बुद्धिमती वृद्धा और चिड़िया

गाँव के बाहरी इलाके में एक ऐसी बूढ़ी औरत रहती थी जो आँखों से अंधी थी, पर उसकी बुद्धि बेहद प्रखर थी। उसकी अक्लमंदी की चर्चा पूरे इलाके में थी। लोग उसकी बुद्धिमत्ता की कहानियाँ सुनाया करते थे। वह अपने छोटे से घर में अकेली रहती थी और अपनी सूझबूझ के लिए जानी जाती थी।

एक दिन, कुछ नौजवानों ने उसकी प्रसिद्धि को परखने का फैसला किया। वे उसकी बुद्धिमत्ता को चुनौती देना चाहते थे। उनमें से एक ने अपने हाथों में एक छोटी चिड़िया पकड़ रखी थी और घर में घुसते ही बूढ़ी औरत से सवाल किया, “बुढ़िया, मैंने अपने हाथों में एक चिड़िया पकड़ रखी है। क्या तुम बता सकती हो कि यह जिंदा है या मरी हुई?”

हालांकि वह देख नहीं सकती थी, लेकिन उस बूढ़ी औरत ने लड़कों के इरादों को भांप लिया। उसने सोचा कि यदि वह कहती है कि चिड़िया जीवित है, तो लड़का उसे मारकर साबित कर देगा कि वह गलत है। और यदि वह कहती है कि चिड़िया मृत है, तो वह उसे छोड़ देगा, जिससे यह साबित होगा कि वह जिंदा थी।

कुछ देर सोचने के बाद, बूढ़ी औरत ने शांत स्वर में उत्तर दिया, “मुझे नहीं पता कि वह जिंदा है या मरी हुई। इतना जानती हूँ कि उसका जीवन तुम्हारे हाथों में है। उसे जिंदा रखना है या मारना है, यह सब तुम्हारे फैसले पर निर्भर करता है।” उसके इस जवाब ने नौजवानों को स्तब्ध कर दिया और उन्हें उसकी सच्ची बुद्धिमत्ता का एहसास हुआ।

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारे जीवन के कई पहलू हमारे अपने हाथों में होते हैं। हमारे पास किसी भी परिस्थिति को बदलने की शक्ति होती है। चाहे वह हमारा करियर हो, रिश्ते हों या व्यक्तिगत विकास, हमारा चुनाव और प्रयास ही निर्धारित करते हैं कि हम सफल होंगे या असफल। हमारा भाग्य किसी और के नहीं, बल्कि हमारे अपने निर्णयों पर निर्भर करता है।

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