पंचतंत्र, प्राचीन भारत की एक अमूल्य साहित्यिक निधि है, जो पशु-पक्षियों की शिक्षाप्रद कहानियों का एक अनूठा संकलन है। ये कथाएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों, जैसे नीति, ज्ञान और व्यवहारिक बुद्धिमत्ता का गहरा स्रोत भी हैं। इनकी लोकप्रियता विश्वव्यापी है, जिसका प्रमाण विभिन्न भाषाओं में हुए इनके अनुवाद हैं। प्रत्येक कहानी एक स्पष्ट नैतिक शिक्षा के साथ समाप्त होती है, जो हमें बुद्धिमत्ता, धैर्य, दयालुता और सामाजिक गुणों का महत्व सिखाती है। ये कहानियाँ सदियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी ज्ञान और आदर्शों का संचार करती आ रही हैं, बच्चों और बड़ों दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।
पंचतंत्र में अनगिनत कहानियाँ हैं, जिनमें से कुछ विशेष रूप से अपनी शिक्षाओं और रोचकता के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ हम ऐसी ही कुछ लोकप्रिय कहानियों की संक्षिप्त झलकियाँ देखेंगे, जो हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं। ये कहानियाँ दर्शाती हैं कि कैसे छोटे-छोटे पात्र भी अपनी बुद्धि या मूर्खता से बड़े परिणामों का सामना करते हैं।
बहुत समय पहले, एक क्रूर शेर एक जंगल पर राज करता था, जो प्रतिदिन कई जानवरों को अपना शिकार बना लेता था। जंगल के सभी प्राणी उसके आतंक से भयभीत रहते थे। एक दिन, जानवरों ने मिलकर एक समाधान निकालने का फैसला किया। सबसे चतुर लोमड़ी ने शेर से विनम्रतापूर्वक कहा, “महाराज, हम आपके सेवक हैं और एक सुझाव लेकर आए हैं। आप अब बूढ़े हो चले हैं, तो क्यों न आप अपनी मांद में आराम करें? हम वचन देते हैं कि एक जानवर प्रतिदिन स्वयं आपके भोजन के लिए आ जाएगा। इस तरह आपको शिकार करने की आवश्यकता नहीं होगी।”
एक घने जंगल में, एक विशाल बरगद का पेड़ खड़ा था, जिसकी मजबूत शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थीं। इस पेड़ पर जंगली हंसों का एक झुंड सुरक्षित महसूस करता हुआ रहता था। एक दिन, झुंड के सबसे अनुभवी हंस ने पेड़ के आधार पर एक छोटी सी लता को उगते देखा। उसने अन्य पक्षियों को बुलाया और कहा, “देखो, वह छोटी लता? हमें इसे अभी नष्ट कर देना चाहिए।” अन्य हंसों ने आश्चर्य से पूछा, “लेकिन क्यों? यह इतनी छोटी सी लता भला हमारा क्या बिगाड़ सकती है?” बूढ़े हंस ने उन्हें भविष्य के खतरे से आगाह करना चाहा।
एक गधा एक दिन एक सियार से मिला और दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। वे साथ मिलकर भोजन की तलाश करने लगे। एक रात, उन्हें खीरों से भरा एक खेत मिला। उन्होंने जी भरकर खीरे खाए और तय किया कि वे साथ मिलकर स्वादिष्ट खीरों का आनंद लेंगे। जल्द ही, गधा पहले से कहीं अधिक स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट दिखने लगा। एक रात, जब वे खेत में थे, गधा गाने की इच्छा करने लगा, यह भूलकर कि उसकी आवाज खेत के मालिक को खतरे की सूचना दे सकती है।
एक बड़ी झील में तीन मछलियाँ रहती थीं, जो पक्की सहेलियाँ थीं, पर तीनों का स्वभाव बिल्कुल अलग था। एक बहुत समझदार थी और हर फैसला सोच-विचार कर लेती थी। दूसरी उतनी सयानी नहीं थी, पर मुसीबत में हमेशा कोई न कोई उपाय खोज लेती थी; वह बड़ी बेपरवाह थी। तीसरी सिर्फ किस्मत पर भरोसा करती थी, यह मानती हुई कि जो होना है, सो होकर रहेगा। एक दिन, समझदार मछली ने दो मछुआरों को यह कहते सुना कि झील बड़ी मछलियों से भरी है और वे अगले दिन उन्हें पकड़ने आएंगे। वह तुरंत अपनी सहेलियों को यह खबर देने दौड़ी।
एक बार देश में भीषण सूखा पड़ा, और लंबे समय तक वर्षा नहीं हुई। सभी झीलें, तालाब और नदियाँ सूखने लगीं, जिससे पशु-पक्षी और मनुष्य जीवन संकट में पड़ गया। चिंतित बगुलों ने दूसरे तालाब में जाने का निर्णय लिया। यह सुनकर, एक कछुआ बोला, “मित्रों, मुझे छोड़कर मत जाओ! मुझे भी अपने साथ ले चलो।” कुछ देर सोचने के बाद, एक बगुला बोला, “हम तीनों एक छड़ी की मदद से उड़ेंगे।” कछुए ने हैरानी से पूछा, “कैसे?” बगुले ने समझाया, “हम दोनों अपनी चोंचों से छड़ी के दोनों छोर पकड़ेंगे, और तुम बीच से छड़ी को अपने मुँह से पकड़कर हमारे साथ उड़ सकते हो, पर तुम्हें चुप रहना होगा।”
एक जंगल में वज्रदंष्ट्र नामक एक शक्तिशाली शेर रहता था। उसका पूरे जंगल में इतना आतंक था कि पशु-पक्षी उसका नाम सुनकर ही भयभीत हो जाते थे। वज्रदंष्ट्र के दो सलाहकार थे – चतुरक सियार और क्रव्यमुख भेड़िया। ये दोनों हमेशा शेर के पास रहते थे और अपनी चापलूसी भरी बातों से उसका मनोरंजन करते थे। संकट के समय भी ये उसकी सहायता करते थे, पर उनकी निष्ठा अक्सर स्वार्थ से प्रेरित होती थी। एक बार, एक हिरण के शिकार को लेकर उनकी नीयत पर सवाल उठा।
एक गाँव में चार घनिष्ठ मित्र रहते थे। उनमें से तीन बहुत पढ़े-लिखे और विद्वान थे, पर उन्हें सामान्य ज्ञान की कमी थी। चौथा मित्र उतना विद्वान नहीं था, लेकिन वह अत्यंत व्यावहारिक था और अच्छी-बुरी बातों की गहरी समझ रखता था। एक दिन, तीनों विद्वान मित्रों ने अपने ज्ञान के बल पर धन कमाने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी किस्मत आज़माने के लिए एक दूसरे देश की ओर प्रस्थान किया। वे अपने चौथे दोस्त को साथ नहीं ले जाना चाहते थे, क्योंकि वह कम पढ़ा-लिखा था, लेकिन बचपन की दोस्ती के कारण उसे भी अपने साथ ले लिया।
एक सियार अचानक कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनकर अपनी जान बचाने के लिए भागा और एक रंगसाज के घर में घुस गया। घर के आँगन में नीले रंग से भरा एक बड़ा टब पड़ा था, जिसमें सियार गिर पड़ा। वह कुत्तों के चले जाने तक उसी टब में छिपा रहा। जब वह बाहर निकला, तो अपना पूरा शरीर नीला देखकर हैरान रह गया। वह अब बिल्कुल अलग दिख रहा था। झट से वह जंगल की ओर चला गया। उसे देखते ही जानवर डर के मारे इधर-उधर भागने लगे, क्योंकि उन्होंने पहले कभी ऐसे नीले रंग का कोई प्राणी नहीं देखा था।
एक बंदर नदी किनारे खड़े एक जामुन के पेड़ पर रहता था। उस पेड़ पर हमेशा मीठे और रसीले जामुन लगे रहते थे, जिन्हें खाकर बंदर खुशी-खुशी अपना पेट भरता था। एक दिन, नदी से एक मगरमच्छ बाहर निकला और पेड़ के पास सुस्ताने के लिए आ गया। उसे देखकर, पेड़ पर बैठे बंदर ने कहा, “श्रीमान, आज तो आप मेरे मेहमान हैं। मेरा फर्ज बनता है कि मैं आपको कुछ खिलाऊँ। कृपया ये मीठे-रसीले जामुन स्वीकार करें।” इस तरह उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई, जो बाद में एक बड़ी परीक्षा से गुज़री।
एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। एक बार उसे व्यापार में भारी नुकसान हुआ और उस पर कर्ज चढ़ गया। उसने दूसरे नगर जाकर अपनी किस्मत आज़माने का फैसला किया। उधार चुकाने के लिए उसने अपनी सारी संपत्ति बेच दी, सिवाय एक भारी लोहे के तराजू के, जो उसके पुरखों की निशानी था। वह उसे अपने से अलग नहीं करना चाहता था। नगर छोड़ने से पहले, वह अपने पड़ोसी मित्र से मिलने गया और उससे निवेदन किया कि जब तक वह वापस न आए, तब तक उसका तराजू सुरक्षित रखे। मित्र ने उसे शुभकामनाएँ दीं और तराजू को संभाल लिया, पर उसकी नीयत साफ नहीं थी।