बस की यात्रा से शुरू हुई एक यादगार रात

मेरा नाम राहुल है और मैं छब्बीस साल का युवक हूँ। सेक्स के प्रति मेरी रुचि किशोरावस्था से ही जाग गई थी और समय के साथ यह एक ऐसी आदत बन गई जिसने मेरे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया। मुझे हमेशा से ही इस क्रिया में विशेष आनंद आता था और मैंने इसे एक कला की तरह सीखा और निखारा। वर्षों के अनुभव ने मुझे इतना कुशल बना दिया कि मैं लगातार चार घंटे तक संभोग कर सकता हूँ। मेरी इस क्षमता ने कई महिलाओं के लिए यादगार अनुभव बनाए हैं, जिनमें युवतियाँ, भाभियाँ और आंटियाँ शामिल हैं। हर एक के साथ मैंने इतनी गहनता और कुशलता से संबंध बनाए कि वे आज भी मुझसे मिलने का बहाना ढूंढती रहती हैं।

मेरी सफलता का रहस्य न केवल मेरी सहनशक्ति में है बल्कि मेरे शरीर के उस अंग में भी छिपा है जिस पर मैंने वर्षों तक मेहनत की है। पिछले चार साल से मैं नियमित रूप से अपने लिंग की मालिश कर रहा हूँ, जिसके परिणामस्वरूप यह साढ़े सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा हो गया है। जब भी कोई लड़की पहली बार मेरे इस अंग को देखती है तो उसकी आँखों में हैरानी के साथ-साथ एक विशेष चमक दिखाई देती है, क्योंकि भारतीय पुरुषों में आमतौर पर यह आकार पाँच से साढ़े पाँच इंच तक का ही होता है। इसी विशेषता के कारण मैं हर साथी को संतुष्ट कर पाता हूँ और वे बार-बार मेरे पास लौटना चाहती हैं।

आज मैं जिस घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ, वह एक ऐसी यादगार अनुभव है जिसने मेरे जीवन में एक नया अध्याय जोड़ दिया। उस दिन मैं बस से एक भाभी के घर जा रहा था, जहाँ हमारा मिलना तय हुआ था। बस में भीड़ इतनी थी कि खड़े रहने के लिए भी जगह कम पड़ रही थी। तभी मेरी नजर एक अठारह साल की लड़की पर पड़ी, जो बस के दरवाजे के पास खड़ी थी और उसके चेहरे पर एक अजीब सी घबराहट दिख रही थी। उसने नीली जींस और एक फिटिंग वाला टॉप पहना हुआ था, जो उकेरे हुए शरीर को और भी आकर्षक बना रहा था।

लड़की ने हिचकिचाते हुए मेरी तरफ देखा और पूछा, “एक्सक्यूज मी, क्या यह बस मालवीय नगर जाएगी?” उसकी आवाज में एक मधुर कंपन था जो सीधा दिल को छू गया। मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हाँ, यह वहीं जाएगी। मैं भी उसी दिशा में जा रहा हूँ।” बस की भीड़ के कारण हम दोनों एक-दूसरे के काफी करीब आ गए थे। मैं चुपचाप उसके शरीर के मोहक घुमावों को निहार रहा था – उसकी छोटी परंतु सुडौल कमर, टाइट जींस से ढके नितंब, और टॉप के अंदर से उभरे हुए निप्पल। उसकी हर अदा में एक ताजगी और मासूमियत थी जो मुझे तुरंत आकर्षित कर गई।

अगले स्टॉप पर कुछ लोग उतर गए और बस में थोड़ी जगह बनी। मैंने विनम्रता से कहा, “आप इस सीट पर बैठ सकती हैं।” वह बैठ गई और उसके बाद उसने मेरी ओर देखते हुए कहा, “आप तो बहुत लंबे हैं! पाँच फीट ग्यारह इंच के करीब होंगे न?” उसकी नजरें अनजाने में मेरी पैंट के फ्रंट पर जा ठहरीं, जहाँ मेरा उत्तेजित लिंग कपड़ों के अंदर से स्पष्ट दिखाई दे रहा था। मैंने उसकी इस हरकत को नोटिस किया पर चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया। जल्द ही उसके बगल वाली सीट खाली हो गई और उसने मुझे इशारे से बैठने को कहा।

बैठने के बाद हमारी बातचीत शुरू हुई। तभी मेरे फोन की घंटी बजी – वह भाभी का कॉल थी जिसके घर मैं जा रहा था। मैंने पहले तो कॉल रिसीव नहीं किया, लेकिन जब लड़की ने ध्यान दिलाया तो मुझे जवाब देना पड़ा। भाभी ने पूछा, “कहाँ हो राहुल?” मैंने जल्दी से कहा, “बस आ रहा हूँ भाभी, थोड़ी देर में पहुँच जाऊँगा।” कॉल खत्म होते ही लड़की ने उत्सुकता से पूछा, “आपका कोई बड़ा भाई है क्या?” मैंने समझाया, “नहीं, वह मेरी कजिन की भाभी हैं। आज उनके घर पार्टी है इसलिए जा रहा हूँ।” इसके बाद हमारी बातचीत और गहरी होती गई।

बातचीत के दौरान मैंने हिम्मत जुटाकर पूछा, “क्या मुझे आपका नंबर मिल सकता है?” वह थोड़ी झिझकी, फिर बोली, “नंबर तो नहीं दे सकती, लेकिन इंस्टाग्राम आईडी ले सकते हो।” उसने अपनी आईडी बता दी। तभी उसका स्टॉप आ गया और वह उतरने लगी। उतरते समय उसने मुझे अलविदा कहते हुए हाथ हिलाया। मैंने भी हाथ हिलाया और होठों को गोल करके एक चुंबन भेजने का इशारा किया। उसने मेरा इशारा देखा पर जवाब नहीं दे पाई क्योंकि बस तेजी से आगे बढ़ गई। उसकी यादों के साथ मैं भाभी के घर पहुँचा, जहाँ मेरा मन पूरी तरह उसी लड़की में खोया हुआ था।

भाभी के साथ संबंध बनाते समय मैं उसी युवती की कल्पना कर रहा था, जिसके कारण मैं जल्दी ही समाप्त हो गया। भाभी ने मजाक में कहा, “आज तो बड़े जोश में थे… किसी की याद आ रही थी क्या?” मैंने बस मुस्कुराकर जवाब दिया और वापस लौट आया। घर लौटते समय बस में ही मैंने उस लड़की को इंस्टाग्राम पर मैसेज किया। शाम को उसने जवाब दिया और इस तरह हमारी बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। कुछ दिनों बाद उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया। एक दिन मैंने साहस जुटाकर उसे अपने फ्लैट पर आमंत्रित किया। पहले तो उसने मना किया, लेकिन मेरे समझाने-बुझाने के बाद वह मान गई।

उसके आने से पहले मैंने पूरी तैयारी कर ली। मैंने कंडोम का एक बड़ा पैकेट खरीदा और अपने लिंग की विशेष मालिश की। उस दिन मैंने जानबूझकर अंडरवियर नहीं पहनी ताकि उसका ध्यान मेरे उभार पर जाए। जब वह आई तो शुरू में सब कुछ सामान्य था। मैंने उसके लिए डोसा और पिज्जा ऑर्डर किया। खाने के बाद धीरे-धीरे मैंने उसका हाथ छुआ और खुशी की बात यह थी कि उसने कोई आपत्ति नहीं की। उसने बताया कि उसे शाम पाँच बजे तक घर पहुँचना है क्योंकि वह कोचिंग के बहाने ही मुझसे मिलने आई थी। मैं समझ गया कि अब मौका है और आगे बढ़ना चाहिए। जैसे ही मैं उठा, उसकी नजरें मेरे उभार पर टिक गईं और उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान खेल गई।

मैं किचन में जाकर नूडल्स लेकर आया, लेकिन उसका ध्यान अब खाने में नहीं था। मैंने इस अवसर का फायदा उठाते हुए टीवी के सामने ही उसे चूमना शुरू कर दिया। मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया था कि लड़कियों को कैसे रिझाना है। धीरे-धीरे मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए। उस दिन वह एक वन-पीस ड्रेस में आई थी, जिसके नीचे उसने मैचिंग पिंक कलर की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। उसकी ब्रा देखकर मैं और उत्तेजित हो गया। मैंने उसके निप्पल्स को धीरे से दबाना शुरू किया और वह मस्ती भरी कामुक आवाजें निकालने लगी। उसने मुझे जोर से पकड़ते हुए कहा, “अपना लिंग निकालो ना!” मैंने कहा, “तुम ही निकाल लो।” उसने मेरी हाफ पैंट नीचे करके मेरा लिंग बाहर निकाल लिया।

जैसे ही उसने मेरे लिंग को देखा, उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। वह बोली, “ये क्या! इतना लंबा होता है क्या ये?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “सबका तो पता नहीं, पर मेरा इतना लंबा है।” उसने डरते-डरते पूछा, “अब मैं क्या करूँ?” मैंने कहा, “इसे अपने मुँह में लेकर चूसो।” उसने शुरुआत में थोड़ा सा ही अंदर लिया, लेकिन मैंने धक्का देकर पूरा अंदर डाल दिया। वह उल्टी करने लगी और बोली, “ऐसा मत करो, उल्टी हो रही है!” फिर भी उसने लगभग दस मिनट तक मेरा लिंग चूसा। अब तक मेरा साढ़े सात इंच का लिंग लोहे की रॉड की तरह सख्त हो चुका था और उसकी योनि में प्रवेश के लिए तैयार था।

हम दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे। मैंने उसे अपने ऊपर बैठने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया। फिर मैंने उसे घोड़ी की मुद्रा में लिटाया। शुरू में तो मेरा लिंग उसकी योनि में प्रवेश ही नहीं कर पा रहा था। मैंने सरसों का तेल लगाकर धीरे-धीरे प्रवेश कराने की कोशिश की। वह चिल्लाने लगी, “निकालो… मैं मर जाऊँगी… बहुत दर्द हो रहा है!” पर मैं जानता था कि अगर अब रुक गया तो वह दोबारा मौका नहीं देगी। मैंने उसकी चीखों को नजरअंदाज करते हुए जारी रखा। लगभग दस मिनट बाद उसकी योनि से खून निकलने लगा और वह रोने लगी। मैंने उसे समझाया, “पहली बार में ऐसा ही होता है।” वह चुपचाप सह रही थी और मैं लगातार

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