उस दिन की शुरुआत बिल्कुल सामान्य थी। दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी में, मेरा छोटा सा किराए का कमरा एक शांत आश्रय था। चूंकि छुट्टी का दिन था, मैंने अपने सारे कपड़े धोए, ठंडे पानी से नहाया और आराम करने लगा। गर्मी के मारे मैंने केवल एक हल्की फ्रेंची चड्डी पहन रखी थी, जो शरीर पर हवा के आने-जाने का एहसास दे रही थी। पंखे की धीमी आवाज और बाहर से आती गर्म हवा के झोंके के बीच, मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था, शायद कुछ झपकी लेने की कोशिश कर रहा था। तभी दोपहर के करीब तीन बजे, मेरे मोबाइल की घंटी ने सन्नाटे को तोड़ा। फोन पर मेरे दोस्त प्रकाश की आवाज थी, जो हमेशा की तरह उत्साह से भरी हुई थी। उसने कहा, “यार, मेरे रूम में आ जा, आज पार्टी करते हैं!” मैंने हामी भर दी, क्योंकि प्रकाश के साथ समय बिताना हमेशा मजेदार होता था।
मैंने जल्दी से एक टाइट लोअर और एक साधारण टी-शर्ट पहनी और उसके कमरे की ओर चल पड़ा। प्रकाश का कमरा मेरे से कुछ ही ब्लॉक दूर था। वहां पहुंचते ही उसने गर्मजोशी से स्वागत किया। उसकी आंखों में एक चमक थी, जो शायद आने वाले मस्ती भरे पलों का संकेत दे रही थी। हमने मिलकर चिकन बनाने का फैसला किया। किचन में खड़े होकर मसालों की खुशबू, तेल की चटकती आवाज और एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक करते हुए, समय तेजी से बीत रहा था। खाना तैयार होने के बाद, हमने दारू निकाली। शुरुआत में गिलास धीरे-धीरे खाली हो रहे थे, लेकिन जल्द ही बातों का सिलसिला बढ़ने लगा और पेग की रफ्तार भी। शाम ढलते-ढलते, मैं नशे की एक हल्की सी धुंध में खो सा गया था, दुनिया थोड़ी धुंधली और अधिक आरामदायक लग रही थी।
रात काफी हो चुकी थी, और प्रकाश ने सुझाव दिया कि मैं वहीं रुक जाऊं। मैंने हां कर दी, क्योंकि घर लौटने का ख्याल भी अब मुश्किल लग रहा था। नशे की हल्की सी चपेट में, मैंने बचे हुए खाने को संभालने में उसकी मदद करने का फैसला किया। मैंने सब्जी की कड़ाही उठाई और उसे सिंक में रखने लगा। लेकिन नशे की वजह से मेरे हाथ कुछ ज्यादा ही हल्के हो गए थे। कड़ाही को झुकाते हुए, थोड़ी सी चिकनाहट भरी ग्रेवी मेरे लोअर पर गिर गई। एक गर्म, चिपचिपा एहसास। मैंने तुरंत उस जगह को देखा। कपड़ा गीला और दागदार हो गया था, जो मुझे बेहद अप्रिय लग रहा था। प्रकाश ने मेरी परेशानी भांप ली और तुरंत बोला, “अरे, कोई बात नहीं। मेरा एक शॉर्ट्स पहन ले, और यह लोअर बाथरूम में जाकर साफ कर लेना।” उसकी यह सहज मदद मेरे लिए राहत भरी थी।
मैंने अपना गीला लोअर उतारना शुरू किया। जैसे ही मैंने उसे नीचे खींचा, मैंने महसूस किया कि प्रकाश की नजरें मेरे शरीर पर टिकी हुई हैं। मैंने उसकी ओर देखा, तो वह मुस्कुरा रहा था। उसने कहा, “यार रोहित, तेरे पैर तो बिल्कुल चिकने हैं, लड़कियों जैसे। लगता है बाल ही नहीं उगते।” उसकी आवाज में मजाक था, लेकिन एक गहरी उत्सुकता भी झलक रही थी। मैं भी नशे की हालत में बिना कुछ सोचे, मजाक में ही आगे बढ़ गया। मैंने अपनी चड्डी का किनारा थोड़ा और नीचे किया और बोला, “देख ले भाई, सब कुछ साफ-सुथरा है। क्या चाटेगा?” यह सब एक हंसी-मजाक की तरह था, लेकिन उस पल की हवा में कुछ बदलाव आ गया था।
अचानक, प्रकाश का मजाकिया रवैया एक गंभीर इरादे में बदल गया। वह तेजी से मेरे पास आया और उसने मेरी चड्डी को नीचे खींच दिया। अब मैं उसके सामने आधा नग्न खड़ा था। उसकी नजरें मेरे शरीर पर चल रही थीं। उसने मेरे लिंग की ओर इशारा करते हुए कहा, “छोटा सा है न?” फिर, बिना किसी चेतावनी के, वह झुका और उसने मेरी जांघों को चाटना शुरू कर दिया। उसकी जीभ का गर्म, नम स्पर्श मेरी त्वचा पर एक अजीब सी सिहरन पैदा कर रहा था। नशे की मदहोशी में, यह स्पर्श आश्चर्यजनक रूप से सुखद लग रहा था। मैं स्तब्ध सा खड़ा रहा, अपनी प्रतिक्रिया तय नहीं कर पा रहा था। प्रकाश लंबा और गोरा था, और उस पल उसकी मौजूदगी काफी दबदबा बनाए हुए थी।
फिर उसने एक हाथ से मेरे लिंग के अग्रभाग को सहलाया। उस स्पर्श से मेरा शरीर एकदम सजग हो उठा, और मेरा लिंग कड़ा हो गया। यह देखकर प्रकाश ने अपना पैंट भी खोल दिया। उसका लिंग मेरे से बिल्कुल अलग था – गहरे रंग का, लंबा और घने बालों से ढका हुआ। उसने अपनी टी-शर्ट भी उतार फेंकी, और फिर मेरी भी। अब हम दोनों पूरी तरह नग्न थे, और कमरे की हवा में एक तनाव भरी खामोशी छा गई। यह मेरी जिंदगी में पहली बार था जब मैं किसी के सामने इस तरह खड़ा था। वह मेरे पीछे आया। मैं उसकी गर्म सांसों को अपनी गर्दन पर महसूस कर सकता था। उसका कड़ा हुआ लिंग मेरे नितंबों और अंडकोष से टकरा रहा था। उसने मेरी गर्दन पर हल्के चुंबन लगाए और एक हाथ से मेरे लिंग को सहलाना जारी रखा। मेरी आंखें अपने आप बंद हो गईं। मेरा शरीर एक अजीब सी बेकाबू सी स्थिति में आ रहा था, जैसे कोई गहरी इच्छा जाग रही हो।
मैं अनजाने में ही थोड़ा सा आगे की ओर झुक गया, जिससे मेरे नितंब और पीछे की ओर उभरे। उसके लिंग का दबाव अब सीधा मेरे गुदा के छिद्र पर था। एक अजीब सी खिंचाव और गर्मी का एहसास हुआ। यह एहसास इतना तीव्र था कि मेरे पैर कांपने लगे और मैं जमीन पर बैठ गया। प्रकाश ने मुझे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसने मुझे पेट के बल कर दिया और मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। उसने मेरी कमर पर हल्का सा दबाव डाला, और मेरे नितंब फैल गए। फिर उसने कहा, “तेरी गांड तो सचमुच बहुत गोरी है… लेकिन यह छोटा सा गुलाबी छेद… इसमें तो बाल तक नहीं हैं। क्या तूने कभी…?” उसकी बात पूरी होने से पहले ही, उसने अपना सिर झुकाया और मेरे गुदा के छिद्र को चाटना शुरू कर दिया। उसकी गर्म, नम जीभ का स्पर्श एक झटके जैसा था। मैं चौंक गया। जब वह अपनी जीभ को अंदर धकेलने की कोशिश करता, तो मेरा शरीर अनैच्छिक रूप से सिकुड़ जाता, और फिर धीरे-धीरे ढीला पड़ने लगता।
कुछ देर बाद, उसने मुझे करवट दिलाई और मेरे पैरों को मोड़कर ऊपर उठा दिया। उसने मेरे नितंबों के नीचे एक तकिया लगा दिया, जिससे मेरा गुदा छिद्र ऊपर की ओर उभर आया। फिर उसने मेरे नितंबों पर हल्के-हल्के थप्पड़ मारने शुरू किए। हर थप्पड़ के साथ मेरी त्वचा जलने लगती और एक अजीब सी उत्तेजना मेरे अंदर घर करती जाती। वह मेरे चेहरे के सामने बैठ गया, उसकी पीठ मेरी ओर थी और उसका लिंग मेरे मुंह के करीब। उसने मेरी जांघों को पकड़कर और दबाया, जिससे मेरा गुदा और भी ज्यादा खुल गया। वह वापस मेरे पीछे आया और अपनी जीभ से फिर से मेरे छिद्र को उत्तेजित करने लगा। इस बीच, उसने अपना लिंग मेरे मुंह में डाल दिया। नशे और उत्तेजना के मिश्रण से, मैं विरोध नहीं कर पाया। उसका लिंग मेरे गले तक उतर रहा था, और मैं सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहा था।
करीब दस मिनट तक यह सिलसिला चलता रहा। फिर वह उठा और एक बोतल लेकर आया। उसने मेरे पूरे नितंबों और गुदा के आसपास सरसों का तेल लगाना शुरू किया। तेल की गंध और ठंडक ने मेरे होश थोड़े और गड़बड़ा दिए। फिर उसने अपनी मध्यमा उंगली पर तेल लगाया और धीरे-धीरे मेरे गुदा के छिद्र के चारों ओर घुमाने लगा। मैं हांफने लगा। फिर, एक कोमल लेकिन दृढ़ दबाव के साथ, उसने अपनी उंगली अंदर धकेल दी। एक तीखा, चुभता हुआ दर्द उठा, लेकिन फिर एक अजीब सी भराव का एहसास हुआ। वह उंगली को अंदर-बाहर करने लगा। दर्द धीरे-धीरे एक गहरी, असहज उत्तेजना में बदलने लगा। मेरे मुंह से कराहने जैसी आवाजें निकलने लगीं। जब उसने लगा कि मेरा शरीर ढीला पड़ रहा है, तो उसने दूसरी उंगली भी डालने की कोशिश की। यह और ज्यादा दर्दनाक था। मैं चिल्लाया, लेकिन वह नहीं रुका।
आखिरकार, उसने मेरे छिद्र में और तेल डाला और अपने लिंग पर भी भरपूर तेल लगाया। वह मेरे ऊपर आ गया। उसने अपने काले, तैलीय लिंग को मेरे गुदा के छिद्र के ठीक बाहर रखा। मैंने अपनी सांस रोक ली। उसने एक जोरदार झटका दिया। एक फाड़ने जैसा, जलता हुआ दर्द मेरी रीढ़ में से गुजर