पहली बार: अनन्या के साथ मेरा पहला प्रेमानुभव

मेरा नाम विक्की है और मैं बिहार से ताल्लुक रखता हूँ। यह कहानी मेरे जीवन के सबसे यादगार और भावनात्मक पलों में से एक है, जब मैंने पहली बार अपनी प्रेमिका अनन्या के साथ शारीरिक संबंध बनाए। हम दोनों बारहवीं कक्षा में पढ़ते थे और स्कूल के दिनों से ही एक-दूसरे के प्रति गहरी भावनाएँ रखते थे। उस दिन की शुरुआत तो एक सामान्य मुलाकात से हुई थी, लेकिन जो कुछ घटित हुआ, वह हमारे रिश्ते को एक नई दिशा दे गया।

उस शाम हम दोनों पार्क में बैठकर बातें कर रहे थे। हवा में ताजगी थी और पक्षियों की चहचहाहट माहौल को रोमांटिक बना रही थी। अचानक हमें पास की झाड़ियों से कुछ आवाज़ें आईं। जब हमने ध्यान से देखा, तो पता चला कि एक प्रेमी जोड़ा गहन आलिंगन में लिपटा हुआ है। उन्हें देखकर हमारे अंदर भी एक अजीब सी उत्तेजना जाग उठी। अनन्या की आँखों में एक चमक थी और उसके होंठ मुस्कुरा रहे थे। मैंने धीरे से उसका हाथ थामा और हमारी नजरें मिलते ही वह समझ गई कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।

धीरे-धीरे हमारे बीच की दूरी कम होने लगी। मैंने उसके मुलायम होंठों को अपने होंठों से छुआ और यह किस एक जादुई अनुभव था। उसकी सांसों की गर्माहट और शरीर की खुशबू ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया। हमारे बीच का यह पहला चुंबन कई मिनटों तक चला और इस दौरान हम दोनों एक-दूसरे में खो से गए। मेरे हाथ स्वतः ही उसकी पीठ पर घूमने लगे और वह मेरे कंधों को थामे हुए थी।

इसके बाद की घटनाएँ तो जैसे एक सपने की तरह थीं। मैंने अनन्या के नरम शरीर को महसूस किया और वह भी उत्तेजित हो उठी। मैंने उसे होटल चलने का सुझाव दिया, लेकिन वह तुरंत मना कर दिया। उसने समझाया कि इस छोटे शहर में हर कोई मुझे जानता है और ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। मैं एक संपन्न परिवार से था और मेरे पास शहर की कई इमारतें थीं, जिसकी वजह से मेरी पहचान सभी को थी।

उस दिन हमें अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ा, लेकिन इस अनुभव ने हमारे अंदर एक नई ललक जगा दी। अगले कुछ दिनों तक हम स्कूल में मिलते रहे, लेकिन अब हमारी बातचीत में एक नया उत्साह था। अनन्या के पिता कॉलेज में प्रोफेसर थे और माँ घर संभालती थीं। वह एक सभ्य परिवार से ताल्लुक रखती थी और हमेशा अपने व्यवहार में संयम बनाए रखती थी।

फिर एक दिन ऐसा मौका आया जब अनन्या के माता-पिता को एक शादी में शहर से बाहर जाना था। अनन्या ने अपनी परीक्षाओं का बहाना बनाकर उनके साथ जाने से इनकार कर दिया। जैसे ही उसके माता-पिता चले गए, उसने मुझे फोन किया और अपने घर बुलाया। मैं तुरंत तैयार हो गया और उसके घर पहुँच गया। वह दरवाजे पर मेरा इंतजार कर रही थी और जैसे ही मैं अंदर घुसा, वह मुझसे लिपट गई।

उस कमरे में हवा में प्यार की खुशबू थी। हमने एक-दूसरे को जोरदार चुंबन दिया और यह किस लगभग पाँच मिनट तक चला। फिर मैंने उसके शरीर को महसूस करना शुरू किया। वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और मैं भी अपने आप पर नियंत्रण खो रहा था। मैंने धीरे से उसकी टॉप उतारी और फिर जींस भी। अब वह गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी।

उसने भी मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और जल्द ही हम दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए। मेरा शरीर उत्तेजना से काँप रहा था और मैंने उससे पूछा कि क्या मैं आगे बढ़ सकता हूँ। वह मुस्कुराई और हामी भर दी। जब उसने मेरे अंदरूनी वस्त्र हटाए, तो वह मेरे आकार को देखकर हैरान रह गई। उसने कहा कि उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि मैं इतना बड़ा हूँ।

मैंने उसे समझाया कि चिंता की कोई बात नहीं है और सब कुछ ठीक हो जाएगा। वह मेरी बात पर हँस दी और फिर से मेरे होंठों से जुड़ गई। मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी और उसके सुडौल स्तनों को चूमना शुरू किया। वह मेरे स्पर्श से गद्गद हो उठी और मादक आहें भरने लगी। कुछ ही देर में वह इतनी उत्तेजित हो गई कि उसने स्वयं ही मेरे शरीर को महसूस करना शुरू कर दिया।

फिर मैंने उसे उठाया और बेडरूम में ले गया। वहाँ मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके नाजुक अंगों को चूमना जारी रखा। वह सिसकियाँ भर रही थी और मेरे स्पर्श से विह्वल हो रही थी। कुछ ही पलों में वह परम सुख की अनुभूति करने लगी और उसका शरीर ढीला पड़ गया। अब मेरी बारी थी और मैंने अपने आप को संयत रखने की कोशिश की।

मैंने उसके शरीर के ऊपर अपना संतुलन बनाया और धीरे से उससे पूछा कि क्या वह तैयार है। वह थोड़ी डरी हुई थी और बोली कि यह उसका पहला अनुभव है। मैंने उसे आश्वस्त किया और फिर वह मान गई। मैंने वहाँ रखी हुई क्रीम का इस्तेमाल किया और धीरे-धीरे आगे बढ़ा। पहले धक्के के साथ ही वह चीख उठी और दर्द की शिकायत करने लगी।

लेकिन मैं जानता था कि अगर अब रुका, तो वह दोबारा कोशिश नहीं करेगी। इसलिए मैंने धीरे से आगे बढ़ना जारी रखा। वह रो रही थी, लेकिन मैं उसे चूमता रहा और उसके शरीर को सहलाता रहा। कुछ देर बाद मैंने देखा कि वह धीरे-धीरे प्रतिक्रिया दे रही है। उसने मुझे और जोर से धक्का देने के लिए कहा और अब वह स्वयं भी आनंद ले रही थी।

लगभग पंद्रह मिनट तक चले इस अनुभव के बाद मैं थक कर उसके ऊपर ही सो गया। हम लगभग एक घंटे तक आराम करते रहे और फिर जागे। जब अनन्या ने बिस्तर पर खून के धब्बे देखे, तो वह रो पड़ी। मैंने उसे मनाया और समझाया कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। वह बोली कि मैं बहुत कठोर था, लेकिन फिर धीरे-धीरे शांत हो गई।

कुछ देर बाद हम फिर से नजदीक आए और इस बार का अनुभव पहले से कहीं बेहतर था। अब अनन्या पूरी तरह से ढीली हो चुकी थी और सेक्स का भरपूर आनंद ले रही थी। उस दिन के बाद से मेरा उसके घर आना-जाना बढ़ गया। चूंकि मैं एक संस्कारी लड़का था और हम छह साल से साथ पढ़ रहे थे, इसलिए उसके माता-पिता को हमारे मिलने में कोई आपत्ति नहीं थी।

बाद में एक दिलचस्प घटना घटी जब अनन्या की एक सहेली को हमारे संबंधों के बारे में पता चला। वह भी मेरे साथ संबंध बनाना चाहती थी और उसने धमकी दी कि अगर मैं मानने से इनकार करूंगा, तो वह सब कुछ अनन्या के पिता को बता देगी। इस धमकी से हम दोनों घबरा गए और आखिरकार अनन्या ने मजबूरी में हामी भर दी।

एक दिन जब अनन्या की सहेली के घर कोई नहीं था, हम वहाँ गए। उसने भी मेरे आकार को देखकर हैरानी जताई, लेकिन फिर वह भी इस अनुभव का आनंद लेने लगी। बाद में मुझे पता चला कि अनन्या के माता-पिता मुझे उसके लिए उपयुक्त समझते हैं, इसलिए मैंने अनन्या के अलावा किसी और से संबंध नहीं रखने का फैसला किया। आज हमारी शादी की योजनाएँ चल रही हैं और यह कहानी मेरे जीवन का वह अध्याय है जिसने सब कुछ बदल दिया।

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