते थे। उनका बेटा बलदेव सिंह दुबई में काम करने गया हुआ था, जिससे घर में उसकी पत्नी रानो और उनके बेटे रवि रह गए थे। रानो पैंतालीस वर्ष की थी, लेकिन उसकी सुंदरता समय के साथ और निखर गई थी। उसका गोरा रंग, उभरी हुई छाती और मटके जैसी गोलाई वाली कमर किसी का भी ध्यान खींच सकती थी, लेकिन वह हमेशा अपने पति के प्रति वफादार रही थी। उसका बेटा रवि, जो अभी युवा था, पुश्तैनी ज़मीन पर खेती करके परिवार की देखभाल करता था।

अक्टूबर की एक शाम को, आसमान में काले बादल छाए हुए थे और हवा में नमी का अहसास था। रवि ने अपनी माँ से कहा, “मम्मी, मैं खेत जा रहा हूँ। मोटर बंद करनी पड़ेगी, नहीं तो बारिश में फसल खराब हो जाएगी।” रानो ने जवाब दिया, “ठीक है बेटा, मैं भी तेरे साथ चलती हूँ। खेत से ताज़ी सब्ज़ियाँ तोड़ लाऊँगी।” दोनों स्कूटी पर सवार होकर खेत की ओर चल पड़े। रास्ते में हवा का झोंका तेज़ हो रहा था और दूर बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी।

खेत पहुँचते ही रवि ने मोटर बंद करने के लिए आगे बढ़ा, जबकि रानो सब्ज़ियाँ तोड़ने लगी। तभी हल्की-हल्की बूंदें गिरनी शुरू हो गईं। जैसे-जैसे समय बीतता गया, बारिश की तीव्रता बढ़ने लगी। रवि जब वापस लौटा, तो आसमान से मूसलाधार बारिश हो रही थी। रानो ने चिंतित स्वर में कहा, “बेटा, अब घर तक पहुँचना मुश्किल है। चलो, खेत में बने पुराने घर में शरण लेते हैं।” वह घर अब खंडहर बन चुका था, लेकिन उसमें एक कमरे की छत अभी भी सही थी, जहाँ रवि ने कुछ लकड़ियाँ और खेती का सामान रखा हुआ था।

अंदर प्रवेश करते ही रानो ने कहा, “बेटा, यहाँ तो बहुत अंधेरा है। मुझे डर लग रहा है कि कहीं कोई साँप या बिच्छू न हो।” रवि ने जवाब दिया, “चिंता मत करो मम्मी, मैं आग जलाता हूँ।” उसने लकड़ियाँ इकट्ठा की और माचिस से आग सुलगाई। आग की लपटों ने कमरे को रोशन कर दिया, और ठंडी हवा में गर्माहट फैलने लगी। रानो भीगे कपड़ों से काँप रही थी, और आग के पास आकर बैठ गई। आग की रोशनी में उसके भीगे कपड़े शरीर से चिपक गए थे, जिससे उसकी देह की रेखाएँ स्पष्ट दिखाई दे रही थीं।

रवि ने देखा कि उसकी माँ अभी भी ठंड से काँप रही है। उसने सुझाव दिया, “मम्मी, मैं बाहर चला जाता हूँ। तुम अपने कपड़े उतारकर आग के पास सुखा लो।” रानो ने इनकार किया, “नहीं बेटा, बाहर तो तेज़ बारिश है। तुम बीमार हो जाओगे।” रवि ने जवाब दिया, “ठीक है, मैं दूसरी तरफ मुँह करके बैठ जाता हूँ। तुम आराम से कपड़े सुखा लो।” रानो ने हामी भरी, और रवि ने अपना चेहरा घुमा लिया।

रानो ने धीरे-धीरे अपनी कमीज़ उतारी, जिसके नीचे काले रंग की ब्रा दिखाई दे रही थी। उसने कमीज़ को निचोड़कर एक तरफ रख दिया। फिर उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोला, लेकिन भीगे होने के कारण वह आसानी से नहीं उतरी। उसे थोड़ा खींचना पड़ा, और अंततः सलवार भी उतर गई। अब उसके शरीर पर सिर्फ ब्रा और पैंटी थी। आग की लपटों में उसका गोरा शरीर सुनहरी चमक बिखेर रहा था। उसने एक पल के लिए रवि की ओर देखा, फिर हिचकिचाहट के साथ पैंटी भी उतार दी।

अब वह पूरी तरह नग्न थी। उसने अपने शरीर पर हाथ फेरा, तो एक अजीब सी उत्तेजना महसूस हुई। सालों से दबी वासना जागने लगी थी। उसने ब्रा उतारने की कोशिश की, लेकिन भीगने के कारण हुक नहीं खुल रहा था। वह नीचे बैठ गई और रवि की ओर देखा, जो अभी भी दूसरी तरफ मुँह किए काँप रहा था। रानो को दया आ गई, और उसने कहा, “बेटा, तुम भी आकर आग सेंक लो। तुम भी भीगे हो।” रवि ने हिचकिचाते हुए जवाब दिया, “मम्मी, तुम नंगी हो। मैं कैसे आ सकता हूँ?” रानो ने आग्रह किया, “मैं तेरी माँ हूँ। आ जाओ, बीमार मत हो जाओ।”

रवि जब पलटा, तो उसकी नज़र सीधे अपनी माँ के नग्न शरीर पर पड़ी। आग की रोशनी में वह देह और भी आकर्षक लग रही थी। रवि का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। रानो ने फर्श पर बैठकर कहा, “बेटा, यहाँ आ जाओ।” रवि आग के पास बैठ गया, लेकिन उसकी नज़रें अपनी माँ की देह पर टिकी रहीं। उसने आज तक इतनी सुंदर और आकर्षक शरीर रेखाएँ नहीं देखी थीं। रानो ने फिर कहा, “तुम भी अपने कपड़े उतारकर सुखा लो।” रवि ने शर्माते हुए कहा, “मम्मी, मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है।” रानो ने हँसकर जवाब दिया, “तो क्या हुआ? मैं तेरी माँ हूँ। उतार लो।”

रवि ने हिचकिचाहट के साथ अपने कपड़े उतारे। जैसे ही वह पलटा, उसका शरीर पूरी तरह नग्न हो गया। रानो की नज़रें उस पर टिक गईं। उसने सोचा, ‘हे भगवान, इतना बड़ा लंड भी होता है क्या?’ वह एक पल के लिए भूल गई कि वह अपने बेटे को देख रही है। रवि ने शर्माते हुए पूछा, “क्या हुआ मम्मी?” रानो ने जवाब दिया, “कुछ नहीं, बस देख रही हूँ कि मेरा बेटा जवान हो गया है।” रवि ने फिर पूछा, “तुमने अपनी ब्रा क्यों नहीं उतारी?” रानो ने कहा, “यह बहुत टाइट हो गई है। खुल ही नहीं रही।” रवि ने सुझाव दिया, “अगर तुम कहो तो मैं खोल दूँ?” रानो ने हामी भरी और दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गई।

रवि के सामने अब उसकी माँ की गोल और उभरी हुई गांड थी। उसने कभी इतना आकर्षक नज़ारा नहीं देखा था। उसका लंड तन गया। रानो ने कहा, “रवि, क्या देख रहे हो? हुक खोलो न।” रवि ने हुक खोलने की कोशिश की, लेकिन उसका लंड अनजाने में रानो की गांड को छू गया। दोनों के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। रानो भी इस स्पर्श को महसूस कर रही थी। रवि ने जोर लगाया, तो ब्रा का हुक टूट गया और उसका लंड रानो की गांड से ज़ोर से टकराया। रानो सहमकर उठ खड़ी हुई। अब उसके स्तन हवा में झूल रहे थे।

रानो ने बाहर की ओर देखते हुए कहा, “बेटा, बारिश रुकी क्या?” रवि ने जवाब दिया, “नहीं मम्मी, अभी तो जारी है।” रानो ने कहा, “पता नहीं यहाँ कब तक बैठना पड़ेगा। शुक्र है तुमने आग जला ली।” रवि ने कुछ और लकड़ियाँ आग में डालीं। जब वह लकड़ियाँ डाल रहा था, तो रानो को उसका लटकता हुआ लंड दिखाई दे रहा था। उसके मन में वासना की लहरें उठने लगीं। रानो ने मज़ाक किया, “बेटा, यहाँ कोई साँप तो नहीं है?” रवि ने कहा, “नहीं मम्मी, यहाँ कोई साँप नहीं है।” रानो ने इशारा करते हुए कहा, “यह जो इतना बड़ा लटक रहा है, यह साँप ही तो है। कहीं मुझे काट न ले।” रवि हँस पड़ा, “नहीं मम्मी, यह पालतू है।” दोनों हँसने लगे।

रानो के अंदर सालों से दबी वासना जाग उठी थी, लेकिन वह अपने बेटे के सामने खुलकर व्यक्त नहीं कर पा रही थी। उसने कहा, “बेटा, अब तो भूख भी लग आई है।” रवि ने सुझाव दिया, “मम्मी, अगर तुम कहो तो मैं खेत से कुछ अमरूद और संतरे तोड़ लाता हूँ।” रानो ने कहा, “मुझे यहाँ अकेले डर लगता है। मैं भी तेरे साथ चलती हूँ।” रवि ने पूछा, “मम्मी, आप नंगी कैसे जाओगी?” रानो ने जवाब दिया, “इस अंधेरे में क्या डर है? और इस मौसम में कौन आएगा हमारे खेत में?” रवि ने हामी भरी, और दोनों नंगे ही खंडहर से बाहर निकलकर बाग़ की ओर चल पड़े। बारिश अभी भी जारी थी, और हवा में एक अजीब सी रोमांचकता घुली हुई थी।

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