मेरी जिंदगी का वह पल, जब मेरी वर्जिनिटी मेरे ही एक करीबी दोस्त ने धोखे से छीन ली, आज भी मेरी यादों में ताजा है। हम दोनों एक ही बिस्तर पर सो रहे थे, ठंड की उस रात में रजाई की गर्माहट साझा करते हुए, जब अचानक उसके हाथ ने मेरे लिंग को पकड़ लिया। उस पल मेरे मन में एक भोली उम्मीद जगी—शायद उसे अपनी गांड मरवाने की इच्छा है। मैं राहुल हूं, और यह कहानी 2014 की है, जब मैं महज उन्नीस साल का एक भोला-भाला लड़का था, दिल्ली में अपने पहले नौकरी के अनुभव से गुजर रहा था। मेरा कद पांच फुट पांच इंच था, कमर सत्ताईस इंच की पतली रेखा और चूतड़ बत्तीस इंच के कोमल गोलाई लिए हुए। आज समय के साथ मेरे शरीर में बदलाव आया है—कमर तीस इंच और चूतड़ चौंतीस इंच के हो गए हैं, पर मेरा रंग वही दूधिया गोरा बना हुआ है, जैसे कभी बदला ही न हो।
उस समय मैं एक कौमार्य बनाए हुए लड़का था, जिसने कभी सामने से नंगी लड़की या लड़के को नहीं देखा था। मेरी दुनिया पोर्न वीडियो और कल्पनाओं तक सीमित थी। गांड मारने का शौक मेरे अंदर इसलिए भी जगी थी, क्योंकि वास्तविक सेक्स का अनुभव मेरे पास शून्य था। मेरा खड़ा हुआ लिंग साढ़े चार इंच का होता था, और मेरे शरीर पर बाल नाममात्र के थे—हल्के, धुंधले। गांड के आसपास तो बिल्कुल भी बाल नहीं थे, सिवाय छेद के पास के हल्के रोएंदार अंश के, जिन्हें मैं नियमित ब्लेड से साफ कर देता था। पर उन नर्म, झांट जैसे बालों से मुझे एक अजीब सा लगाव था, भले ही वे बहुत कम थे।
यह घटना उस समय की है, जब मुझे नौकरी करते हुए छह महीने बीत चुके थे और मेरे दो अच्छे दोस्त थे—प्रेम और विजय। प्रेम लंबा, छह फुट का दुबला-पतला लड़का था, जबकि विजय नाटे कद का, महज पांच फुट दो इंच का, पर उसकी मौजूदगी हमेशा गर्मजोशी से भरी रहती थी। एक छुट्टी के दिन सुबह-सुबह विजय का फोन आया, उसकी आवाज में उत्साह साफ झलक रहा था। उसने कहा, “शाम को मेरे कमरे पर आ जाना! पार्टी करेंगे, प्रेम भी आ रहा है!” मैंने हामी भर दी, क्योंकि उस दिन पीने का मन कर रहा था—शायद एकरस जिंदगी से छुटकारा पाने की चाहत। शाम चार बजे मैंने एक ढीला ट्राउजर और साधारण टी-शर्ट पहनी, और उसके कमरे की ओर चल पड़ा।
वहां पहुंचते ही मैंने देखा कि प्रेम पहले से मौजूद था, विजय के साथ बैठा हुआ। कमरे में हल्की धुंधली रोशनी थी, और हवा में गर्मजोशी का एहसास था। हमने बोतल खोली और पीना शुरू किया। शराब की हर घूंट के साथ बातचीत गहराती गई, हंसी-मजाक का दौर चलता रहा, और अचानक ही रात के दस बज गए। विजय ने सुझाव दिया, “यहीं रुक जा बे… सुबह यहीं से सब लोग एक साथ दफ्तर चले जाएंगे!” मैंने सहमति में सिर हिला दिया, क्योंकि घर लौटने का मन नहीं था। उसके कमरे में दो सिंगल बेड थे—एक पर प्रेम और मैं लेट गए, और दूसरे पर विजय। ठंड के मौसम में रजाई की गर्माहट सुकून दे रही थी, और हम टीवी देखते हुए धीरे-धीरे सोने की तैयारी करने लगे।
टीवी की स्क्रीन से निकलती हल्की रोशनी में, मैंने अचानक अपने पैंट में एक हलचल महसूस की। पलटकर देखा तो प्रेम का हाथ मेरे लिंग को सहलाते हुए नजर आया। मैं चौंक गया, और तुरंत विजय की ओर देखा—वह गहरी नींद में सो चुका था, उसकी सांसें नियमित और भारी थीं। प्रेम ने धीरे से मेरी जिप खोली, और मैं अन्दर फ्रेंची चड्डी पहने हुए था। उसने चड्डी को थोड़ा सरका दिया, और मेरा सिकुड़ा हुआ लिंग बाहर आ गया। छोटे आकार के कारण लिंग का केवल अग्रभाग ही दिखाई दे रहा था। फिर उसने मेरे लिंग की चमड़ी को पीछे खींचा, और टोपे को बाहर निकाल दिया। उसकी उंगलियां लिंग के सिरे पर नर्मी से घूमने लगीं, एक अजीब सी गुदगुदी और गर्माहट का एहसास देते हुए।
मेरे लिए यह पूरी तरह नया अनुभव था। आज तक किसी ने मुझे इस तरह छुआ नहीं था। एक ओर अजीब सी घबराहट थी, तो दूसरी ओर एक गहरी, अनजानी उत्तेजना भी। प्रेम की गांड उसकी लंबाई के हिसाब से आकर्षक थी—शायद छत्तीस इंच की गोलाई लिए हुए। मेरे मन में ख्याल आया कि शायद उसे अपनी गांड मरवाने का मन है, और यह सोचते ही मैं अंदर से खुश हो उठा। मैं उठा और टीवी बंद कर दिया, जिससे कमरा पूरी तरह अंधेरे में डूब गया। अब केवल सड़क से आती हल्की रोशनी ही कमरे में झांक रही थी। मैं सीधा लेट गया और उसके हर कदम का साथ देने लगा। उसने धीरे से मेरे पैंट का हुक खोला, और पैंट व चड्डी को मेरे घुटनों तक खींच दिया। मैंने अपने पैरों को हिलाकर पैंट को पूरी तरह उतार दिया, और अब मैं पूरी तरह नंगा था।
उसने मेरी जांघों को सहलाना शुरू किया—नीचे से ऊपर की ओर, एक नर्म, लयबद्ध गति में। फिर उसका हाथ मेरे टट्टों से होता हुआ गांड के छेद तक पहुंचा, और उसने उसे रगड़ना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि वह मुझे गर्म कर रहा है, सेक्स के लिए तैयार कर रहा है। मैंने उसकी ओर मुंह किया, और उसने एक हाथ मेरी गांड पर रखकर जोर से दबाया। उसकी मध्यमा उंगली मेरे गांड के छेद के ठीक बाहर थी, दबाव देने पर अंदर जाने की कोशिश कर रही थी। मैंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि मेरे मन में गांड मारने का जोश सवार था। उसने मेरा हाथ लिया और अपने लिंड पर रख दिया। उसका लिंड करीब साढ़े पांच इंच का था, मोटा और तनाव से भरा हुआ।
फिर उसने मुझे अपनी ओर खींचा, और अपने पैरों से मेरी जांघों को जकड़ लिया। उसका लिंड मेरी जांघों के बीच से होकर गुजरा, और वह झटके मारने लगा। उसका लिंड मेरी गांड से टकरा रहा था, और उसने एक हाथ से मेरी गांड को खींचना शुरू कर दिया। अब मैं घबरा गया! मेरा लिंड भी सिकुड़कर छोटा हो गया था। मुझे एहसास हुआ कि वह मेरी गांड को चोदना चाहता है, और शायद उसे भी लग रहा था कि मैं चुदना चाहता हूं! मैंने छुड़ाने की कोशिश की, पर उसकी पकड़ मजबूत थी, और मैं असहाय महसूस कर रहा था। उसने अपना लिंड अपने हाथ में ले लिया, और मेरे होंठों पर लगा दिया। वह अपने लिंड को मेरे मुंह में डालने वाला था कि मैं तेजी से मुड़ गया और गांड दबाकर सीधा लेट गया।
मैंने पैरों से पैंट खींची तो देखा कि उसमें मेरी चड्डी नहीं थी! मैंने अपना सिर नीचे झुकाकर चड्डी ढूंढनी शुरू की। इससे मेरे घुटने मुड़ गए, और मेरी गांड तन गई—गांड की बीच की दरार खुल गई, और मेरा छेद पूरी तरह बाहर आ गया। मैंने अपने गांड के छेद पर एक गीलापन महसूस किया। उसने शायद वहां थूक लगा दिया था! तभी उसने मुझे मेरी गांड पकड़कर अपनी ओर खींचा, और मेरे गांड का छेद उसके लिंड से जा टकराया। उसने अपने एक हाथ से मेरा मुंह बंद कर दिया, और बिजली की तरह तेज गति से अपने लिंड का एक जोरदार झटका मेरी गांड पर दे मारा! मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने बांस की मोटी लकड़ी मेरे अंदर घुसा दी हो! मेरी आंखों से आंसुओं की बाढ़ आ गई। मुंह बंद होने के कारण मैं चिल्ला भी नहीं सका। पर उसका लिंड पूरा अंदर नहीं गया था—केवल उसका टोपा छेद से टकराकर वापस आया था, और उसी से मुझे असहनीय दर्द हो रहा था।
फिर उसने मेरी गांड को सहलाया, और मेरी गांड को अपने मुंह के पास ले आया। वह मेरे छेद को चाटने लगा, और अपनी जीभ को मेरे गांड के छेद में अंदर डालने की कोशिश करने लगा। पांच मिनट तक उसने ऐसा ही किया। मेरी गांड को राहत मिल रही थी, और एक अजीब सा मजा भी आने लगा था। मैं अनजाने में अपनी गांड को उसके मुंह में दबाने लगा। फिर उसने एक उंगली छेद में डाल दी। मैं रोकने की कोशिश कर रहा था, पर कुछ फायदा नहीं हुआ। करीब पांच मिनट तक उसने उंगली अंदर-बाहर की। अब मुझे अच्छा लग रहा था, और दर्द भी कम हो गया था। उसने छेद को ढीला कर दिया था। फिर उसने दो उंगलियां डाल दीं, जो आसानी से अंदर चली गईं। अब उसने छेद को थूक से भर दिया, और लिंड को छेद पर रखकर एक जोरदार झटका मारा। इस बार लिंड पूरा अंदर घुस गया! मैं दर्द से सिकुड़ गया। वह जोर-जोर से झटके मार रहा था, जैसे वह मेरी गांड का कबसे भूखा हो। मेरा मुंह बंद था, और मेरा लिंड पानी छोड़ रहा था। आधा घंटा तक उसने मेरी गांड फाड़ी, और मेरे छेद