एक दिन, गाँव के मुखिया ने चिंटू को जंगल से सबसे मीठे और पके हुए जामुन लाने का काम सौंपा, क्योंकि शाम को एक बड़ा भोज था। चिंटू खुशी से उछल पड़ा और फौरन जामुन इकट्ठा करने निकल पड़ा। उसने जल्दबाजी में, बिना सोचे-समझे, जो भी जामुन सबसे पहले हाथ लगे, उन्हें तोड़ लिया और अपनी टोकरी भर ली। उसने उनकी गुणवत्ता या स्वाद की परवाह नहीं की, बस अपनी टोकरी जल्दी भरना चाहता था।
शाम को, जब भोज शुरू हुआ और सभी लोग चिंटू द्वारा लाए गए जामुन खाने लगे, तो उनके चेहरे पर निराशा छा गई। जामुन खट्टे और अधपके थे, जो किसी को पसंद नहीं आए। चिंटू शर्मिंदा होकर सिर झुकाए खड़ा था। तभी हुत धीरे से उसके पास आया और उसे एक तरफ ले गया। हुत ने चिंटू को समझाया कि कैसे कुछ जामुन की झाड़ियाँ गहरी झाड़ियों में छिपी होती हैं और उन्हें खोजने में समय लगता है, लेकिन उनके फल सबसे मीठे होते हैं।
हुत ने चिंटू को दिखाया कि कैसे धैर्य से हर जामुन को जांचना चाहिए और केवल सबसे रसीले और पके हुए ही चुनने चाहिए, भले ही इसमें अधिक समय लगे। अगली सुबह, चिंटू ने हुत की सलाह मानी। उसने धीरे-धीरे और सावधानी से काम किया, हर जामुन को ध्यान से देखा। इस बार, वह देर से आया, लेकिन उसकी टोकरी में सबसे स्वादिष्ट और मीठे जामुन थे। गाँव वालों ने उसकी खूब तारीफ की। चिंटू ने उस दिन एक महत्वपूर्ण सबक सीखा: जल्दबाजी करने से अक्सर काम बिगड़ जाता है और गुणवत्ता के लिए धैर्य और समझदारी बहुत ज़रूरी है।