डार्लिंग

एक उमस भरे गर्मी के दिन, ओलंका अपने घर के पिछले दरवाजे पर बैठी थी। पूर्वी दिशा में घने बादल उमड़ रहे थे। उसके ही मकान में रहने वाला एक त्रिवली नाटक कंपनी का मैनेजर, कुककिन, ओलंका की तरफ मुड़कर बोला, “मेरी ज़िंदगी कितनी मुश्किल है! मैं दिन-रात मेहनत करता हूँ ताकि नाटक में कोई गलती न हो। बारिश से कितना नुकसान होता है, और कलाकारों को देने के लिए पैसे भी नहीं मिलते। चाहे मेरी कंपनी डूब जाए, मुझे परवाह नहीं, मैं तो बस अभागा ही रहूँगा।” ओलंका का दिल कुककिन के लिए सहानुभूति से भर गया। वह स्वभाव से दयालु थी, और हर किसी से जल्द ही प्यार कर बैठती थी।

ओलंका को कुककिन से बातचीत करते-करते “डार्लिंग” कहकर बुलाने की आदत पड़ गई थी। उसका मकान उसकी पैतृक संपत्ति था। वह सुबह से शाम तक नाटक के गाने सुना करती थी। जब कुककिन देर रात घर लौटता, तो वह उसका दिल खुश करने की पूरी कोशिश करती। धीरे-धीरे उन दोनों की शादी हो गई, और वे बहुत खुश थे। ओलंका अब रिहर्सल का भी ध्यान रखती थी। थिएटर के सभी लोग उसे “डार्लिंग” ही पुकारते थे। समय के साथ ओलंका मोटी होती गई, जबकि कुककिन दुबला होता चला गया। एक दिन कुककिन ने बताया कि वह ईस्टर से पहले नहीं लौट पाएगा। फिर एक तार आया: “आज कुककिन का निधन हो गया।” ओलंका फूट-फूटकर रोने लगी। पड़ोसी और राहगीर उसे दिलासा दे रहे थे कि बेचारी कितना रो रही है।

कुछ समय बाद, ओलंका की मुलाक़ात वैसिली नामक एक कारखाना मैनेजर से हुई। धीरे-धीरे उनकी पहचान बढ़ी और एक दिन वे भी शादी के बंधन में बंध गए। ओलंका ने अपनी सभी इच्छाओं को वैसिली की ख़्वाहिशों के अनुसार ढाल लिया था। जब भी वैसिली लकड़ी खरीदने बाहर जाता, ओलंका रोते-रोते रात बिता देती। दिन भर वह पागलों की तरह व्यवहार करती। एक दिन वैसिली बाहर से लौटा तो उसे ज़ुकाम हो गया और वह बिस्तर पर पड़ गया। अच्छे-से-अच्छे डॉक्टरों के इलाज के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका, और ओलंका एक बार फिर विधवा हो गई।

अब ओलंका बुढ़ापे की दहलीज़ पर थी और उसका घर भी जर्जर होने लगा था। एक दिन किसी ने उसके घर का दरवाज़ा खटखटाया। सामने स्मिरनोव को देखकर वह आश्चर्य में डूब गई। स्मिरनोव ने बताया कि उसने अपनी नौकरी छोड़ दी है और अब यहीं अपना घर बसाना चाहता है। उसने यह भी बताया कि उसकी पुरानी पत्नी से उसकी सुलह हो गई है। ओलंका ने उसे अपने मकान में रहने को कहा। अब ओलंका को तार से बहुत डर लगता था, क्योंकि इसी तरह उसे कुककिन की मृत्यु का समाचार मिला था। एक रात जब स्मिरनोव का बेटा शाशा सो रहा था और वह खुद सोने जा रही थी, उसे एक और तार मिला, जिसमें लिखा था: “शाशा की माँ चाहती है कि शाशा उसके पास खेरकोव चला आए।”

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