मैं पैंतीस वर्ष का व्यक्ति हूँ और वित्तीय क्षेत्र में ऋण संबंधी कार्य करता हूँ। इस पेशे की प्रकृति के कारण मुझे विभिन्न लोगों से मिलना-जुलना पड़ता रहता है और नए-नए संपर्क बनते रहते हैं। मेरे जीवन में एक ऐसा ही अनुभव हुआ जब मेरे एक पुराने मित्र ने मुझसे संपर्क किया, जो अब दूसरी कंपनी में कार्यरत था। उसने मुझसे एक जीएसटी बिल की मांग की जो उसके कार्यालय की एक सहकर्मी उर्वी के लिए आवश्यक था। मैंने अपने संपर्कों के माध्यम से वह बिल तैयार करवाकर दे दिया और फिर इस मामले को भूल गया।
उर्वी के बारे में जानना दिलचस्प होगा – वह पैंतीस वर्ष की शिक्षित महिला है और एक बच्चे की माँ है। उसका व्यक्तित्व बेहद आकर्षक है, वह फिट और सुडौल शरीर की मालिक है जो उसे और भी मनमोहक बनाता है। कुछ समय बाद अचानक एक दिन उर्वी ने स्वयं मुझे फोन किया और अपने पति के लिए भी ऐसे ही पाँच हज़ार रुपये के बिल की मदद मांगी। मैंने उसके पति का विवरण लिया और कोशिश करने का वादा किया। दो दिनों के भीतर ही मैंने बिल तैयार करके उसके पति को व्हाट्सएप के माध्यम से भेज दिया।
व्यस्त दिनचर्या के चलते मैं बिल के लिए जीएसटी राशि लेना भूल गया। लगभग चार दिनों के बाद रात आठ बजे के करीब उर्वी का फोन आया। उसकी आवाज़ में हल्की खीझ थी जब उसने पूछा कि मैंने बिल भेजने के बारे में उसे सूचित क्यों नहीं किया और पैसों की चर्चा भी नहीं की। मैंने अपनी व्यस्तता के बारे में बताया और माफी मांगी। उसने धन्यवाद दिया और जल्दी से फोन काट दिया, फिर गूगल पे के माध्यम से राशि का भुगतान कर दिया।
रात के एक बजे जब मैं अपने काम में व्यस्त था, उर्वी का संदेश आया। उसने मेरे स्टेटस पर प्रतिक्रिया दी थी। मैंने उसे धन्यवाद दिया और इस तरह हमारी बातचीत की शुरुआत हुई। उसने पूछा कि मैं इतनी रात तक क्यों जाग रहा हूँ। मैंने बताया कि घर के कुछ काम निपटा रहा हूँ। उसकी जिज्ञासा बढ़ती गई और उसने पूछा कि क्या घर पर कोई और काम नहीं करता। मैंने समझाया कि मेरी पत्नी मायके गई हुई है और मैं देर से घर पहुंचा हूँ।
हमारी बातचीत लगभग एक घंटे तक चलती रही, जिसमें हमने अपने दैनिक जीवन, काम और अन्य विषयों पर चर्चा की। अंत में हमने एक-दूसरे को शुभरात्रि कहकर बात समाप्त की। उस समय तक मेरे मन में कोई विशेष भावना नहीं थी – मुंबई जैसे महानगर में देर रात तक ऑनलाइन बातचीत करना आम बात है। अगली सुबह जब मुझे उसका शुभप्रभात संदेश मिला, तो मैंने भी उत्तर दिया और अपने काम में व्यस्त हो गया।
दोपहर के भोजन के समय उसका फोन आया। उसने पूछा कि मैं कहाँ हूँ और क्या भोजन कर लिया है। उसने बिल के लिए फिर से धन्यवाद दिया और इसके बाद से हमारे बीच नियमित रूप से व्हाट्सएप और फोन पर बातचीत होने लगी। एक दिन उसे कार्यालय में देर हो गई क्योंकि उनके कार्यालय की नई शाखा का उद्घाटन समारोह और पूजा का आयोजन था। इसके बाद सभी कर्मचारी रात्रिभोज के लिए गए थे।
उस विशेष दिन उर्वी ने सुनहरी ज़री वाली साड़ी पहनी थी और सोने के आभूषणों से स्वयं को सजाया था। रात की ट्रेन में यात्रा करते समय उसे अकेलेपन का डर सताने लगा क्योंकि उस समय ट्रेन में यात्रियों की संख्या कम थी। जैसा कि हम रोज़ करते थे, उसने मुझे संदेश भेजा और अपनी चिंता के बारे में बताया। संयोगवश उस समय मैं भी अपने काम से घर लौट रहा था।
मैंने उसे सुझाव दिया कि वह किसी बड़े स्टेशन पर उतर जाए जहाँ हमेशा भीड़ रहती है। चूंकि मैं खुद उसी स्टेशन पर था, इसलिए हम दोनों ने वहीं से प्रथम श्रेणी के डिब्बे में यात्रा की। उसे जिस स्टेशन जाना था, वहाँ से मेरे लिए वापस आने की अंतिम ट्रेन रात बारह बजे थी और हम बारह बजे के आसपास वहाँ पहुँचे थे। हम पहले भी कई बार मिल चुके थे, लेकिन उस दिन उस सजीव साड़ी और आभूषणों में वह विशेष रूप से आकर्षक लग रही थी।
उसने अपने सोने के आभूषण उतारकर हैंडबैग में रख लिए थे। मेरे साथ होने के कारण वह स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रही थी। हम बातचीत करते हुए रात साढ़े बारह बजे उसके स्टेशन पर उतर गए। वहाँ से हमने साझा ऑटो लिया और उसके घर के निकट पहुँच गए। मैंने वहीं उतरकर अपने लिए वापसी की उबर कैब बुक की और उसे जाने के लिए कहा। सुरक्षा की दृष्टि से मैं तब तक वहीं खड़ा रहा जब तक वह अपनी इमारत के अंदर नहीं चली गई।
जब उसने मुझे विदा कहा, तो मैंने उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक और चेहरे पर भावनात्मक भाव देखे। उस समय मैं उसके इन संकेतों को समझ नहीं पाया। मैं वहीं खड़ा होकर सिगरेट पीने लगा और कैब का इंतज़ार करने लगा। तभी अचानक उर्वी का फोन आया। उसने पूछा कि मैं कहाँ हूँ। मैंने बताया कि मैं अभी भी कॉम्प्लेक्स के बाहर हूँ और कैब का इंतज़ार कर रहा हूँ। उसने मुझे थोड़ी देर रुकने को कहा।
कुछ ही देर में वह वापस आई और उसके हाथ में एक डिब्बा था। उसने मुझे वह डिब्बा दिया और फिर सड़क के किनारे के अंधेरे हिस्से में ले जाकर अचानक मुझे जोर से गले लगा लिया और तेजी से चली गई। तब तक मेरी कैब आ चुकी थी। कैब में बैठकर मैंने डिब्बा खोला – उसमें ताज़ी रोटी और सब्जी थी। उसने फोन करके कहा कि मुझे घर पहुँचने में दो घंटे लगेंगे, इसलिए मैं रास्ते में यह खाना खा लूँ और घर पहुँचकर उसे फोन करूँ। मुझे भी भूख लगी थी, इसलिए मैंने वैसा ही किया।
हालाँकि मैंने बाद में उसे फोन नहीं किया। कुछ देर बाद उसका ही फोन आया। उर्वी ने कहा कि वह शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती कि आज उसे क्या महसूस हो रहा है। वह लगातार बोले जा रही थी और मैं सुन रहा था। उसने बताया कि उसका और उसके पति का कुछ देर पहले ही झगड़ा हुआ था क्योंकि वह सोने के आभूषण पहनकर कार्यालय गई थी और इतनी रात को अकेली घर लौट रही थी। उस समय उसका पति मुंबई में नहीं था।
उर्वी को बहुत डर लग रहा था, और ठीक उसी समय मैं उसे घर तक छोड़ने आ गया। यह तब हुआ जब मुझे पता था कि वापसी की ट्रेनें बंद हो जाएंगी और सड़क मार्ग से लौटने में बहुत समय लगेगा। सच कहूँ तो उस समय मेरा इरादा केवल उसकी मदद करने का था क्योंकि रात की ट्रेन में चोरी या अन्य अपराध होने का खतरा रहता है। फिर अंत में जब उसने मुझसे ‘आई लव यू’ कहा, तो मेरा दिमाग सन्न रह गया।
वह बताती रही कि वह पहली मुलाकात से ही मेरी ओर आकर्षित थी, लेकिन शादीशुदा होने के कारण उसने कभी अपनी मर्यादा नहीं लांघी। उसने मुझे अगली सुबह कार्यालय से छुट्टी लेकर मिलने के लिए कहा। जब उसने मुझे गले लगाया था, तभी से मेरे दिल में भी एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी और मैंने भी हामी भर दी। पूरे रास्ते हमने बातें कीं और अगले दिन मिलने का स्थान और समय निर्धारित किया। मैं घर लगभग ढाई बजे रात को पहुँचा।
रात को मैंने अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन मेरे दिमाग में केवल उर्वी की छवि थी। पूरी रात मुझे मुश्किल से ही नींद आई। सुबह मैंने सामान्य रूप से तैयार होकर निर्धारित स्थान पर पहुँचा। उर्वी पहले ही वहाँ पहुँच चुकी थी। मैंने उसे रात को बताया था कि मुझे उसे साड़ी में देखना है। वह गुलाबी रंग की सुनहरी किनारी वाली साड़ी पहने हुए थी और बेहद आकर्षक लग रही थी। मैं उसे देखकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ।
वहाँ से हम दोनों एक ओयो होटल में पहुँचे। कमरा लेने के बाद हमने एक-दूसरे को गहराई से देखा। वह तुरंत मेरे गले लग गई और हम काफी देर तक इसी अवस्था में रहे। फिर वह थोड़ी दूर हटी, मेरे माथे को चूमा और बहुत प्यार से बोली – आई लव यू। मैं केवल उसे देखता रहा। मेरे मन में कामुकता नहीं बल्कि सच्चा प्रेम था। उसने पूछा कि क्या वह मुझे अच्छी नहीं लगती। मैंने उत्तर दिया कि वह मुझे बेहद प्यारी लगती है।
उसने मुझे अपने पास खींचकर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और हम कोमलता से एक-दूसरे को चूमने लगे। वातावरण अत्यंत रोमांटिक हो गया था। हमें पता ही नहीं चला कि कब हम बिस्तर पर पहुँच गए। उसने मेरी शर्ट उतारनी चाही, लेकिन मैंने उसे रोका और कहा – उर्वी, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ। क्या मैं तुम्हारे शरीर को अपना बना सकता हूँ? उसने अपनी