स्माल पेनिस सेक्स कहानी: मेरे पति ने मुझे भरपूर यौन सुख दिया

मैं सोनम, एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हूँ। हमारे घर में मेरे माता-पिता, मुझसे तीन साल छोटी बहन और दादा-दादी रहते थे। इतने लोगों की जिम्मेदारी मेरे पिताजी के कंधों पर थी, और घर में हमेशा पैसों की तंगी बनी रहती थी। पढ़ाई में मैं हमेशा से तेज रही थी, और अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए मैं बच्चों को घर पर ट्यूशन पढ़ाती थी। मैं देखने में सुंदर हूँ, और मैंने अपनी माँ की पुरानी तस्वीरें देखी थीं जिनमें वह अपनी जवानी में बहुत खूबसूरत दिखती थीं, लेकिन गरीबी ने उनकी सुंदरता को धीरे-धीरे छीन लिया था। मैंने मन में ठान लिया था कि नौकरी करके जब अच्छा पैसा कमाने लगूंगी, तभी शादी करूंगी और घर की आर्थिक स्थिति में सुधार लाऊंगी। बहुत से लड़के मेरे पास आने की कोशिश करते थे, लेकिन मैं हमेशा सबसे दूरी बनाए रखती थी।

जब मैं 21 साल की हुई, तो मुझे एक छोटी सी प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई। मैं हमेशा साड़ी पहनते समय विशेष ध्यान रखती थी, तंग गले वाला ब्लाउज पहनती थी, और आंचल से अपने ऊपरी शरीर को ढके रहती थी, बड़ी ही शालीनता के साथ ऑफिस जाती थी। कंपनी में लगभग 20 पुरुष और 3 महिलाएं काम करती थीं। कंपनी के मालिक सज्जन सिंह नाम के एक युवा व्यक्ति थे, जिनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी। सज्जन सिंह एक स्मार्ट और हैण्डसम अविवाहित युवक थे, लेकिन उनका स्वभाव बहुत शर्मीला था। वे कांच की दीवारों वाले केबिन में बैठते थे, और मैंने देखा था कि जब भी कोई महिला उनके पास आती, तो वे असहज होकर थोड़ा दूर हट जाते थे। जब मैं काम के सिलसिले में उनके केबिन में जाती, तो मैं भी उनसे उचित दूरी बनाए रखती थी।

हमारी कंपनी को जब कोई नया प्रोजेक्ट मिलता, तो सज्जन सर सभी कर्मचारियों को साथ बैठाकर प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताते और कहते कि सभी सोचें कि इस काम को कैसे अंजाम देना है। मुझे कंपनी में काम करते हुए तीन साल हो गए थे, और मैं काफी कुछ सीख चुकी थी। सर मुझ पर भरोसा करने लगे थे। कभी-कभी वे काम के अलावा दूसरी बातें भी करते, जैसे मेरे घर के कामों के बारे में या मेरे शौक के बारे में पूछ लेते थे। उसी दौरान एक नई लड़की रति ने कंपनी ज्वाइन की, जिसकी उम्र 22 साल थी। जब रति को पता चला कि सज्जन सर कुंवारे हैं, तो वह ऑफिस में सेक्सी कपड़े पहनकर आने लगी। वह छोटी स्कर्ट और बिना बांह की खुले गले वाली टी-शर्ट पहनकर आती, और अपने आकर्षक बदन का प्रदर्शन करके सज्जन सर को रिझाने की कोशिश करती।

रति फाइल देने के बहाने झुककर अपने स्तनों के ऊपरी हिस्से दिखाती और सर के बहुत करीब जाने की कोशिश करती। सज्जन सर शर्मीले स्वभाव के थे, इसलिए वे उससे दूरी बनाने की कोशिश करते। एक बार मेरे सामने ही रोजी मैडम ने रति को समझाया कि सज्जन सर को रिझाने की कोशिश मत करो, तुम सफल नहीं हो पाओगी। मैं यहां 6 साल से काम कर रही हूं, मैंने उनसे निकटता बढ़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुई, फिर मैंने शादी कर ली। जब भी रति सज्जन सर के केबिन में जाती, सर मुझे किसी काम के बहाने केबिन में बुला लेते। मेरी मौजूदगी में रति सज्जन सर को अपने अंग प्रदर्शन से रिझा नहीं पाती थी। इस तरह मैं सर की एक तरह की ढाल का काम करती थी। सर मेरी बहुत इज्जत करते थे, और मैं भी उनका बहुत सम्मान करती थी।

सज्जन सर कहते थे कि कंपनी के सभी कर्मचारी उनके बड़े परिवार का हिस्सा हैं। वे हर साल दशहरे की पार्टी अपने बंगले में सभी कर्मचारियों के लिए आयोजित करते थे। इस पार्टी में सर के माता-पिता भी शामिल होते थे, जो दोनों बहुत मधुर स्वभाव के थे और सभी से बातचीत करते थे। सर के पिताजी किसी सरकारी संस्थान में बड़े पद पर कार्यरत थे। इस साल की दशहरे की पार्टी में रति ने ज्यादा ही सजधज कर और सेक्सी ड्रेस पहनकर आई थी। वह सर के आसपास घूमने लगी। सर ने मुझसे कहा कि आप मेरे साथ रहिए, रति आज ज्यादा ही पास आ रही है, मुझे असुविधा हो रही है। जब भी रति सर के बहुत करीब आने की कोशिश करती, तो मैं बीच में आ जाती। मेरी वजह से रति दूसरे कर्मचारियों से बात करने चली गई। सर ने मुझे धन्यवाद दिया। सज्जन सर के माता-पिता पास ही खड़े होकर यह सब देख रहे थे।

पार्टी खत्म होने के बाद सर की माताजी ने मुझसे कहा कि पार्टी के बाद हमसे मिलकर जाना। जब सभी लोग चले गए, तो मैं सर के माता-पिता के पास गई। माताजी ने कहा, सोनम बेटी, हमने देखा कि सज्जन तुम पर भरोसा करता है और तुम भी उसका ख्याल रखती हो। सज्जन तुम्हें कैसा लगता है? मैंने कहा, मैं सर की इज्जत करती हूं, वे बहुत अच्छे इंसान हैं। माताजी ने फिर पूछा, क्या तुम सज्जन से शादी करने के लिए राजी हो? मैंने कहा, मैंने ऐसा कभी सोचा नहीं है। इतने में सज्जन सर आ गए और बोले, सोनम आप घर नहीं गईं? रात बहुत हो गई है, आपको ड्राइवर आपके घर छोड़ आएगा। माताजी ने कहा, नहीं सज्जन, तुम सोनम को उसके घर छोड़ आओ, ड्राइवर का खाना खाना बाकी है।

मैं सर के साथ उनकी कार से अपने घर आने लगी। घर पहुंचने पर मुझे एक विचार आया और मैंने सर से पूछा, क्या आप मेरे परिवार से मिलेंगे? उन्होंने तुरंत हामी भर दी। सर मेरे परिवार से मिले, और काफी देर तक बातचीत हुई। सर ने मेरे काम और स्वभाव की खूब तारीफ की। अगले दिन ऑफिस में सर ने मुझे केबिन में बुलाकर कहा, मेरे माता-पिता ने आपके साथ मेरी शादी का प्रस्ताव मुझे दिया है। मैं आपको पसंद करता हूं, लेकिन आपको मैं कितना सुख दे पाऊंगा, यह पता नहीं है। मैंने कहा, मेरी माँ कहती हैं कि किसी को भी जिंदगी में सभी सुख नहीं मिलते। जिसको जितना मिला, उसे उसी में खुश रहना चाहिए। मैं उनकी इस बात को मानती हूं और अमल में लाती हूं। सज्जन सर के माता-पिता मेरे माता-पिता से मिले, और हमारी शादी तय हो गई।

मैं अपनी खास सहेली कुसुम से मिली, और उसे अपनी शादी तय होने की खबर दी। उसकी शादी दो साल पहले हुई थी। मेरी सहेली कुसुम बोली, सोनम बधाई हो। शादी के बाद पति-पत्नी के शारीरिक संबंधों के बारे में तुझे कुछ पता है? मैंने कहा, मैं पढ़ाई के बाद सीधे अपनी नौकरी में व्यस्त हो गई थी, मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है, तू मुझे बता न! कुसुम ने बताया, पति पत्नी को चूमता है, उसके शरीर पर हाथ फेरता है, स्तन दबाता और चूसता है। इससे पत्नी को आनंद आता है, वह यौन वासना से उत्तेजित हो जाती है और उसकी योनि से कामरस निकलने लगता है। पति का लिंग खड़ा हो जाता है, फिर पति पत्नी की योनि में लिंग डालता है। पहली बार लिंग योनि में जाने से दर्द होता है, झिल्ली टूटने से खून निकलता है। पति लिंग को योनि में अंदर-बाहर करता है, इससे पत्नी को आनंद आने लगता है। इस तरह कुसुम ने मुझे मुख मैथुन, 69 पोजीशन यानी एक-दूसरे की योनि और लिंग को चूसने आदि के बारे में विस्तार से बताया।

मेरी शादी हो गई। ससुराल में मेरी सास ने मुझे पूरा बंगला दिखाया। मेरे पति सज्जन का बेडरूम दिखाकर कहा, आज से यह तुम्हारा है। फिर उन्होंने बेडरूम के बगल वाला कमरा दिखाकर कहा, यह सज्जन का स्टडीरूम है। सज्जन को उसके स्टडीरूम में किसी का जाना पसंद नहीं है। हम लोग उसके इस कमरे में नहीं जाते हैं, तुम भी मत जाना। कमरे की चाबी सज्जन के पास है। स्टडी रूम में दो दरवाजे हैं, एक दरवाजा बेडरूम में खुलता है और दूसरा गलियारे में। सुहागरात को मैं घूंघट ओढ़कर बैठी थी। सज्जन कमरे में आए, उन्होंने मेरा घूंघट उठाया और मुझे सोने की चेन उपहार में देकर कहा, आराम से बैठो, हम लोग बातें करेंगे। सज्जन अपने कॉलेज और परिवार के बारे में बता रहे थे, मैंने भी उन्हें अपने बारे में सब कुछ बताया।

कुछ देर बाद सज्जन बोले, रात बहुत हो गई है, चलो अब सो जाते हैं। सज्जन ने नीले रंग की धीमी लाइट जला दी। मैं सोच रही थी कि जैसा मेरी सहेली कुसुम ने बताया था, सज्जन मुझे प्यार से चूमेंगे, फिर आगे बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पलंग काफी बड़ा था, सज्जन उसके एक कोने में मुझसे दूर होकर लेट गए। मैं भी लेट गई। सज्जन सो गए, और कुछ देर बाद

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