सर्दियों की गर्माहट: चार किरायेदारों के साथ एक रात

उस सर्दी की रातें मेरे लिए बेहद लंबी और एकाकी होती जा रही थीं। हवा में ठंडक का ऐसा असर था कि शरीर के अंदर तक कंपकंपी छूट जाती, पर मेरे भीतर एक अलग तरह की आग धधक रही थी। मेरा घर, जो आमतौर पर शांत और सुनसान रहता, अब चार नए किरायेदारों की उपस्थिति से सजीव हो उठा था। ये चारों लड़के बिहार से आए थे, मजदूरी की तलाश में इस शहर का रुख किया था। उनकी उम्र बीस से बाईस साल के बीच थी, और उनके चेहरे पर मेहनत की झलक साफ दिखाई देती थी। उनके आने से पहले, मैं रजाई में दुबकी रहती, अपनी उंगलियों से ही सुख की तलाश करती, पर वह संतुष्टि कभी हाथ नहीं लगती थी। मेरी चूत से पानी बहता रहता, पर उसे चाटने वाला कोई नहीं था। यह विडंबना थी कि शरीर की आग बुझाने के लिए कोई साथी नहीं था।

उन लड़कों के आने के बाद, मेरे मन में विचारों का तूफान उठने लगा। वे चारों थे, और मैं अकेली। क्या मैं उन्हें पटा पाऊँगी? क्या वे मेरी इच्छाओं को समझेंगे? फिर एक डर भी सताने लगा—कहीं ये चारों मिलकर मेरी चूत और गांड न फाड़ दें। इस डर ने मुझे सतर्क कर दिया, और मैंने अपने इरादे को दबा लिया। पर रातों में जब नींद टूटती, तो शरीर की आग और भड़क उठती। एक रात तो मैं रसोई से एक लंबा बैंगन ले आई, और उसे अपनी चूत में डालकर रस छोड़ा। केवल तभी मुझे कुछ शांति मिली, और नींद आ सकी। ऐसे ही दो हफ्ते बीत गए, जहाँ दिन में वे लड़के काम पर निकल जाते, और रात को लौटते, जबकि मैं अपनी इच्छाओं से जूझती रहती।

एक दिन, वे लड़के सामान्य से जल्दी लौट आए। उनके कमरे से बातचीत की आवाजें आ रही थीं, और मैंने चुपचाप कान लगाकर सुनना शुरू किया। अजय नाम के लड़के की आवाज साफ सुनाई दी, जो सनी से कह रहा था कि वह मुझसे एक जग पानी ले आए। मैं समझ गई कि आज उनकी दारू पीने की योजना है। यह सुनकर मेरे मन में एक विचार कौंधा—शायद यही वह मौका है जिसकी मैं तलाश में थी। मैंने फैसला किया कि उनकी नजरों में खुद को पेश करूँगी, ताकि वे मेरी ओर आकर्षित हों। मैं दरवाजे के सामने नंगी होकर बैठ गई, नीचे अखबार बिछाया, और रेजर से अपनी झाँटें साफ करने लगी। मेरे हाथ थोड़े काँप रहे थे, पर दिल में एक उम्मीद जगी थी।

मैंने रेजर को तीन-चार बार घुमाया ही था कि दरवाजा अधखुला हो गया, और सनी अंदर आ गया। उसने मुझे नंगी झाँटें साफ करते देखा, और उसका चेहरा एकदम स्तब्ध हो गया। उसकी आँखें फैल गईं, और वह जड़वत खड़ा रहा, फिर बिना कुछ कहे बाहर चला गया। मैंने तुरंत साड़ी लपेटी, और जब वह वापस आया, तो मैंने पूछा, “बेटा, क्या चाहिए था?” सनी शर्माते हुए बोला, “कुछ नहीं, आंटी! एक जग ठंडा पानी चाहिए। मैं बाद में आता हूँ!” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, बेटा!” और गेट बंद कर लिया। पर मेरे मन में एक गर्माहट सी दौड़ गई—उसकी प्रतिक्रिया ने मुझे आश्वस्त किया कि मेरी योजना काम कर सकती है।

थोड़ी देर बाद, मैं पानी का जग लेकर दबे पाँव उनके कमरे के बाहर पहुँची, और कान लगाकर सुनने लगी। अंदर से आवाजें आ रही थीं—सनी कह रहा था, “भाई, क्या मस्त चूत थी आंटी की! देखते ही लगा कि लंड अंदर घुसा दूँ!” अजय ने जवाब दिया, “आंटी दिखती भी मस्त हैं, यार! मुझे तो उनके चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं!” राहुल की आवाज आई, “और उनके दूध तो ब्लाउज फाड़कर बाहर निकलने को बेताब रहते हैं!” वीरू ने कहा, “यार, एक बार आंटी की चुदाई करने को मिल जाए तो मजा आ जाए!” इन बातों को सुनकर मेरे होठों पर मुस्कान खिल उठी। मुझे लगा जैसे मैंने एक छुपा हुआ खजाना खोज लिया हो।

मैंने दरवाजा खटखटाया, और राहुल ने दरवाजा खोला। उसने मुझे देखकर चौंकते हुए कहा, “आंटी!” मैंने जग आगे बढ़ाते हुए कहा, “बेटा, सनी पानी माँगने आया था, तो मैं ही ले आई!” पीछे से अजय आया और बोला, “अरे, आइए ना, आंटी!” मैं अंदर गई, और देखा कि टेबल पर दो ओल्ड मॉन्क रम की बोतलें रखी थीं। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, तो आज तुम लोगों की पार्टी है!” सनी ने जवाब दिया, “आंटी, कल हमारी छुट्टी है, इसलिए सोचा आज एंजॉय कर लें!” मैंने कहा, “ये तो अच्छी बात है, बेटा!” फिर मैंने पूछा, “अगर ऐतराज न हो तो मैं भी दो पेग ले लूँ? क्योंकि सर्दी बहुत है!” यह सुनकर चारों खुश हो गए, और हम सब दारू पीने लगे। नशे की हल्की सी लहर ने माहौल को और भी रोमांचक बना दिया।

नशे में आकर, मैंने बातचीत को एक नए मोड़ पर ले जाने का फैसला किया। मैंने पूछा, “अच्छा, ये बताओ, तुम लोगों में से किस-किस की गर्लफ्रेंड है?” सनी शर्माते हुए बोला, “अरे, आंटी, हमारी किस्मत में लड़की कहाँ!” मैंने आगे पूछा, “फिर तुम लोगों ने सेक्स किया कि नहीं?” सनी और भी शर्मा गया, और राहुल ने कहा, “आंटी, अभी तक सनी ने सेक्स नहीं किया!” मैंने अजय से पूछा, “और तुम लोगों ने?” अजय ने जवाब दिया, “आंटी, हम लोग साइट पर कभी-कभार किसी मजदूर की लुगाई की ले लेते हैं!” राहुल ने सीधे सवाल किया, “आंटी, अगर बुरा न मानें तो हम आपके साथ सेक्स कर सकते हैं?” मैंने हँसते हुए कहा, “ये हुई ना खुलकर बात! सेक्स नहीं, तुम लोग मेरी चुदाई कर सकते हो!” यह सुनते ही चारों मेरे पास आ गए, और गैंग बैंग सेक्स पार्टी की शुरुआत हो गई।

राहुल ने मेरा ब्लाउज ऊपर कर दिया, और वह और अजय मेरे एक-एक दूध पीने लगे। उनकी खुरदुरी जीभ मेरे निप्पलों को छील रही थी, जिससे मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। मैंने वीरू को पकड़कर उसका मुँह अपनी चूत पर लगा दिया, और वह मेरी चूत चाटने लगा। मेरी चूत से रस की धार बह निकली, और मैंने देखा कि सनी अपना लंड निकालकर सहला रहा था। मैंने उसे पास बुलाया, और उसका छह इंच का लंड पकड़कर चूसने लगी। इधर, बाकी तीनों मेरे बूब्स और चूत चूस रहे थे, और माहौल गर्माहट से भर गया। मैंने सनी से कहा, “बेटा, तुमने अभी तक चूत का स्वाद नहीं लिया है! तो तुम आओ और जी भरकर चूत चाटो!” सनी तुरंत नीचे आया, और मैंने उसे नीचे गिराकर उसके मुँह पर चूत रखकर बैठ गई। वह कुत्ते की तरह चाटने लगा, और बाकी तीनों हँसने लगे।

मैं घूम गई, और सनी का लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। हम 69 की पोजीशन में आ गए, और तभी सनी का लंड अकड़ गया। उसने अपना माल मेरे मुँह में छोड़ दिया, और वीरू हँसते हुए बोला, “बहन के लौड़े, डालने से पहले ही झड़ गया!” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, पहली बार में ऐसा होता है!” फिर अजय ने मुझे एक पेग दिया, और मैंने उसे सनी के माल के साथ गटक लिया। मैंने कहा, “सुनो, अब सबसे पहले सनी मेरी चूत में डालेगा, क्योंकि उसका आज पहला टाइम है!” मैं उठी, और अजय व राहुल का लंड पकड़कर हिलाने लगी। वीरू ने कहा, “आंटी, सनी ने चूत का मजा तो चख लिया, लेकिन गांड का मजा नहीं लिया!” मैं समझ गई कि वह रिमिंग के लिए बोल रहा है। मैंने सनी को बुलाया, और घोड़ी बन गई। मैंने कहा, “बेटा, अब मेरी गांड चाटो!” सनी ने गांड को देखा, जिसका भूरा-सा छेद थोड़ा खुला हुआ था, और वह हिचक रहा था। मैंने उसे समझाया, “बेटा, सब कुछ साफ है! अपनी जीभ अंदर ऐसे घुसाओ जैसे चूत में घुसाई थी!” तभी वीरू आया, और उसने सनी का मुँह पकड़कर मेरी गांड में घुसा दिया। कुछ देर बाद, सनी ने मेरी गांड चाटना शुरू किया, और उसकी नुकीली जीभ ने मेरी गांड में करंट सा लगा दिया।

मैंने राहुल को बुलाकर उसका लंड मुँह में ले लिया, और कहा, “अबे साले, मेरे दूध चूसो!” बाकी दोनों मेरे दूध चूस-चूसकर निकालने लगे, और सनी का लंड फिर से तनने लगा। अब मैं खड़ी हुई, और चारों मेरे सामने आज्ञाकारी बच्चों की तरह खड़े हो गए। मैंने कहा, “देखो, आज सनी की पहली चुदाई है! सबसे पहले सनी, तुम इस चूत को जी भरकर देख लो, प्यार कर लो! इस चूत के फोटो लेकर अपने मोबाइल में रख लो, क्योंकि ये चूत तुम्हें जिंदगी भर याद रहेगी!” फिर मैं

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