मेरे जीवन की यह घटना उस समय की है जब मैं सेक्स के बारे में लगभग कुछ भी नहीं जानता था। मेरा नाम समर शर्मा है और मैं पश्चिम बंगाल का रहने वाला हूँ। एक छोटे से व्यवसाय में व्यस्त रहने के कारण मुझे किसी और विषय पर सोचने का अवसर ही नहीं मिल पाता था। यह कहानी कई साल पुरानी है जब मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई गया था। उस समय तक मैं पुरुष और स्त्री के बीच के शारीरिक संबंधों के बारे में बहुत कम जानता था। वापसी के समय मुंबई से टिकट न मिलने के कारण मजबूरी में मुझे जनरल कोच में यात्रा करनी पड़ी। एक कुली की मदद से बहुत मुश्किल से मुझे एक सीट मिल पाई थी। ट्रेन चल पड़ी और धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ने लगी। डिब्बे में चायवाला आया तो मैंने चाय ली और अपने बैग से बिस्किट निकालकर खाने लगा।
जब ट्रेन कल्याण स्टेशन पर पहुँची तो मैंने देखा कि एक आंटी दो बैग लेकर मेरी तरफ आ रही थीं। उन्होंने आसमानी रंग की साड़ी और ब्लाउज पहना हुआ था। उनकी उम्र लगभग चालीस से बयालीस साल के बीच रही होगी। आंटी ने पूछा कि क्या वे अपना बैग सीट के नीचे रख सकती हैं। मैंने तुरंत हाँ कहा और उनका सामान व्यवस्थित कर दिया। आंटी खड़ी-खड़ी ही सफर करने लगीं। लगभग दो घंटे तक खड़े रहने के बाद मुझे अंदर से लगा कि शायद मुझे उनकी मदद करनी चाहिए। मैंने उनसे कहा कि वे यहाँ बैठ जाएँ। थोड़ी सी जगह बनाकर मैंने उन्हें बैठने का इशारा किया। आंटी मेरे पास चिपककर बैठ गईं।
अब हमारी बातचीत शुरू हुई। उन्होंने अपना नाम कुसुम बताया। सीमित जगह के कारण हमारे पैर आपस में सटे हुए थे। बातचीत के दौरान पता चला कि वे पटना जा रही थीं। तभी ट्रेन में किन्नर आ गए। मैंने अपनी जेब से पैसे निकालने के लिए हाथ आगे बढ़ाया। अचानक गलती से मेरा हाथ आंटी की छाती से टकरा गया और उनके स्तन को छूते हुए दबा दिया। उनके मुलायम स्तन के स्पर्श से मुझे एक अजीब सी सनसनी हुई। जल्दी से मैंने बीस रुपये का नोट निकालकर किन्नर को दे दिया। जैसा कि मैंने पहले बताया, मैं सेक्स से पूरी तरह अपरिचित था और मैंने कभी अपना लिंग भी नहीं हिलाया था। उस पल जब आंटी के स्तन से मेरा हाथ टकराया तो मुझे एक विचित्र अनुभव हुआ। यह अनुभव क्यों और कैसे हुआ, यह मैं समझ नहीं पा रहा था लेकिन इसमें एक अजीब सी मधुरता थी। मेरा लिंग अपने आप सख्त होने लगा था। शायद यह प्राकृतिक प्रतिक्रिया थी।
रात के लगभग दस बजे का समय हो गया था। आंटी को हल्की नींद आने लगी थी। वे ऊँघने लगीं और उनका सिर मेरे शरीर से टिकने लगा। मैं उनके शरीर की महक से अपने अंदर एक विचित्र सा एहसास महसूस कर रहा था। इसी में कब रात के दो बज गए, पता ही नहीं चला। तभी मैंने देखा कि आंटी की ब्रा की पट्टी दिखाई दे रही थी। अचानक मुझे क्या हुआ कि मैं आंटी के ब्लाउज के अंदर झाँकने लगा और उनके स्तनों को देखने लगा। फिर मेरी कामुकता बढ़ने लगी और मैंने बेसुध सोई हुई आंटी की जाँघ को धीरे-धीरे छूना शुरू कर दिया। जब उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैं उनकी जाँघ को सहलाने लगा। एक बार तो मैंने उनकी जाँघ को हल्के से मसल भी दिया। आंटी ने इतने पर भी जब अपनी आँखें नहीं खोलीं तो मुझे अंदर से बहुत अच्छा लगने लगा। मेरा लिंग और अधिक सख्त हो गया था।
अब मैं बार-बार अपने हाथ से आंटी की जाँघ दबाने लगा। हिम्मत बढ़ी तो मैंने आंटी की कमर को भी छूना शुरू कर दिया। उसी दौरान आंटी ने अपनी आँखें खोलीं और हल्की सी मुस्कुरा दीं। मेरी स्थिति बिगड़ गई। उन्होंने साड़ी से अपनी कमर को ढक लिया। मैं एक पल के लिए तो स्तब्ध रह गया कि यह क्या हुआ? फिर आंटी की मुस्कान याद आई तो मेरी हिम्मत वापस बढ़ गई। अब मैंने फिर से कोशिश करने की सोची और हाथ को धीरे-धीरे उनके स्तनों के निचले किनारे तक ले गया। कुछ पल मैंने अपनी हथेली से आंटी की नर्म त्वचा को महसूस किया और अपने हाथ को हल्के से आगे-पीछे करने लगा। तभी आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरी तो डर से हालत खराब हो गई थी। आंटी ने धीमी आवाज में पूछा- क्या तुम शादीशुदा हो? मैंने नहीं कहा। आंटी ने फिर पूछा- कभी सेक्स किया है? मैंने फिर नहीं कहा। मेरा हाथ अभी भी आंटी ने पकड़ कर रखा था।
फिर आंटी ने मेरे हाथ को सख्ती से पकड़ा और धीरे से ऊपर की ओर ले गईं। उन्होंने मेरे हाथ को अपने एक स्तन पर रख दिया और ऊपर से साड़ी ढक ली। अब वे फुसफुसाती हुई बोलीं- अब धीरे-धीरे से दबाओ! मैंने उनके स्तन को धीरे से दबाना शुरू कर दिया। उनके स्तन की मुलायमियत से मेरी पैंट में हलचल होने लगी और मेरा लिंग और सख्त हो गया। आंटी ने उसी वक्त मेरे लिंग को छुआ और बोलीं- तुम बाथरूम में जाओ, मैं आती हूँ। मैं बाथरूम में आ गया और उनके आने का इंतजार करने लगा। दस मिनट के बाद आंटी आईं। मैंने उनको पकड़ कर गले लगाया। तो वे बोलीं- तुमने अभी तक सेक्स नहीं किया है? मैं उनके स्तन मसलता हुआ बोला- नहीं। आंटी ने अपने ब्लाउज का बटन खोल दिया और ब्रा में से अपना एक स्तन निकालती हुई बोलीं- लो, इसे आम के जैसे चूसो और दबाओ! मैं वैसे ही करने लगा।
आंटी अपने हाथ से अपने स्तन मसल-मसल कर मुझसे चुसवा रही थीं और आह-आह कर रही थीं। मैं अपने एक हाथ को धीरे से उनकी योनि के पास ले गया, तो वे बोलीं- मेरी योनि चाटोगे क्या? मैंने हाँ बोल दिया। आंटी ने अपनी साड़ी उठा कर अंदरुनी कपड़े निकाले और टाँगें फैला कर कमर को आगे की ओर उठाती हुई बोलीं- लो चाटो। आंटी की योनि पर बड़े-बड़े बाल थे। मैं बैठ गया और अपनी जीभ आंटी की योनि में डाल कर चाटने लगा। क्या मस्त खुशबू आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया इसी छेद में होती है। आंटी भी मेरे सिर को अपनी योनि में दबाती हुई अपनी नितंब हिला रही थीं और आह-आह करती हुई योनि चुसवा रही थीं। कुछ मिनट तक योनि चाटने के बाद मैंने अपना लिंग निकाला तो लिंग देख कर वे घबरा गईं। मैंने पूछा- क्या हुआ? आंटी बोलीं- तुम्हारा लिंग इतना बड़ा है? मैंने कहा- क्यों, सबका इतना बड़ा नहीं होता है क्या? वे बोलीं- क्यों, कभी ब्लू फिल्म नहीं देखी है क्या? मैंने कहा- नहीं! आंटी समझ गईं कि यह लड़का बिल्कुल अनुभवहीन है।
आंटी ने अब कुछ नहीं कहा और मेरे लिंग को आगे-पीछे करने लगीं। मैंने उनसे कहा- आप भी मेरा लिंग अपने मुँह में लेकर चाटो न! तो आंटी बोलीं- नहीं … मुझे अच्छा नहीं लगता … अब तुम बस मुझे संभोग कर दो। मैंने देरी न करते हुए उनको चूमना शुरू कर दिया। आंटी बोलीं- अब जल्दी से योनि में लिंग डाल दो न! मैंने संभोग की स्थिति बनाई। आंटी को वाशबेसिन पर नितंब टिका कर खड़ी किया और अपने लिंग को आंटी की योनि पर घिसने लगा। वे भी तैयार हुईं और उन्होंने अपनी एक टाँग को उठा कर दरवाजे से लगा दी। उनकी योनि खुल सी गई थी। आंटी ने मेरे लिंग को पकड़ कर अपनी योनि पर रखा। उन्होंने कहा- हम्म … संभोग कर दो! मैंने धक्का दे दिया तो लिंग फिसल गया और उनकी योनि के अंदर नहीं गया। वे बोलीं- तुमने सच में किसी की भी योनि नहीं चोदी है। तुम इस खेल में अभी पूरे अनाड़ी हो! मैं चुप रहा।
आंटी बोलीं- रुको। उन्होंने अपने हाथ से लिंग पकड़ कर योनि के मुँह में लगाया और बोलीं- अब संभोग करो। मैंने कमर को हिलाया और धक्का दे दिया। आंटी की आह निकल गई- ऊई मम्मी रे … कितना मोटा है तेरा? मैं आनंद से धक्के देने लगा। मेरा लिंग धीरे-धीरे योनि में अंदर-बाहर होने लगा था। मुझे मजा आने लगा था। मैंने आंटी की कमर पकड़ी और जोरदार संभोग शुरू कर दिया। इस तरह से आंटी के साथ संभोग चालू हो गया। कसम से मुझे आंटी की योनि से संभोग करने में बहुत मजा आ रहा था। कुछ पाँच मिनट बाद आंटी बोलीं- अब पीछे से संभोग करो। उन्होंने वाशबेसिन पकड़ा और घोड़ी बन गईं। मैंने लिंग अंदर डाला, तो इस बार आराम से चला गया। मैं उनकी कमर पकड़ कर जोरदार संभोग करने लगा। कुछ देर बाद आंटी बोलीं- थोड़ा तेज-तेज संभोग करो। तो मैं तेज