फिर से मोहब्बत

रोहन और प्रिया बचपन के दोस्त थे, जिनके दिलों में एक-दूसरे के लिए खास जगह थी। उनके खेल-कूद, हंसी-मजाक और छोटे-छोटे झगड़े धीरे-धीरे गहरे प्यार में बदल गए। समय के साथ, ज़िम्मेदारियों और दूरियों ने उन्हें अलग कर दिया, लेकिन उनकी यादें उनके साथ रहीं। वर्षों बाद, जब नियति ने उन्हें एक छोटे से कैफे में फिर से मिलाया, तो समय थम-सा गया। प्रिया कॉफी ऑर्डर कर रही थी और रोहन अपनी किताब में खोया हुआ था, तभी उनकी आँखें मिलीं। एक पल के लिए दोनों अवाक रह गए।

प्रिया ने पहले मुस्कुराने की हिम्मत की। “रोहन? तुम यहाँ?” उसकी आवाज़ में हैरानी और खुशी दोनों थी। रोहन ने अपनी कुर्सी से उठते हुए कहा, “प्रिया! मुझे विश्वास नहीं हो रहा।” उन्होंने बैठकर घंटों बातें कीं, पुरानी यादों को ताज़ा किया, और अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया। जैसे-जैसे शाम ढलती गई, उन्हें महसूस हुआ कि उनके बीच की केमिस्ट्री वैसी ही बरकरार थी, जैसी पहले थी। दिल में दबे हुए वो पुराने एहसास धीरे-धीरे फिर से जागने लगे थे।

कैफे से बाहर निकलते समय, रोहन ने प्रिया का हाथ थामा। “प्रिया, क्या हम… क्या हम इस कहानी को एक बार फिर से मौका दे सकते हैं?” प्रिया की आँखों में नमी थी, लेकिन एक चमक भी थी। उसने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया। उनके कदम एक नई शुरुआत की ओर बढ़ चले थे, जहाँ उन्हें उम्मीद थी कि इस बार उनका प्यार समय और दूरी की हर कसौटी पर खरा उतरेगा। यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं थी, बल्कि एक बार फिर पनपी मोहब्बत की कहानी थी।

Leave a Comment